अफगानिस्तान में लगातार तीसरी बार मस्जिद में जबरदस्त बम विस्फोट होने से वहां आतंकी गुट आईएसआईएस-के के बढ़ते असर का पता चलता है
अभी पिछले ही दिनों अफगानिस्तान में बंदूक के दम पर सरकार बनाए बैठे तालिबान की ओर से कहा गया था कि 'देश में आईएस को काबू कर लिया गया है, उसके कई आतंकियों को पकड़ लिया गया है'। लेकिन कल जुमे की नमाज पर एक बार फिर से नांगरहार में मस्जिद में हुआ जबरदस्त बम विस्फोट कुछ और ही कहानी कहता है।
शुक्रवार को नांगरहार सूबे की मस्जिद में हुए बम विस्फोट में कम से कम तीन लोगों के मारे जाने की खबर है। रायटर्स ने बताया है कि इस बम धमाके के बाद मस्जिद में आए नमाजियों में अफरातफरी मच गए जिसमें करीब 17 लोग घायल हुए हैं।
इसमें संदेह नहीं है कि तालिबान के कुर्सी पर चढ़ बैठने के बाद से पूरे अफगानिस्तान में माहौल में जबरदस्त अस्थिरता है। 12 नवंबर को पूर्वी अफगानिस्तान में जबरदस्त बम विस्फोट नांगरहार के स्पिन घर जिले की एक मस्जिद में उस वक्त हुआ जब अंदर नमाज पढ़ी जा रही थी। टोलो न्यूज की खबर है कि प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, मस्जिद के अंदर वाले हॉल में विस्फोट दोपहर 1:30 बजे के आसपास यह विस्फोट किया गया था। एक स्थानीय नेता वली मोहम्मद ने बताया कि विस्फोटक इमाम की कुर्सी के पास रखे लाउडस्पीकर में छुपाया गया था। अजान के लिए लाउडस्पीकर को चालू करते ही उसमें बम विस्फोट हो गया।
तालिबान के एक सूत्र ने इस विस्फोट की पुष्टि की है। नाम न छापने की शर्त पर उसने बताया है कि मरने वालों की संख्या और बढ़ सकती है। इससे ज्यादा न बताते हुए तालिबानी अधिकारी ने इस धमाके को बेहद भयानक बताया है।
हालांकि अभी तक उस मस्जिद में किए गए धमाके की किसी गुट ने जिम्मेदारी नहीं ली है। लेकिन रायदर्स की यह खबर हैरान करती है कि मस्जिद में धमाके के वक्त अंदर सुन्नी मुसलमान नमाज पढ़ रहे थे।
पिछले दिनों किए गए ऐसे हमले कई शिया मस्जिदों पर किए गए थे। अक्तूबर के शुरुआत में कुंदूज शहर की एक मस्जिद में बम विस्फोट किया गया था, जिसकी जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट के आतंकियों ने ली थी। उस हमले में करीब 80 लोग जान से हाथ धो बैठे थे।
उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद से मस्जिदों पर लगातार हमले हुए हैं। हालांकि पिछले दिनों किए गए ऐसे हमले कई शिया मस्जिदों पर किए गए थे। अक्तूबर के शुरुआत में कुंदूज शहर की एक मस्जिद में बम विस्फोट किया गया था, जिसकी जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट के आतंकियों ने ली थी। उस हमले में करीब 80 लोग जान से हाथ धो बैठे थे, जबकि बड़ी तादाद में लोग घायल हुए थे। विस्फोट के वक्त मस्जिद में शिया मुसलमान नमाज पढ़ रहे थे। इसके बाद एक विस्फोट काबुल की शिया मस्जिद पर हुआ था, उसमें भी बड़ी संख्या में लोग मारे गए थे। उस घटना के बाद तालिबान ने बयान दिया था कि आईएस—के पर लगाम कसी जाएगी और इसे देश में अस्थिरता नहीं फैलाने दी जाएगी।
अफगानिस्तान मामलों के जानकार ऐसी घटनाओं के पीछे तालिबान और आईएस—के के बीच पहले से चली आ रही कट्टर दुश्मनी को वजह मानते हैं। उनके अनुसार, हो सकता है, आगे ऐसी घटनाएं और बढ़ें। यहां यह बता दें कि आईएस—के आतंकी गुट ने पिछले दिनों धमकी दी थी कि वे शियाओं को छोड़ेंगे नहीं। इसके बाद से अफगानिस्तान के शिया डर के साए में जीने को मजबूर हैं।
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