भारत के इलाकों पर नेपाल की तिरछी नजर के मायने क्या! जनगणना की आड़ में नया पैंतरा
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भारत के इलाकों पर नेपाल की तिरछी नजर के मायने क्या! जनगणना की आड़ में नया पैंतरा

by WEB DESK
Nov 12, 2021, 11:20 am IST
in विश्व
बीआरए द्वारा कैलास—मानसरोवर और लिपुलेख दर्रे को जोड़ने वाली सड़क बनाई जा चुकी है (फाइल चित्र)

बीआरए द्वारा कैलास—मानसरोवर और लिपुलेख दर्रे को जोड़ने वाली सड़क बनाई जा चुकी है (फाइल चित्र)

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नेपाल ने मई 2020 में भारत के सीमान्त इलाकों लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को अपनी सीमा में दिखाता एक नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था। तब उसकी इस हरकत पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करके अपना विरोध दर्ज कराया था
 

नेपाल में हर दस साल बाद होने वाली जनगणना का अगला दौर कल 11 अक्तूबर को शुरू हुआ है। लेकिन इस बार उसकी मंशा कुछ ठीक नहीं लग रही है। पता चला है कि जनगणना की आड़ में नेपाल भारत के सीमांत इलाकों पर नए सिरे से अपना दावा ठोकना चाहता है। नेपाल में यह 12वीं राष्ट्रीय जनगणना शुरू हुई है। इसके बारे में बताते हुए नेपाल के केंद्रीय सांख्यिकी ब्यूरो ने बताया है कि नेपाल भारत के सीमांत स्थानों लिपुलेख, कालापानी तथा लिंपियाधुरा में भी जनगणना करने का इच्छुक है जिसके लिए वह भारतीय अधिकारियों से बात करने की कोशिश में जुटा है।

नेपाल के मंत्रिमंडल ने मई 2020 में भारत के सीमान्त इलाकों लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को अपनी सीमा के अंदर दिखाने वाला एक नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था। तब उसकी इस हरकत पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करके अपना विरोध दर्ज कराया था। भारत ने काठमांडू को चेताया था कि क्षेत्रीय दावों का ऐसा फर्जी विस्तार किसी तरह स्वीकार नहीं किया जाएगा।

जबसे कम्युनिस्ट चीन ने नेपाल में अपना प्रभाव बढ़ाना शुरू किया है, वहां भारत विरोधी माहौल बनाना शुरू किया है, भारत के प्रति वहां के लोगों में अपनत्व के भाव, प्रेमपूर्ण संबंधों में दरार डालने की कोशिशें की हैं, नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता को भारत के विरोध में फैसले लेने के लिए शरारतभरा इस्तेमाल किया है तबसे काठमांडू की तरफ से दोनों देशों के बीच चुभने वाले मुद्दे बेवजह उभारे जाने की एक परिपाटी सी दिखने लगी है।

कुछ समाचारों के अनुसार, इस बार नेपाल के राजनीतिक गलियारों में यह मांग सुनाई दी थी कि इस बार की जनगणना में लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को भी शामिल किया जाए। जबकि तथ्यात्मक रूप से ये तीनों इलाके भारत की सीमा में हैं और सदा से भारत का अंग रहे हैं। 

लेकिन पिछले कुछ वर्षों से, जबसे कम्युनिस्ट चीन ने नेपाल में अपना प्रभाव बढ़ाना शुरू किया है, वहां भारत विरोधी माहौल बनाना शुरू किया है, भारत के प्रति वहां के लोगों में अपनत्व के भाव, प्रेमपूर्ण संबंधों में दरार डालने की कोशिशें की हैं, नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता को भारत के विरोध में फैसले लेने के लिए शरारतभरा इस्तेमाल किया है तबसे काठमांडू की तरफ से दोनों देशों के बीच चुभने वाले मुद्दे बेवजह उभारे जाने की एक परिपाटी सी दिखने लगी है। पिछले साल नेपाल द्वारा उक्त ​तीनों स्थानों को नए बनाए नक्शे 'अपना' दिखाने की हरकत भी उसकी कड़ी का अंग मानी गई थी।         

इधर जनगणना शुरू करने की घोषणा करते हुए 11 अक्तूबर को ही नेपाली सांख्यिकी ब्यूरो के महानिदेशक नबीनलाल श्रेष्ठ का कहना है कि वे उक्त तीनों क्षेत्रों में जनगणना करने के लिए नेपाल के विदेश मंत्रालय के जरिए भारत के संबंधित अधिकारियों से बात करने की कोशिश कर रहे हैं। ब्यूरो के सूचना अधिकारी तीर्थ चौलागाई का कहना है कि इस क्षेत्र के पांच गांवों की आबादी 700 से 800 के बीच है। 
 

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