पद्मश्री डॉ. रविन्द्र नारायण सिंह को हाल ही में विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) का अध्यक्ष बनाया गया है। वे हड्डी रोग विशेषज्ञ हैं और डॉ. आर.एन. सिंह के नाम से प्रसिद्ध हैं। बिहार के सहरसा जिले के गोलमा गांव के निवासी डॉ. सिंह के पिता स्व. राधा बल्लभ सिंह जिला एवं सत्र न्यायाधीश थे। पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (पीएमसीएच) से 1968 में एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद डॉ. सिंह एफआरसीएस की पढ़ाई के लिए लंदन गए। लंदन में रहने के दौरान वे विश्व हिंदू परिषद से जुड़े। 1982 में वे लंदन से पटना लौटे और एक चिकित्सक के नाते लोगों की सेवा करने लगे। इसके साथ ही वे समाज सेवा की अन्य गतिविधियों में भी भाग लेते रहे। उन्होंने इसी क्रम में पटना में दृष्टिहीन बालिकाओं के लिए एक आवासीय विद्यालय भी शुरू किया, जो आज भी चल रहा है। गत दिनों पटना स्थित उनके आवास पर पाञ्चजन्य संवाददाता संजीव कुमार ने उनसे बातचीत की। यहां प्रस्तुत हैं उस बातचीत के प्रमुख अंश—
आप विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष बने हैं। एक प्रसिद्ध चिकित्सक से समाज-कार्य से सीधे जुड़ने तक के सफर के बारे में बताएं
मैं 1976 से 1982 तक लंदन में था। वहां हम जैसे कुछ लोगों ने ‘हिंदू कल्चर सेंटर’ की स्थापना की थी। किराए पर एक मकान लेकर सभी देवी-देवताओं को एक मंच पर स्थापित किया गया था। वहां नियमित रूप से हिंदू परिवारों के लोग आते थे, पूजा-पाठ करते थे। परिसर में बच्चों के लिए खेलने की भी व्यवस्था थी। इस कारण लोग समय मिलते ही सपरिवार आते थे। इसका बहुत ही अच्छा प्रभाव पड़ा। उसी का परणिाम है कि आज वहां एक सुन्दर मंदिर बन गया है। यह मंदिर लंदन में रहने वाले हिंदुओं को एक साथ लाने में बड़ी भूमिका निभा रहा है। इसके साथ ही भारतीय मूल के लोगों के बच्चों में भारतीय संस्कृति का बीजारोपण हो रहा है। ऐसा करना बहुत जरूरी है। फिर पिताजी के कहने पर मैं 1982 में भारत लौट आया। उस समय से प्रत्येक मंगलवार को मैं हनुमान मंदिर जाता हूं। बचपन में मेरे परिवार ने जो संस्कार दिए थे, मैं उन पर चलने का प्रयास कर रहा हूं। अपने परिवार के संस्कारों के कारण ही कुछ समाज सेवा करता रहा हूं। अब विहिप ने बड़ा दायित्व सौंपा है। उम्मीद है कि अन्य पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के सहयोग से मैं इस दायित्व को अच्छी तरह निभा पाऊंगा। हिंदू समाज की हर समस्या का समाधान निकालने की कोशिश की जाएगी।
आपकी सबसे पहली प्राथमिकता क्या है?
हिंदुओं के बीच जागृति लाना पहली प्राथमिकता है। आज हिंदुओं पर कई तरह के प्रहार हो रहे हैं। कहीं कन्वर्जन किया जा रहा है, कहीं लव जिहाद चल रहा है, कहीं से हिंदुओं को खदेड़ा जा रहा है। एक ओर से निष्ठा भरपूर हो, पर दूसरी ओर से सिर्फ धूर्तता, तो यह नहीं चलेगा। आज की युवा पीढ़ी को इसे समझना होगा। स्वार्थ के लिए प्यार उचित नहीं है। इन समस्याओं से छुटकारा तभी मिलेगा जब हिंदुओं में जागृति आएगी। यही काम विहिप को करना है। आज विहिप का काम 42 देशों में है। मैं हिंदू समाज से अपील करता हूं कि वह अपनी पहचान और अपनी अस्मिता को बचाने के लिए सजग हो, संघर्ष करे, विहिप उसके साथ है।
इस समय भारत के सामने किस तरह की चुनौतियां खड़ी हैं?
जनसंख्या विस्फोट, कन्वर्जन और आतंकवाद जैसी चुनौतियां हैं। भारत में कन्वर्जन को रोकने के लिए कोई सक्षम कानून नहीं है। इसका लाभ हिंदू विरोधी तत्व उठा रहे हैं। ये लोग लोभ-लालच से हिंदुओं का कन्वर्जन कर रहे हैं। लोभ देकर किसी का कन्वर्जन करना बहुत ही घटिया काम है। इसलिए विहिप ने कन्वर्जन के विरुद्ध केन्द्रीय कानून बनाने की मांग की है। आशा है कि केंद्र सरकार इस दिशा में विचार करेगी और एक सक्षम और प्रभावी कानून बनाएगी।
क्या कानून बन जाने से कन्वर्जन बंद हो जाएगा?
कानून से लोगों में आत्मबल बढ़ता है और जो लोग गैर-कानूनी कार्य करते हैं, उनमें डर पैदा होता है। हालांकि कुछ लोग कानून को भी नहीं मानते और अपराध करते हैं, लेकिन उन्हें आज नहीं तो कल सजा मिलती ही है और कानून के कारण ही मिलती है। इसलिए कन्वर्जन के विरुद्ध कानून बनना ही चाहिए।
जनसंख्या नियंत्रण कानून पर आपका क्या मत है?
जनसंख्या नियंत्रण कानून अत्यंत आवश्यक है। कुछ राज्यों में ऐसा कानून है। कुछ राज्य इस दिशा में पहल कर रहे हैं। मेरी राय में पूरे भारत के लिए एक जनसंख्या नियंत्रण कानून बनना चाहिए। केंद्र सरकार अपने स्तर से यह कानून बनाए। इस कानून का लाभ अगले 15 वर्ष बाद मिलेगा, लेकिन अगर यह कानून नहीं बना तो स्थिति विस्फोटक हो सकती है। बढ़ती जनसंख्या के कारण भारत के अंदर कई तरह की समस्याएं पैदा हो रही हैं। इसलिए इस पर नियंत्रण आवश्यक है। नियंत्रण के तरीकों पर समाज से चर्चा की जा सकती है और जो देश के लिए अच्छा हो, उस पर आगे बढ़ा जा सकता है।
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