पाकिस्तान की नेशनल असेम्बली में इमरान ने फिर अलापा राग कश्मीरी। विशेषज्ञों की राय-यह आतंकी गुटों और मजहबी उन्मादी तत्वों को खुश रखने की कवायद
तालिबानी जिहादियों को अपनी सुरक्षित पनाह में रखे, अपने देश में भारी विरोध का सामना कर रहे प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक बार कश्मीर राग अलाप कर अवाम को बरगलाने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि जब तक जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की बहाली न होगी, तब तक भारत से बात न होगी। उन्होंने अमन—चैन की ओर लौटते जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने का रोना रोया।
इमरान खान ने 30 जून को नेशनल असेंबली में कहा,''मैं साफ कर देना चाहता हूं कि जब तक भारत 5 अगस्त, 2019 के गैरकानूनी कदमों को वापस नहीं लेता, तब तक उसके साथ राजनयिक संबंध बहाल नहीं होंगे।'' इमरान ने आगे कहा कि, 'पूरा पाकिस्तान अपने कश्मीरी भाइयों-बहनों के साथ खड़ा है।'
दरअसल इमरान ने यह जो बयान दिया है उसके पीछे वजह पाकिस्तान में अंदरखाने चल रही एक अफवाह मानी जा रही है, कि वह भारत के साथ अनौपचारिक बातचीत में लगा है और कि जिसकी वजह से गत फरवरी में संघर्षविराम हुआ था। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाए जाने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार बंद हो गया था।
उल्लेखनीय है कि भारत ने एक नहीं अनेक बार, अंतरराष्ट्रीय समुदाय को साफतौर पर बताया है कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को खत्म करना उसका अंदरूनी मामला है। भारत, पाकिस्तान सहित सभी मंचों पर यह साफ कह चुका है कि वास्तविकता को स्वीकारें और भारत के खिलाफ झूठ फैलाने की कोशिशों से दूर रहें। इसके साथ ही, भारत की संसद में जम्मू—कश्मीर के संदर्भ में 1994 में एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित हो चुका है कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर सहित पूरा जम्मू—कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। भारत ने अनेक अवसरों पर यह साफ कहा है कि पाकिस्तान से बात होगी तो बस उस ओर वाले कश्मीर को लेकर।
उल्लेखनीय है कि इमरान इससे पहले भी कई बार कश्मीर के बहाने भारत पर आरोप लगाते रहे हैं। पिछले साल उन्होंने कहा था कि 2018 में प्रधानमंत्री बनने के बाद 'उन्होंने भारत के सामने शांति का प्रस्ताव रखा था'; भारतीय नेतृत्व से कहा था कि यदि वे शांति की ओर एक कदम उठाएंगे तो पाकिस्तान दो कदम उठाएगा। लेकिन भारत ने शांति की ओर बढ़ने की बजाय 'कश्मीर हड़प लिया' और 'अन्याय की नई शुरुआत' कर दी।
इमरान ने असेम्बली में जो बोला, उससे साफ जाहिर है कि उनकी सोच किस कदर चीन के प्रभाव में है, जो उसे बार-बार भारत पर दबाव बनाने के लिए उकसा रहा है। दूसरे, सामरिकविशेषज्ञों के अनुसार, इमरान अपने यहां बैठे आतंकी और कट्टर मजहबी तत्वों को भी कश्मीर राग सुनाकर खुश रखने की कोशिश कर रहे हैं।
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