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इन दिनों प्रयागराज में माघ मेले की तैयारी चल रही है। पूरा नगर इस मेले की प्रतीक्षा बेसब्री से कर रहा है। प्रतिवर्ष लगने वाले इस मेले में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु आते हैं और अनेक तो यहां कल्पवास करते हैं।
पाञ्चजन्य लखनऊ ब्यूरो
उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम तट पर एक महीने तक चलने वाले माघ मेले की तैयारियों की रफ्तार तेज हो गई है। अगले साल जनवरी में आयोजित होने वाले इस मेले को 2019 में आयोजित होने वाले अर्धकुंभ मेले का पूर्वाभ्यास माना जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले ही कह चुके हैं कि इस बार का अर्धकुंभ मेला अतुलनीय होगा। चूंकि मुख्यमंत्री स्वयं इसमें दिलचस्पी ले रहे हैं इसलिए तैयारियां वरिष्ठ अधिकारियों की निगरानी में दिन-रात चल रही हैं।
इस बार माघ मेला क्षेत्र का दायरा व्यापक होगा। पहले माघ मेला 1400 बीघा क्षेत्र में होता था, जिसे इस बार बढ़ा कर 1800 बीघा कर दिया गया है। मेला क्षेत्र में तंबुओं का व्यवस्थित शहर बसाया जाएगा, जिसमें सड़क, बिजली, पेयजल, स्वास्थ्य, स्वच्छता आदि की पूरी व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए संबंधित विभागों ने तैयारी शुरू कर दी है। मेला क्षेत्र में पेयजल के लिए 15 नलकूप लगाए जाएंगे व करीब 150 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाई जाएगी। इसके अलावा, सुरक्षा के भी पुख्ता प्रबंध किए जाएंगे। चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाबलों को तैनात किया जाएगा। मेला क्षेत्र में सुरक्षा की जिम्मेदारी नागरिक पुलिस और पीएसी पर होगी। संगम क्षेत्र और घाटों पर किसी अप्रिय घटना को रोकने के लिए भी नौकाओं पर पुलिस तैनात होगी। घाटों पर मुस्तैद पुलिस को पर्याप्त मात्रा में जीवन रक्षक जैकेट भी उपलब्ध कराए जाएंगे। स्नान पर्वों पर स्टीमर का इस्तेमाल प्रतिबंधित रहेगा। इसकी वजह यह है कि मुख्य स्नान पर्वों पर स्टीमर से उठने वाली लहर से आसपास की नौकाओं के पलटने का खतरा बना रहता है। साथ ही, नाविकों को क्षमता से अधिक लोगों को नाव में नहीं बैठाने के आदेश दिए गए हैं।
मुख्य मेला मार्ग पर सीसीटीवी के जरिए निगरानी की जाएगी। साथ ही, मेला क्षेत्र में सेक्टरों की संख्या बढ़ाई जाएगी और गंगा पर पांच पंटून पुल भी बनाए जा रहे हैं। गंगा पार करने के लिए ये पुल गंगोली-शिवाला मार्ग, मोरी मार्ग, काली मार्ग, त्रिवेणी मार्ग और महावीर मार्ग पर बनाए जा रहे हैं। संगम और गंगा तट पर 24 स्नान घाट बनाए जाएंगे। इसके अलावा, गंगा के कटाव वाले स्थानों पर स्वाभाविक रूप से बने घाटों को भी विकसित किया जाएगा। मेला प्रशासन ज्यादा से ज्यादा स्नान घाट बनाना चाहता है ताकि भीड़ कुछ ही स्नान घाटों पर केंद्रित न रहे। मुख्य स्नान पर्व के ठीक 24 घंटे पहले अवरोधक लगाए जाएगे ताकि श्रद्धालु गहरे पानी में न जाएं।
लोक निर्माण विभाग ने संगम तट पर जमीन को समतल बनाने के साथ ही रास्तों का निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। इलाहाबाद के जिलाधिकारी ने मेला व्यवस्था से जुड़े सभी विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों को समय पर काम पूरा करने के निर्देश दिए हैं। मेला प्रशासन ने 79 करोड़ रुपये की मांग की थी, लेकिन शासन ने 32 करोड़ रुपये ही मंजूर किए हैं। मेले के दौरान श्रद्धालुओं के लिए निर्धारित शुल्क पर हेलिकॉप्टर सेवा शुरू करने पर भी विचार चल रहा है। इसके लिए शासन से बातचीत की जा रही है। माघ मेले में देश-विदेश से करीब दो करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। मेला प्रशासन ने मेले के दौरान करीब 10 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना जताई है।
जिलाधिकारी ने आश्वासन दिया है कि प्रमुख स्नान पर्वों पर गंगा नदी में पर्याप्त पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएंगे। घाटों का निर्माण 25 दिसंबर तक करने का लक्ष्य है। लोकनिर्माण विभाग को विभिन्न घाटों तक आने-जाने के लिए पांच पंटून पुल बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इनमें से तीन पुल तैयार हो गए हैं। सड़क निर्माण और रेत पर चलने में परेशानी न हो, इसके लिए लोहे की पटिया बिछाने की जिम्मेदारी भी लोकनिर्माण विभाग को सौंपी गई है। मेले में जलापूर्ति व जल निकासी की व्यवस्था जल निगम को, जबकि स्वास्थ्य विभाग को 60 शौचालय बनाने का कार्यभार सौंपा गया है। तीनों विभागों को 15 दिसंबर तक काम पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। मेले में रोशनी की व्यवस्था करने वाले पावर कॉर्पोरेशन, बाढ़ कार्य खंड और पुलिस विभाग को 20 दिसंबर तक काम पूरा करना होगा। मेला क्षेत्र से लगे शहरी इलाकों की विद्युत आपूर्ति क्षमता भी बढ़ाने की योजना है। पावर कॉर्पोरेशन ऐसे इलाकों को चिह्नित कर रहा है। इसके अलावा, पार्किंग एवं सौंदर्यीकरण संबंधी कार्य भी जल्द ही शुरू किए जाएंगे।
दरअसल, इस बार माघ मेला के ठीक बाद अर्ध कुंभ मेला भी है। यही वजह है कि इस बार का माघ मेला प्रशासन व श्रद्धालुओं के लिए खास मायने रखता है। मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने अर्धकुंभ की सभी तैयारियां 2018 तक पूरी करने के निर्देश दिए थे। उन्होंने अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने को कहा था कि मेले में किसी भी सूरत में न तो अव्यवस्था उत्पन्न हो और न ही श्रद्धालुओं को कोई परेशानी हो। साथ ही, प्रयाग में प्रतिवर्ष माघ मेले के साथ समय-समय पर अर्धकुंभ व महाकुंभ जैसे बड़े आयोजनों की व्यवस्था की स्थायी निगरानी के लिए मेला प्राधिकरण के गठन पर विचार करने की बात भी कही थी।
गौरतलब है कि 2 जनवरी, 2018 को पौष पूर्णिमा पर पहले स्नान के साथ माघ मेले में कल्पवास शुरू हो जाएगा। इस मेले के 6 स्नान पर्व हैं। दूसरा स्नान मकर संक्रांति यानी 14-15 जनवरी, तीसरा स्नान 16 जनवरी (मौनी अमावस्या), चौथा स्नान 22 जनवरी (वसंत पंचमी), पांचवां स्नान 31 जनवरी (माघी पूर्णिमा) और 13 फरवरी (महाशिवरात्रि) को छठे स्नान के साथ माघ मेला सम्पन्न हो जाएगा। हालांकि माघी पूर्णिमा के स्नान के बाद कल्पवासियों के चले जाने पर मेला क्षेत्र लगभग खाली हो जाता है, लेकिन प्रशासनिक दृष्टि से मेला महाशिवरात्रि तक चलता है। मेला समाप्ति के तुरंत बाद अर्धकुंभ की तैयारियां शुरू हो जाएंगी।
आगामी अर्धकुंभ के मद्देनजर कुछ अखाड़े माघ मेले में भूमि आवंटन और सुविधाओं की मांग कर रहे हैं। इनमें किन्नर अखाड़े के संस्थापक आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण भी शामिल हैं। अर्धकुंभ में दावेदारी मजबूत रहे, इसके लिए महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण ने मेला प्रशासन को मांगों की लंबी-चौड़ी सूची भी सौंपी है। हालांकि अखाड़ा परिषद् किसी भी नए अखाड़े को मान्यता देने को तैयार नहीं है। दरअसल, कुंभ और अर्धकुंम में भूमि आवंटन में उन्हीं को वरीयता दी जाती है, जिन्हें पहले से भूमि मिलती रही हो।
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