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असम में सर्बानंद सोनोवाल के नेतृत्व में बनी पहली भाजपा सरकार एक वर्ष से अधिक का कार्यकाल पूरा कर चुकी है। बांग्लादेशी घुसपैठ से बुरी तरह प्रभावित इस राज्य के लोगों ने भाजपा को बहुत
ही आस के साथ सत्ता सौंपी है। इस अवधि में सरकार द्वारा किए गए कार्यों
और आगामी योजनाओं को लेकर
अरुण कुमार सिंह ने मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल से बातचीत की, प्रस्तुत हैं इस वार्ता के प्रमुख अंश-
ल्ल इन दिनों असम के कई जिले बाढ़ से प्रभावित हैं। बाढ़ पीडि़तों के लिए सरकार क्या कर रही है?
असम के 29 जिलों के लगभग 70 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हैं। जहां भी पानी कम हो रहा है, वहां महामारी को रोकने के लिए सरकार चिकित्सा दल भेज रही है। स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव की देखरेख में इसकी बहुत पहले से तैयारी कर ली गई थी। सभी जिला आयुक्तों को कहा गया है कि वे बाढ़ से प्रभावित जगहों की जानकारी दें और उनकी रपट के आधार पर चिकित्सा से जुड़ीं टोलियां विभिन्न जगहों पर भेजी जा रही हैं। बाढ़ के बाद महामारी सबसे बड़ा संकट होती है। इसकी चपेट में आने वाले लोगों को फौरी राहत मिल जाती है तो वे लोग संकट को आसानी से झेल जाते हैं। जिन मरीजों का चिकित्सा शिविरों में इलाज नहीं हो पा रहा है, उन्हें तुरंत किसी बड़े अस्पताल में ले जाने का प्रबंध किया गया है।
ल्ल आपकी सरकार एक वर्ष का कार्यकाल पूरा कर चुकी है। आपने सबसे पहला काम कौन-सा किया?
कांग्रेस के कार्यकाल में असम के राष्ट्रीय राजमार्गों पर पांच-छह किलोमीटर की दूरी पर अवैध चुंगियां बनी थीं। हमने कैबिनेट की पहली बैठक में ही उन चुंगियों को हटाने का निर्णय लिया। दिलचस्प बात यह है कि उन चंुगियों में जो पैसा वसूला जाता था, वह सरकारी खाते में नहीं जाता था, बल्कि किसी नेता या अधिकारी के पास जाता था। इसलिए हमने सबसे पहले उन चुंगियों को हटाया। इसके बाद भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए अभियान चलाया, जो अभी भी चल रहा है। अब तक 56 सरकारी अधिकारियों को भी निलंबित किया है। फिर असम सेवा आयोग (ए.एस.सी.), जो सरकारी अधिकारियों का चयन करता है, में जारी भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए कड़ी कार्रवाई की। ए.एस.सी. के बारे में लोगों की बहुत सारी शिकायतें थीं। इसके बारे में लोगों की धारणा बन गई थी-'पैसा दो और नौकरी लो'। लोगों की शिकायतों के आधार पर ही इसके अधिकारियों के विरुद्ध साक्ष्यों के साथ कार्रवाई की गई। इसके अध्यक्ष और दो सदस्य अभी भी जेल में हैं। हमारा उद्देश्य यह है कि ए.एस.सी. के बारे में लोगों का भरोसा लौटे और उन्हें विश्वास हो कि बिना पैसा दिए योग्य व्यक्ति को नौकरी मिल सकती है। हमने यह भी तय किया है कि ए.एस.सी. के कामकाज में कोई भी दखल नहीं देगा। जैसे प्रधानमंत्री ने पूरे देश में भ्रष्टाचार के विरुद्ध अभियान चला रखा है, उसी तर्ज पर हमने भी असम में भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए अभियान चलाया हुआ है। कांग्रेस के समय में तो इतना भ्रष्टाचार था कि लोग खुलकर सांस भी नहीं ले पा रहे थे, लेकिन अब ऐसा माहौल नहीं रहा। भ्रष्टाचार के विरुद्ध अभियान छेड़ने से असम में राजस्व की वसूली 21.6 प्रतिशत बढ़ी है।
ल्ल अपने कुछ प्रमुख अभियानों और कार्यों के बारे में बताएं।
पहला अभियान है- 'अतुल अमृत अभियान'। इसके तहत प्रमुख छह गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए उन परिवारों को मदद दी जाती है, जिनकी सालाना आमदनी 5 लाख रुपए से कम है। ऐसे लोगों को 2 लाख रुपए की मदद दी जाती है। यह मदद परिवार के हर सदस्य को मिल सकती है। इसके अलावा 'मुख्यमंत्री मुफ्त जांच योजना' शुरू की गई है। इसमें गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोग सभी जिला सरकारी अस्पतालों में 56 प्रकार की जांच मुफ्त करवा सकते हैं। सी.टी. स्कैन, एम.आर.आई., कलर डॉपलर जैसी जांचें बहुत महंगी होती हैं। गरीब आदमी ये जांच नहीं करा सकता हैं। उसके लिए यह योजना वरदान है। छात्रों को मदद देने के लिए भी एक अभियान की तरह कार्य किया जा रहा है। इसके तहत स्कूल और कॉलेज के लगभग 5 लाख छात्रों को पाठ्य पुस्तकें मुफ्त में दी गई हैं। उनका दाखिला भी नि:शुल्क कराया गया है। बाढ़ में जिन छात्रों की पुस्तकें खराब हो गई हैं, उन्हें दुबारा दी जाएंगी।
ल्ल अन्य राज्यों की अपेक्षा असम में उद्योग बहुत ही कम हैं। उस क्षेत्र में कोई कदम उठाया गया है क्या?
असम को उद्योग के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं। इस कारण एक साल के अंदर 6,500 करोड़ रुपए का निवेश हुआ है। हम लोग जैविक क्षेत्र में ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। आपको ध्यान होगा कि प्रधानमंत्री ने एक बार कहा था कि पूर्वोत्तर भारत में प्राकृतिक संपदा बहुत अधिक है। इसलिए इस क्षेत्र को जैविक हब बनाना है। उनकी इस बात को ही ध्यान में रखते हुए असम को जैविक हब बनाने की कोशिश हो रही है। जितने भी निवेशक आ रहे हैं, उनसे आग्रह किया जाता है कि वे जैविक क्षेत्र में निवेश करें। पतंजलि ने अब तक 1,100 करोड़ रुपए, डाबर ने 600 करोड़ रुपए का निवेश किया है। इनके अलावा यूनीलीवर, हिन्दुस्तान जैसी कंपनियों ने भी निवेश किया है। इससे 40,000 लोगों को रोजगार मिला है। सरकार ने यह भी तय किया है कि आने वाले तीन साल में फल-फूल (औषधि वाले) के 10 करोड़ पेड़ लगाए जाएंगे। इसका उद्देश्य है ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना और पर्यटन को बढ़ावा देना। लोग फल-फूल बेच कर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं, साथ ही पशु-पक्षी के लिए भी चारा मिलेगा। असम पहले से ही प्राकृतिक रूप से सुंदर है और जब औषधि वाले पेड़ लगेंगे तो उन्हें देखने के लिए बाहर के लोग भी जाएंगे। इससे ग्रामीण पर्यटन को भी बल मिलेगा। इन पेड़ों के जरिए पर्यावरण को भी संरक्षण होगा। आजकल पर्यावरण को बचाना एक चुनौती है। मैं मानता हूं कि आने वाली पीढि़यों के लिए पर्यावरण को बचाना बहुत जरूरी है। इसलिए मेरी सरकार इस इस दिशा में भी काम कर रही है। ल्ल असम की नई उद्योग नीति की क्या विशेषताएं हैं?
प्रधानमंत्री कहते हैं पूर्वोत्तर के राज्य 'अष्टलक्ष्मी' हैं और इसलिए ये देश के विकास का इंजन बन सकते हैं। इसके लिए उन्होंने 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' यानी केवल कहने वाली नहीं, करने वाली नीति अपनाई है। उन्होंने अपने मंत्रियों को हर माह पूर्वोत्तर राज्यों में जाने को भी कहा है। इसी से पूर्वोत्तर को लेकर उनकी गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है। उन्होंने पूर्वोत्तर के राज्यों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित भी किया है। उसी प्रोत्साहन के बाद हमने 31 नए विभाग बनाए हैं। गुवाहाटी की सीमा पूरब और पश्चिम में 60-60 किलोमीटर तक बढ़ा दी गई है। उस पूरे इलाके को 'राज्य राजधानी क्षेत्र' नाम दिया गया है। गुवाहाटी में दो जुड़वां टॉवर बनने वाले हैं। विश्व विरादरी से निवेदन है कि वे अपनी व्यापारिक गतिविधियां उसी टॉवर से संचालित करें। कई देशों से अपील की गई है वे अपने कांसुलेट (वाणिज्य दूतावास) गुवाहाटी में खोलें। बांग्लादेश और भूटान ने खोल भी दिए हैं। केंद्र सरकार भारत को म्यांमार, थाईलैंड और सिंगापुर से सड़क मार्ग से जोड़ने का काम कर रही है। ब्रह्मपुत्र नदी के जरिए भी व्यापारिक गतिविधियां चालू करने की योजना है।
इन सबके केंद्र में गुवाहाटी है। यानी आने वाले समय में गुवाहाटी की पहचान वैश्विक हो जाएगी। उस नजरिए से गुवाहाटी को तैयार भी किया जा रहा है। दुनियाभर के निवेशकों को आमंत्रित करने के लिए फरवरी, 2018 में गुवाहाटी में निवेशक सम्मेलन भी आयोजित होने वाला है। सरकार की यह पूरी कवायद गुवाहाटी को 'गेटवे ऑफ साउथ ईस्ट' बनाने और असम की प्रतिभा को विदेश जाने से रोकने के लिए है।
ल्ल एक साल पहले एक जोड़ी (सर्बानंद और हेमंत बिस्वसर्मा) ने असम में इतिहास रचा था। अब वह जोड़ी क्या महसूस करती है?
मेरी सरकार 'सबका साथ, सबका विकास' की नीति पर चल रही है। जैसे प्रधानमंत्री जी ने नारा दिया है-टीम इंडिया। पहले ही दिन से असम सरकार ने 'टीम असम' का नारा दिया है। इसमें नेता, जनता और अधिकारी, कर्मचारी सभी शामिल हैं। सबके सहयोग और सहमति से असम को आगे बढ़ाया जा रहा है। मेरा लक्ष्य है असम को भ्रष्टाचार, प्रदूषण और चरमवादी तत्वों से मुक्त प्रदेश बनाना है।
ल्ल आप बांग्लादेशी घुसपैठ के विरुद्ध संघर्ष करते रहे हैं। अब वह समस्या कितनी घटी है?
इस समस्या के खात्मे के लिए मेरी सरकार गंभीरता से प्रयास कर रही है। सर्वोच्च न्यायालय की देखरेख में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एन. आर. सी.) बन रहा है। मैंने मुख्यमंत्री बनने के बाद सबसे पहले एन.आर.सी. कार्यालय का ही दौरा किया था। मेरी सरकार एन.आर.सी. बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह देश की सुरक्षा के लिए आवश्यक है। एन.आर.सी. में सिर्फ भारतीय नागरिकों के नाम रहेंगे। एक बार इसके बन जाने से घुसपैठियों की पहचान और उन्हे बाहर करने में बड़ी मदद मिलेगी। इसमें उन लोगों के नाम रहेंगे, जिनके पास भारतीय नागरिकता अधिनियम 1951 से संबंधित कागज होंगे या जो 1971 तक भारत के मतदाता बन गए होंगे। जो लोग इस तरह के कागज दे पाएंगे, वही कह सकते हैं कि वे भारतीय नागरिक हैं।
ल्ल घुसपैठियों को रोकने के लिए असम तो काम कर रहा है, पर भारत और बांग्लादेश की सीमा तो आसपास के राज्यों से भी लगती है। आपको लगता है कि वे राज्य भी इस मामले में ऐसा ही काम कर रहे हैं या आपका काम कहीं बाधित होता है?
असम के साथ बांग्लादेश की सीमा 272 किलोमीटर लंबी है। यह सीमा सात जिलों में है। 67 किलोमीटर सीमा नदियों के बीच है। आपको पता होगा कि मोदी सरकार ने बांग्लादेश के साथ एक समझौता करके सीमा विवाद को सुलझाया है। इस कारण सीमावर्ती क्षेत्रों में बाड़ लगाने का काम चल रहा है। मुख्यमंत्री बनने के बाद मैं खुद दो बार सीमावर्ती क्षेत्रों में जा चुका हूं। रात में भी वहीं रहा। वहां के लोगों से बातचीत करके उन्हें जागरूक किया। मेरा मानना है कि सीमा की सुरक्षा केवल सेना और पुलिस से नहीं हो सकती है। इसमें आम जनता की भागीदारी जरूरी है। इसलिए मेरी सरकार सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों को भी सजग कर रही है। इसके लिए विधायक और अन्य अधिकारी सीमावर्ती क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं। अब तक 100 विधायक निरंतर सीमावर्ती क्षेत्रों में जा चुके हैं। वे वहां दिन-रात रहते हैं और लोगों को सजग करते हैं। सीमा को सुरक्षित करने के लिए हम कटिबद्ध हैं। इसके लिए जो कुछ भी हो सकता है उसे किया जा रहा है।
ल्ल कई क्षेत्रों में तो स्थानीय लोगों से अधिक घुसपैठिए रह रहे हैं। ऐसे में इस समस्या को सुलझाना कितना मुश्किल है?
इस जनसांख्यिक असंतुलन को दूर करने के लिए ही मेरी सरकार ने जनसंख्या नीति बनाई है। घुसपैठिए भारतीय नागरिकों के अस्तित्व के लिए ही खतरा बन गए हैं। इसलिए हम अपने अस्तित्व, अधिकार और अपनी जमीन की रक्षा के लिए कटिबद्ध हैं। उसी दिशा में काम कर रहे हैं। घुसपैठियों से प्रभावित जगहों का निरीक्षण किया जा रहा है और उन्हें निकाला भी जा रहा है। विश्व प्रसिद्ध काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, श्री शंकरदेव की जन्मभूमि आदि जगहों से घुसपैठियों को निकाला भी गया है। घुसपैठियों को जाना ही होगा। हम यह काम करके ही रहेंगे। इसी के लिए असम की जनता ने हमें इस कुर्सी पर बैठाया है।
ल्ल असम सरकार ने संस्कृत की पढ़ाई पर जोर दिया है। इसके पीछे क्या कारण रहे?
संस्कृत सभी भारतीय भाषाओं की जननी है। इसमें सभी भारतीयों को जोड़ने की शक्ति है। हम सभी के बड़े-बुजुर्ग संस्कृत पढ़ते थे। लेकिन कुछ वर्षों से असम में संस्कृत के लिए अनुकूल माहौल नहीं था। वह माहौल अनुकूल हो इसलिए मेरी सरकार ने संस्कृत पढ़ाने का निर्णय लिया है। इसे किसी पर थोपा नहीं गया है, लेकिन जो पढ़ना चाहे, वह वंचित न रहे। इसी को सुनिश्चित करने के लिए यह निर्णय लिया गया है।
ल्ल सरकार चलाते हुए आपने अब तक किस तरह की चुनौतियों का सामना किया है?
सबसे बड़ी चुनौती है भ्रष्टाचार को खत्म करना। यह बहुत पुरानी बीमारी है। इसको खत्म न कर पाए तो इस कुर्सी पर मेरा रहना बेकार है। इसलिए मैंने कहा है कि मुख्यमंत्री कार्यालय से पंचायत कार्यालय तक, मुख्य सचिव कार्यालय से प्रखंड विकास पदाधिकारी के कार्यालय तक, पुलिस महानिदेशक के कार्यालय से पुलिस चौकी तक हर जगह से भ्रष्टाचार को निकालना होगा। यह जनता के सहयोग के बिना नहीं हो सकता है। इसलिए मैंने लोगों से आह्वान किया कि वे रिश्वत न दें और सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों से कहा कि वे रिश्वत न लेने का संकल्प लें। साथ ही मैंने यह भी कहा कि यदि सरकार की कुछ गड़बड़ी दिखती है तो तुरंत बताएं, चुप न बैठें। हालांकि यह बहुत ही कठिन लड़ाई है, लेकिन प्रधानमंत्री ने जो माहौल बनाया है उससे हम जैसों को बल मिलता है। हम
इसी बल के आधार पर भ्रष्टाचार के
विरुद्ध लड़ रहे हैं। इससे कुछ लोग जरूर तिलमिला रहे हैं, पर जनता का सहयोग मिल रहा है।
ल्ल असम की सांस्कृतिक पहचान बनाए रखने के लिए आप किस तरह के काम कर रहे हैं?
असम में सत्र (वैष्णव पूजा स्थल) का बहुत महत्व और मान्यता है। ये सत्र असम की संस्कृति और सभ्यता को सदियों से सुरक्षित रखे हुए हैं। कुछ वर्षों में विभिन्न सत्रों के आसपास संदिग्ध लोग बस गए थे। इससे उनकी पहचान को खतरा हो गया था। इसलिए संदिग्ध लोगों को वहां से हटा दिया गया है।
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