|
गत दिनों नई दिल्ली स्थित संगत भवन में 'भाई मनी सिंह गुरमत शोध एवं अध्ययन संस्थान ट्रस्ट' का उद्घाटन हुआ। साथ ही भाई मनी सिंह जी के चित्र का अनावरण भी किया गया। मुख्य अतिथि थे श्री बद्री भगत झण्डेवालान टेम्पल सोसायटी के अध्यक्ष श्री नवीन कपूर। उन्होंने कहा कि भाई मनी सिंह शहीदों के सरताज थे।
राष्ट्रीय सिख संगत के अखिल भारतीय पालक अधिकारी श्री मधुभाई कुलकर्णी ने कहा कि जब प्रत्येक व्यक्ति भाई मनी सिंह जी के समान अपनी आन-बान-शान के लिए प्राणों को न्योछावर करने के लिए तैयार होता है तब देश और समाज में से महाराजा रणजीत सिंह, सरदार हरिसिंह नलवा, बंदा सिंह बहादुर जैसे दिग्विजयी महापुरुषों का अवतार होकर खालसा राज्य (राम राज्य) की स्थापना होती है। सिख संगत के राष्ट्रीय मुख्य संरक्षक सरदार चिरंजीव सिंह ने कहा कि भाई मनी सिंह जी के समान सत्य की स्थापना का उद्देश्य ही शोध संस्थान का कार्य है।
समारोह को केंद्रीय विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश के कुलपति डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री, शिक्षाविद् डॉ. सुरजीत कौर जौली, सिख संगत के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरदार गुरचरन सिंह गिल, राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) श्री अविनाश जायसवाल आदि ने भी संबोधित किया। समारोह की अध्यक्षता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दिल्ली प्रांत के संघचालक श्री कुलभूषण आहूजा ने की। -प्रतिनिधि
''निवारण के मार्ग पर चलना ही धर्म'
गत दिनों रांची में विभिन्न मत-पंथ संप्रदायों से जुड़ीं 35 संस्थाओं के प्रतिनिधियों की एक बैठक हुई। इन लोगों का मार्गदर्शन विश्व हिंदू परिषद् के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और विहिप के समन्वय मंच के संरक्षक श्री जगन्नाथ शाही ने किया। उन्होंने हिंदू समाज को एकसूत्र में पिरोने वाले 'धर्म' शब्द की व्याख्या करते हुए बताया कि यूरोप, अमेरिका के 100 से अधिक विश्वविद्यालयों में एक ऐसी पीठ स्थापित की गई है, जिनके अनुसंधान का विषय भारत के लोगों के बीच दरार पैदा करना है। 'रिलिजन' का अर्थ पूजा-पद्धति तो हो सकता है, धर्म नहीं। धर्म का अर्थ तो मनुष्य को हर क्षेत्र में उच्चतम स्तर तक ले जाना है़, चाहे वह भौतिक हो, लौकिक हो या अलौकिक। दु:ख है, दु:ख का कारण है, कारण है तो उसका निवारण भी आवश्यक है और उसी निवारण के मार्ग पर चलने का मार्ग ही धर्म है। स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का मूल भी यही है भारत माता की संतानों के दु:खों का निवारण हो, सभी सुखी हों। इसके लिए आवश्यक है कि सारा समाज जो आज मत, पंथ, संप्रदाय में बंट गया है, अपने मूल स्वरूप यानी व्यक्ति के दु:खों से मुक्ति को मूल मानकर आपस में समन्वय बनाए। इस दुर्गम कार्य को सुगम बनाने के लिए विश्व हिन्दू परिषद् ने 'समन्वय मंच' से एक नया आयाम शुरू किया है।
गोष्ठी को विहिप, झारखंड के उपाध्यक्ष श्री ध्रुवदेव तिवारी, मंत्री श्री वीरेन्द्र साहू, संगठन मंत्री श्री केशव राजू और समन्वय मंच के प्रांत प्रमुख श्री अशोक कुमार अग्रवाल ने भी संबोधित किया। -(विसंके, झारखंड)
पश्चिम बंगाल सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन
गत 24 जुलाई को दिल्ली विश्वविद्यालय के उत्तरी परिसर में नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर फ्रंट (एनडीटीएफ) के तत्वावधान में पश्चिम बंगाल सरकार के विरुद्ध धरना और विरोध प्रदर्शन किया गया। एनडीटीएफ के अध्यक्ष ए़ के. भागी ने बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर राकेश सिन्हा के विरुद्ध पश्चिम बंगाल में दायर की गई एफआईआर का विरोध करने के लिए यह प्रदर्शन किया गया। उन्होंने कहा कि प्रो़ राकेश सिन्हा पर दायर की गई एफआईआर पूर्णत: गलत है, उन्होंने कभी भी किसी मजहब या जाति के खिलाफ अपमानजनक बातें नहीं कीं। राज्यसभा सांसद रूपा गांगुली ने कहा कि ममता बनर्जी ने तो 'दीदी' शब्द को ही शर्मसार कर दिया है।
प़ बंगाल में अपराध की घटनाएं पुलिस रिकॉर्ड में बहुत कम हो गई हैं। इसका अर्थ यह नहीं है कि वहां अपराध नहीं हो रहे, जबकि वास्तविकता यह है कि वहां अपराधों की रपट पुलिस द्वारा दर्ज ही नहीं की जा रही है। राज्य में हिंदुओं के साथ ज्यादती हो रही है और ज्यादती करने वालों को पश्चिम बंगाल सरकार का संरक्षण प्राप्त है। धरने की समाप्ति पर एनडीटीएफ के एक प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली के उपराज्यपाल को ज्ञापन सौंप कर प्रो़ राकेश सिन्हा के खिलाफ दर्ज एफआईआर वापस लेने की मांग की। धरने में दिल्ली विश्वविद्यालय के लगभग 500 छात्र और प्राध्यापक शामिल थे।
24 जुलाई को ही राष्ट्रीय समाज विज्ञान परिषद की एक बैठक प्रो़ पी़ वी. कृष्ण भट्ट की अध्यक्षता में हुई। बैठक में प्रो़ राकेश सिन्हा के विरुद्ध दर्ज झूठी एफआईआर की भर्त्सना की गई। सभी सदस्यों ने एक मत से इस कृत्य को प्रजातांत्रिक मूल्यों की हत्या एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दमन बताया। राष्ट्रीय समाज विज्ञान परिषद राष्ट्रवादी समाज विज्ञानियों का संगठन है, जो समय-समय पर राष्ट्रहित के समाज विज्ञान से संबंधित विषयों पर गंभीर विचार-विमर्श करता है। -प्रतिनिधि
टिप्पणियाँ