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केंद्र सरकार को 3 से ज्यादा साल हो चुके हैं और मीडिया के एक वर्ग में बहुत बेचैनी है। यह बेचैनी वैसे पहले से ही थी, पर अब यह बढ़ती जा रही है। 2019 लोकसभा चुनाव करीब आ रहे हैं और सरकार में एक भी घोटाला या कांड सामने नहीं आया। ऐसे में ऊल-जलूल आरोपों और झूठी खबरों की झड़ी लग गई है। केवल चैनल और अखबार ही नहीं, इन दिनों कई समाचार वेबसाइट भी ऐसे तिल की तलाश में हैं जिसे वे ताड़ बना सकें, जिसके सहारे चुनाव में मनमुताबिक सरकार दिल्ली में स्थापित हो सके। इसी इरादे से नए-नए विवाद गढ़े जा रहे हैं। इराक में 39 भारतीयों के मुद्दे पर इंडिया टुडे और आज तक चैनल की रिपोर्ट इसी का हिस्सा मालूम होती है।
चैनल की संवाददाता ने इराक में किसी स्थान पर खड़े होकर दावा किया कि ''उसके पीछे वो जेल है जिसमें 39 भारतीय कैद थे। अब जेल तहस-नहस हो चुकी है। यानी सभी भारतीय मारे जा चुके हैं।'' चूंकि चैनल को ऐसा लगता है, इसलिए उन्होंने मान लिया कि सरकार देश को गुमराह कर रही है। उसे बिना देरी भारतीयों को मृत घोषित कर देना चाहिए। इराक के विदेश मंत्री ने भी कहा कि भारतीयों की मौत की कोई जानकारी नहीं है। लेकिन चैनल ने मानो उनकी मौत को नाक का सवाल बना लिया। मीडिया ने इस मामले में जिस तरह से तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर रखा, उससे कहीं न कहीं उसकी नीयत पर संदेह ऐसे होता है। सरकार को लेकर विवाद खड़ा करने की नीयत से ऐसी झूठी खबरें सामने आ रही हैं।
सरकार से नफरत का आलम यह है कि कुछ मीडिया समूह और पत्रकार अपने हर कुकर्म का ठीकरा उस पर फोड़ने में जुटे हैं। एनडीटीवी को करोड़ों रुपये के हवाला मामले में दोषी पाया गया तो इसके लिए केंद्र सरकार दोषी है। इकोनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली मैगजीन के संपादक परंजॉय गुहा ठाकुरता ने एक कारोबारी समूह के खिलाफ झूठी खबर छापी और पत्रिका प्रबंधन ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया, इसके लिए मोदी को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश हुई। मराठी चैनल टीवी-9 ने कम टीआरपी के कारण एक राजनीतिक दल के प्रायोजित पत्रकार का कार्यक्रम बंद कर दिया तो उसमें भी केंद्र सरकार का ही हाथ है। इस तरह की बेसिर-पैर की बातों ने जनता की नजर में मीडिया और पत्रकारों की विश्वसनीयता को बहुत नुकसान पहुंचाया है।
उधर, चीन के साथ तनातनी में भारतीय मीडिया के एक खास वर्ग पर ज्यादा नजर रखने की जरूरत है। पिछले 10-20 दिनों में कई लेख और खबरें प्रकाशित हुईं, जो शक पैदा करती हैं कि सीमा से पहले चीन भारतीय मीडिया में घुसपैठ कर चुका है। खास तौर पर वामपंथी पत्रकार खुलकर चीन के पक्ष में माहौल बना रहे हैं। पर तब हद हो गई जब चीन की सरकारी मीडिया के भारत विरोधी बयानों को जस का तस छापा या दिखाया जाने लगा। कुछ अखबार, चैनल एवं पत्रकार सिक्किम के डोकलाम को लगातार 'विवादित क्षेत्र' बता रहे हैं। यह खतरनाक स्थिति है जब मीडिया का एक वर्ग चीन के दुष्प्रचार को भारत में फैलाने में मदद कर रहा है।
बिहार में सियासी उलटफेर से पत्रकारों का एक वर्ग खास तौर पर तिलमिलाया हुआ है। भ्रष्टाचार मामले में घिरे लालू यादव का महिमामंडन करने वाले इस वर्ग को यह बदलाव निजी हार लग रहा है। इसकी छाप लगभग सभी चैनलों पर चल रहे विश्लेषणों में दिखाई दी। यह तय है कि आने वाले दिनों में बिहार में भाजपा-जदयू के गठबंधन पर हमले और बढ़ेंगे। इसकी शुरुआत क्रांतिकारी चैनल ने कर दी, जिस पर बिहार की तुलना कश्मीर से की गई। एक प्रवक्तानुमा एंकर ने कहा, ''बिहार में जनादेश के साथ खिलवाड़ हुआ है और इसका नुकसान हम कश्मीर में आज तक देख रहे हैं।''
कथित गोरक्षकों की हिंसा पर पूरे हिंदू समाज को बदनाम करने वालो मीडिया कांवडि़यों पर होने वाले हमलों पर चुप रहा। बरेली में मुसलमानों के मोहल्लों में कांवडि़यों पर पथराव हुआ और कई लोग बुरी तरह घायल भी हुए। लेकिन पूरा मामला मीडिया से लगभग गायब रहा। इसमें किसी को धार्मिक असहिष्णुता नहीं दिखी। जितनी तेजी से इस्लामी आतंकवाद बढ़ा है, उससे भी अधिक तेजी से उन्हें पीडि़त साबित करने की कोशिशें भी बढ़ी हैं। एनडीटीवी ने खबर दिखाई कि लंदन के मेट्रो स्टेशन पर मुस्लिम महिला का हिजाब खींचकर उसके साथ बदसलूकी की गई। एक हफ्ते पहले यही खबर वहां के मीडिया में फर्जी साबित हो चुकी थी। समझा जा सकता है कि फर्जी खबर दिखाने के पीछे उसकी मंशा क्या है।
सरकारी पैसे से चलने वाले राज्यसभा टीवी ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस पर एक कार्यक्रम दिखाया। इसमें कुछ भाड़े के बुद्धिजीवियों के सहारे उन्हें वामपंथी विचारों वाला साबित कर दिया गया। कार्यक्रम में राष्ट्रवाद की खिल्ली उड़ाई गई। वक्ताओं ने वीर सावरकर पर अपमानजनक टिप्पणियां कीं। राज्यसभा टीवी अभी तक कांग्रेसी और वामपंथी प्रभाव में है। यहां के कई पत्रकार भी अपनी खुली राजनीतिक निष्ठाओं के लिए जाने जाते हैं। उम्मीद है, उपराष्ट्रपति चुनाव के बाद राज्यसभा टीवी पर चल रहे एजेंडा पत्रकारिता से देश को छुटकारा मिलेगा। ल्ल
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