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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस का एक गांव है जयापुर। अपने विकास के लिए आज यह गांव देश-दुनिया में चर्चित है। यह गांव दिसंबर 2014 में उस समय चर्चा में आया जब प्रधानमंत्री ने इसे सांसद ग्राम योजना के तहत गोद लिया। गोद लेने के बाद ही प्रधानमंत्री ने यहां के सबसे पिछड़े 13 परिवारों के लिए घर बनवाए। ये परिवार मुसहर जाति से हैं। ये लोग भूमिहीन हैं। ग्राम पंचायत की जमीन पर झोंपड़ी बनाकर वर्षों से रहते थे और दूसरे के खेतों पर काम करते थे। ये लोग जिस जगह पर रह रहे थे, वहीं प्रधानमंत्री की पहल से इन लोगों के लिए पक्के मकान बनवाए गए। एक कमरे वाले इन घरों के साथ एक रसोईघर, शौचालय, आंगन और बरामदा है। हर घर की छत पर सौर ऊर्जा का संयंत्र लगा है। इससे इन्हें बिजली मिलती है। खेतों के बीच बने ये सभी घर एक कतार में हैं और सामने एक पार्क भी विकसित किया गया है। इस जगह का नामकरण पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटलबिहारी वाजपेयी के नाम पर 'अटल नगर' किया गया है। जिन्हें घर मिला है, वे लोग बड़े खुश हैं।
जयापुर गांव में 811 परिवार रहते हैं। इसकी कुल आबादी है 4,200। गांव के मुखिया नारायण पटेल कहते हैं, ''करीब दो वर्ष में ही गांव की सूरत बदल गई है। डाकखाना, बैंक, औषधालय, आंगनवाड़ी केन्द्र, जो भी गांव वालों को चाहिए वे सभी सुविधाएं मिल गई हैं।'' उन्होंने यह भी बताया कि गांव में 25-25 के.वी. के दो सौर ऊर्जा संयंत्र भी लगाए गए हैं और गांव की सभी गलियों में रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था कर दी गई है। पटेल ने यह भी बताया कि गांव से बनारस तक के लिए एक बस भी चलाई गई है। इससे गांव के लोगों, खासकर पढ़ने के लिए बनारस जाने वाले बच्चों को बड़ी सुविधा हो रही है। लड़कियां भी पढ़ने के लिए बेहिचक बनारस जाने लगी हैं। नारायण के अनुसार गांव में अब दो ही काम बचे हैं। एक, शौचालय का निर्माण और दूसरा हर घर तक पानी पहुंचाना। इस क्षेत्र में भी 80 से 90 प्रतिशत काम हो चुका है। 500 शौचालय बन चुके हैं और अब केवल 100 शौचालय बनवाने हैं। काम जारी है। बाकी घरों में पहले से ही शौचालय हैं। 100 शौचालयों के निर्माण के साथ ही गांव का हर घर शौचालय-युक्त हो जाएगा। पूरे गांव में पानी की आपूर्ति के लिए 2,00,000 लीटर क्षमता वाली एक टंकी का निर्माण भी जल्दी पूरा होने वाला है।
सांसद ग्राम योजना के तहत विकसित हुए इस गांव की एक खासियत यह भी है कि यहां के जो लोग बाहर कामकाज कर रहे हैं, वे गांव वापस आना चाहते हैं। उन्हें लगता है कि अब गांवों के विकास पर विशेष जोर दिया जा रहा है। ग्रामोदय के तहत हो रही यह अनूठी पहल वाकई स्वागतयोग्य है।
जयापुर, बनारस, उत्तर प्रदेश
स्थान : बनारस से 30 कि.मी. दूर
जनसंख्या: 4,200
प्रयास : गांव के 13 भूमिहीन परिवारों को मकान, उन मकानों के लिए सौर ऊर्जा का संयंत्र। इसके अलावा गांव की सभी गलियों में रोशनी की समुचित व्यवस्था, बैंक, डाकखाना, आंगनबाड़ी केन्द्र, औषधालय का संचालन। जयापुर से बनारस तक के लिए बस सुविधा। गांव में 2,00000 लीटर क्षमता वाली पानी की टंकी।
अरुण कुमार सिंह
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