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लोगों का मानना है कि आज से तीस वर्ष पहले शाह बानो को इंसाफ मिल गया होता तो आज शायराबानो को तलाक के खिलाफ देश की सबसे बड़ी अदालत में नहीं जाना पड़ता। उल्लेखनीय है कि 1978 में पांच बच्चों की मां शाहबानो को उनके पति ने तलाक देकर घर से बाहर कर दिया था। पति से गुजारा भत्ता लेने के लिए शाहबानो ने 1985 में सर्वोच्च न्यायालय में मुकदमा दायर किया था। न्यायालय ने उनके पक्ष में निर्णय देते हुए उनके पति से गुजारा भत्ता देने को कहा था। उस समय कट्टरवादी तबके के इस फैसले पर विरोध के आगे तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी झुक गए और 1986 में न्यायालय के इस फैसले को पलटने के लिए संसद से मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकार संरक्षण) अधिनियम, 1986 पारित करवाया।
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