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पू. बंगाल के हिन्दुओ ं को भारत आने से न रोका जाए
पाक-अधिकृत कश्मीर मुक्त कराया जाए:
बंगाल-बिहार का विलय अनुचित
अखिल भारतीय जनसंघ प्रतिनिधि सभा के निर्णय
(निज प्रतिनिधि द्वारा)
जयपुर: अखिल भारतीय जनसंघ की प्रतिनिधि सभा ने कश्मीर, गोआ, पूर्वी बंगाल, बिक्रीकर, राज्य पुनर्गठन, सुरक्षा तथा पंचवर्षीय योजना के संबंध में अत्यंत महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए।
पू. पाकिस्तान की हिन्दू
प्रतिनिधि सभा ने पूर्वर्ी बंगाल से हिन्दुओं के निष्क्रमण के सम्बंध में पारित प्रस्ताव में कहा कि 'पूर्वी बंगाल के हिन्दुओं के निष्क्रमण के सम्बंध में भारत सरकार ने अपनी नीति में जो अचानक परिवर्तन किया है, उससे जनसंघ को गहरा धक्का लगा है। जान पड़ता है कि पाकिस्तान के इशारे पर उसके भारत स्थित उच्चायुक्त श्री गजनफर अली खां ने 'सीमा को मोहरबन्द' करने की जो पुकार मचाई थी, उसके बाद भारत के ढाका स्थित उप उच्चायुक्त को गुप्त आदेश जारी कर दिए गए जिसके अनुसार पाकिस्तान की असहनीय परिस्थिति से, विशेषकर इस्लामी गणराज्य की घोषणा से संत्रस्त हिन्दुओं को भारत आने के प्रमाण-पत्र देने पर नियंत्रण लगा दिया गया, जिसका लक्ष्य हिन्दुओं के आगमन को सीमित करना था।'
प्रस्ताव में आगे कहा गया है, ''पूर्वी बंगाल के हिन्दुओं के निष्क्रमण पर लगाया गया वर्तमान प्रतिबन्ध इस्लामी गणराज्य में खुलकर खेलने वाली साम्प्रदायिक शक्तियों के सम्मुख एक लज्जास्पद समर्पण है और इसका परिणाम यही होगा कि पूर्वी बंगाल में या तो हिन्दू नामशेष हो जाएंगे या उन्हें बलात इस्लाम स्वीकार करना पड़ेगा।''
पं. नेहरू का 'कश्मीर-विभाजन' संबंधी प्रस्ताव महान विश्वासघात
जब तक कश्मीर की इंच-इंच भूमि पाक -लुटेरों के चंगुल से मुक्त नहीं होती, जनसंघ चैन न लेगा
अ.भा. प्रतिनिधि सभा की बैठक में जनसंघ-अध्यक्ष श्री घोष की घोषणा, कार्यमुक्त अध्यक्ष श्री डोगरा द्वारा राष्ट्रीय एकता पर जोर
(निज प्रतिनिधि द्वारा)
जयपुर। ''युद्धविराम-रेखा पर कश्मीर के बंटवारे का सुझाव देकर नेहरू जी ने न केवल अनीतिमत्ता का परिचय दिया है, अपितु भारत के कश्मीर के साथ, भारत के उन वीर सपूतों के साथ, जिन्होंने कश्मीर की रक्षा में अपना रक्त बहाया और कश्मीर की उस जनता के साथ, जिसने मदान्ध पाकिस्तानियों का डट कर मुकाबला कर उनके दांत खट्टे कर दिए, महान विश्वासघात किया है।'' ये शब्द अखिल भारतीय जनसंघ के नवनिर्वाचित अध्यक्ष प्रिंसिपल देवप्रसाद घोष ने जनसंघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष पद से भाषण करते हुए कहे।
श्री घोष जिस समय कार्यमुक्त प्रधान पं. प्रेमनाथ डोगरा व महामंत्री पं. दीनदयाल उपाध्याय के साथ दिल्ली से यहां पधारे, स्टेशन पर आपका भव्य स्वागत किया गया। संसद-सदस्य बैरिस्टर उमाशंकर त्रिवेदी ने तीनों ही नेताओं को पुष्पमालाएं अर्पित कीं। तत्पश्चात् एक भव्य जुलूस के रूप में उन्हें ठहरने के स्थान पर पहुंचाया गया।
सम्मेलन के अवसर पर श्री घोष ने अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए कहा: ''आपने इस वर्ष के लिए मुझे भारतीय जनसंघ का प्रधान चुनकर मेरे प्रति जो विश्वास प्रकट किया है, उसके लिए मैं आपका हृदय से आभारी हूं। इस सम्मानपूर्ण पद के साथ जो महान उत्तरदायित्व मेरे ऊपर आया है, मैं उसकी गुरुता का अनुभव करता हूं। भारत माता के महान सपूत तथा बलिदानी देशभक्त स्वर्गीय डाक्टर श्यामाप्रसाद मुखर्जर्ी द्वारा स्थापित तथा उनके 'जीवन-रक्त' से सिंचित इस महान राष्ट्रीय संगठन को कश्मीर केसरी पण्डित प्रेमनाथ डोगरा के नेतृत्व का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ है। इन महान नेताओं की परम्परा का निर्वाह करना मेरे जैसे समान्य व्यक्ति के लिए एक गुरुत्तर कार्य है। आप सबके सहयोग के बिना मैं इस भार को वहन नहीं कर सकूंगा। मेरी आपसे यही विनम्र प्रार्थना है कि आप मुझे अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करें।''
वर्तमान परिस्थिति-
आज की परिस्थितियों का वर्णन करते हुए आपने आगे कहा, ''भारतीय संस्कृति तथा मर्यादाओं के आधार पर राष्ट्र का पुनर्निर्माण करने से ही हम अपनी स्वतंत्रता का समुचित उपयोग कर वास्तविक सुख-समृद्धि तथा शान्ति का उपयोग कर सकते हैं। इन विचार को सम्मुख रखकर ही भारतीय जनसंघ की स्थापना हुई। भारतीय जीवन-मूल्यों की रक्षा के लिए जनसंघ पिछले पांच वषोंर् से रचनात्मक एवं संघर्षात्मक दोनों ही रूप से प्रयत्नशील है।'' भविष्य में हमें अपने प्रयत्नों की पराकाष्ठा करनी होगी, क्योंकि कांग्रेस शासन ने अपने कार्यकाल में जो स्थितियां अपनाई हैं, उनसे देश की समस्याएं सुलझने के बजाय और उलझी हैं।'' वर्ष: 9 अंक: 40 30 अप्रैल ,1956
खेती एवं पशुधन
''जिस प्रकार गोबर खाद का प्रश्न पशु धन से जुड़ा है, उसी प्रकार हल या ट्रैक्टर का प्रश्न भी पशुधन के साथ ही निहित है। हमारे देश में खेत आकार में बहुत छोटे-छोटे हैं। अत: यांत्रिकीकरण पद्धति से अर्थात् ट्रैक्टर चलाकर उन्हें जोतना संभव नहीं। इसके अतिरिक्त ट्रैक्टर का प्रयोग किया तो बैल निरुपयोगी हो जाएंगे और देश में प्राकृतिक खाद एवं ईंधन की समस्या भी खड़ी होगी। हमारे देश में खेती के लिए प्रति हेक्टेयर .36 अश्वशक्ति ऊर्जा प्रयुक्त होती है। इसमें यंत्र शक्ति, मनुष्य शक्ति, पशु शक्ति आदि का समावेश है। इससे स्पष्ट हो जाएगा कि (गोबर) खाद तथा (गोबर गैस) ईंधन उपलब्ध कराने की भांति ऊर्जा शक्ति की दृष्टि से भी हमारे देश के कृषि उद्योग में पशुधन का योगदान कितना बड़ा है।''-पं. दीनदयाल उपाध्याय (पं. दीनदयाल उपाध्याय विचार-दर्शन खण्ड-1, पृष्ठ संख्या-58)
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