'धर्म भारत को ईश्वर प्रदत्त उपहार'
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'धर्म भारत को ईश्वर प्रदत्त उपहार'

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Jan 11, 2016, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 11 Jan 2016 12:33:29

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विश्व में संचालित शाखा हिन्दू स्वयंसेवक संघ के पांच दिवसीय ''विश्व संघ शिविर-2015'' का समापन हो गया। शिविर के समापन की पूर्वसंध्या पर पांच दिवसीय शिविर में प्राप्त प्रशिक्षण का शिविरार्थियों ने प्रस्तुतीकरण किया़ परम पवित्र भगवा ध्वज के आरोहण के उपरांत एकात्मता मंत्र, बाल गीत, योगचाप (लेजियम), योग, नियुद्घ, घोष का प्रदर्शन स्वयंसेवकों एवं सेविकाओं ने किया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत का शिविरार्थियों को दो दिनों तक मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। एमराल्ड हाईट्स के सभागृह में आयोजित समापन कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि ऐसे शिविर के पश्चात् स्वयंसेवक पूछते हैं कि हमारा कार्य कितने देशों में है? हिन्दू स्वयंसेवक संघ (एचएसएस) के माध्यम से स्वयंसेवक के नाते वे विभिन्न देशों में कार्य करते हैं। संघ बढ़ रहा है, बाहर के देशों में जा रहा है। भारत की कई संस्थाएं विभिन्न देशों में हैं। यह कोई अनहोनी नहीं है। विश्व में अपने कार्य की भूमिका व अर्थ को समझना होगा। समस्यामुक्त कोई देश नहीं है। समस्याओं के मूल में कारण क्या है, इसे समझना होगा। जहां संघर्ष है, वहां विनाश है। विकास प्रारंभ होता है, तो पर्यावरण के आन्दोलन आरंभ हो जाते हैं। व्यक्ति और समूह की उन्नति साथ नहीं चलती। वहां विषमता दिखती है। स्वतंत्रता और समता भी साथ नहीं चलते। विश्व की सभी समस्याओं के मूल में यही है। दोनों को साथ लाने का रास्ता धर्म दिखाता है। अंग्रेज हमारी अच्छी बातें समाप्त कर स्वयं ले गए। हमारी साक्षरता का प्रतिशत पहले 70 था, इंग्लैण्ड का प्रतिशत 17 था। वे हमारी शिक्षा को अपनाकर 70 प्रतिशत साक्षर हुए। उनकी दृष्टि थी कि भारत का स्वाभिमान न बचे, भारतीय सदा गुलाम बने रहें। श्री मोहनराव भागवत ने कहा कि हम सभी बातों में अग्रणी थे, विज्ञान और व्यापार साथ चलते थे। भारत सोने की चिडि़या कहलाता था।  कोई भिखारी नहीं था। महीनों घरों के द्वार खुले रहते थे। वैभव, नीति, सामर्थ्य साथ थे। हमने विध्वंस नहीं किया। शक्ति के उपरांत भी किसी को लूटा नहीं। हमने संस्कृति, मूल्य, धर्म व गणित दिया। यही धर्म सभी को साथ चलाता है। यह भारत को ईश्वर प्रदत्त उपहार है। इसीलिए संघ के कार्यकर्ता विश्व में कार्य करते हैं। 'अपने-अपने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ' गठित करें। हम नाम के लिए कार्य नहीं करते। दुनिया जो संस्कार भूली, उसे पुन: प्राप्त करें। इसके निर्वाह हेतु हिन्दू समाज को खड़ा करना है। हिन्दू जीवन से उन्हें अपनी समस्याओं का हल दिखे।
हिन्दू जहां भी गए, उन्होंने वहां हमारी संस्कृति के राजदूत की तरह कार्य किया। दुनिया से भी अच्छा स्वीकारें। चहुं और भारत मां की जय गूंजे। जो जहां भी है, वे वहां महान ईश्वरीय कार्य करे। अपना श्रेष्ठतम योगदान दे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जाने-माने वैज्ञानिक इसरो के पूर्व अध्यक्ष माधवन नायर थे। उन्होंने कहा कि दुनिया के देशों से आए हिन्दू स्वयंसेवक संघ के शिविरार्थी पूरी दुनिया में भारतीय संस्कृति का प्रसार कर रहे हैं। भारतीय आयुर्वेद व योग ने आज दुनिया में प्रतिमान स्थापित किए हैं। चिकित्सा विज्ञान में प्लास्टिक सर्जरी के प्रयोग सर्वप्रथम भारत में हुए। अंतरिक्ष एवं परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भारत आज दुनिया की शक्ति है।
 हमें अपनी शक्ति पर गर्व है। वर्तमान परिदृश्य में हर क्षेत्र में हमने उपलब्धि प्राप्त की है। विज्ञान के माध्यम से हम कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याएं हल कर सकते हैं। प्राकृतिक साधनों का सदुपयोग कर आगे बढ़  सकते हैं।
कार्यक्रम में सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी, राष्ट्रसेविका समिति की प्रमुख संघचालिका सुश्री शांताताई, पंजाब पुलिस के पूर्व प्रमुख पीसी डोगरा तथा विभिन्न देशों के संघचालक, संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य भी उपस्थित थे।
कार्यक्रम के पश्चात् पत्रकार वार्ता भी आयोजित की गई, जिसमें विश्व विभाग द्वारा किए जा रहे कायोंर् का विवरण प्रस्तुत किया गया़ अतिथियों का परिचय विश्व विभाग के राम वैद्य द्वारा दिया गया। संतोष एवं रमानी डोका द्वारा गीत प्रस्तुत किया गया। गोपाल गोयल द्वारा आभार प्रदर्शित किया गया।    -इंदौर विसंकें

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