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हमें विदेशी वस्तुओं से ज्यादा स्वदेशी उत्पादों पर यकीन करना चाहिए। दुनिया में चाहे जो रहा हो, हमें अपनी संस्कृति और सभ्यता को नहीं भूलना चाहिए। हमारा लक्ष्य कम मूल्य पर बेहतर गुणवत्ता के उत्पाद उपलब्ध करवाना हैं।
-स्वामी रामदेव, योगगुरु
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जहां भी गए वहां अपने देश और देश में बनी वस्तुओं का खूब प्रचार-प्रसार किया। रक्षा क्षेत्र से लेकर विभिन्न क्षेत्रों में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए योजनाएं शुरू कीं। भारत में भी विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों की चीजों की बजाय देश में बने उत्पादों को अपनाने का चलन बढ़ा। इस दिशा में संकल्प करके उद्यमियों ने अपने कारोबार में स्वदेशीकरण को बढ़ावा देना शुरू कर दिया।
यदि गौर करें तो भारत ने रक्षा क्षेत्र में हथियारों का निर्माण शुरू कर न केवल आत्मनिर्भरता की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाया, बल्कि कभी हथियारों का आयात करने वाला देश निर्यातक की श्रेणी में आ गया। आज विदेशी कंपनियां बढ़-चढ़ कर भारत में निवेश के लिए आगे आ रही हैं। प्रधानमंत्री की स्वदेशी अपील का ही असर है, जो कि दीपावली के अवसर पर चीनी बिजली की लडि़यों की बिक्री इस बार फीकी रही। दिल्ली स्थित लक्ष्मीनगर में विक्रांत इलेक्ट्रिक कंपनी के मालिक राजीव दुआ बताते हैं कि इस बार चीन द्वारा निर्मित बिजली उत्पादों का उनके यहां मात्र 20 फीसद ही कारोबार हो सका। वे बताते हैं कि दुकान पर आने वाले ग्राहकों की पहली पसंद देश में निर्मित उत्पाद थे जिस कारण दीपावली के अवसर पर चीनी बिजली का सामान पहले के मुकाबले नहीं बिका।
स्वदेशी को बढ़ावा देने में सबसे अहम भूमिका योगगुरु स्वामी रामदेव की रही है। उन्होंने आयुर्वेदिक औषधियों से लेकर खाद्य वस्तुओं में विदेशी खाद्य पदार्थों को बाजार से काफी हद तक बाहर का रास्ता दिखाया है। आज दैनिक उपभोग की वस्तुओं में दंत मंजन से लेकर तेल और आटा भी बाजार में आने से बड़े बाजारों और मॉल में लोगों की मांग पतंजलि की वस्तुओं के प्रति तेजी से बढ़ी है। पतंजलि ने देशी-विदेशी प्रतिद्वंद्वी कंपनियों को टक्कर देनी शुरू कर दी है।
पतंजलि ने बाजार में आटा नूडल्स उताकर दूसरी नामी कंपनियों का कारोबार सीमित कर दिया। आज दिल्ली सहित दूसरे बड़े शहरों के मॉल में पतंजलि द्वारा निर्मित स्वदेशी खाद्य वस्तुओं की मांग बढ़ चुकी है। पतंजलि विदेशी बाजार में भी अपनी वस्तुएं उतारने की तैयारी में है। स्वदेशी को बढ़ावा देने के लिए जल्द ही पतंजलि देश के विभिन्न शहरों में मेगा स्टोर खोलने की तैयारी कर रहा है। विशेष बात यह है कि पतंजलि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) से हुए करार के तहत सेना के जवानों के लिए विशेष पेय और खाद्य पदार्थ तैयार करेगा। आज बाजार में स्वदेशी के रूप में पतंजलि द्वारा निर्मित उत्पादों की बाजार में पकड़ बन चुकी है। इसके बाजार में 45 से अधिक कॉस्मेटिक उत्पाद हैं जिनमें साबुन, शैंपू और बाम तक शामिल हैं। खाद्य पदार्थों में घी, च्यवनप्राश, तेल, आटा, रस, बिस्कुट, आटा, मसाले, चीनी और शहद भी बाजार में उपलब्ध है। पतंजलि का वार्षिक कारोबार आज करोड़ों में पहंुच गया है।
देश में स्वदेशी अभियान को आगे बढ़ाने में इमामी भी पीछे नहीं है। 10 हजार करोड़ रुपए का सालाना कारोबार करने वाली यह कंपनी चार दशकों से विदेशी कंपनियों को कड़ी टक्कर देती आ रही है। सौंदर्य प्रसाधन के क्षेत्र में बाजार में पकड़ बनाने वाली इस कंपनी ने ही पहली बार पुरुषों की पहली फेयरनेस क्रीम बनाई थी। इमामी समूह के मालिक राधेश्याम अग्रवाल और राधेश्याम गोयनका ने मिलकर 1974 में इसकी शुरुआत की थी। स्वदेशी उत्पाद को बढ़ावा देने वाली इस कंपनी की ओर से गत माह चेन्नै में आई बाढ़ में पीडि़तों की सहायता हेतु 50 लाख रुपए देकर आर्थिक मदद की। स्वदेशी की दिशा में सूर्या फूड एंड एग्रो, प्रिया गोल्ड लिमिटेड ने भी बाजार में अपनी पकड़ बरकरार रखी है।
प्रिया गोल्ड के बिस्कुट, टॉफी, जूस, चिप्स और केक की बाजार में खूब पैठ बन चुकी है। यहां तक की ब्रिटेन, दुबई, नेपाल और अफ्रीका जैसे देशों में इस कंपनी द्वारा भारत में निर्मित उत्पादों का निर्यात किया जा रहा है। समूह के मालिक बल्लभप्रसाद अग्रवाल की कंपनी करीब 1200 करोड़ रुपए का सालाना कारोबार कर रही है।
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