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हरियाणा में 1000 पुरुषों पर केवल 857 महिलाएं हैं
मानव सभ्यता को बचाने के लिए बेटियों को बचाना आवश्यक है। यदि बेटियां नहीं रहेंगी तो यह सृष्टि आगे कैसे बढ़ेगी? पूरी मानव सभ्यता का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा। — सुनील जगलान, जनक, 'सेल्फी विद डॉटर' अभियान
'सेल्फी विद डॉटर' अभियान की प्रशंसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार ब्रिटेन के वेंबले स्टेडियम से दिए अपने भाषण में की। उस समय प्रधानमंत्री को भी शायद यह अंदाजा नहीं होगा कि 'सेल्फी विद डॉटर' अभियान इस वर्ष सोशल मीडिया पर सबसे अधिक लोकप्रिय होगा। इसका असर भी दिखा। पूरे भारत में 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' मुहिम का प्रभाव दिखा। कन्याभ्रूण हत्या के विरुद्ध लोगों में जागरूकता बढ़ी। 'सेल्फी विद डॉटर' अभियान के जनक सुनील जगलान माने जाते हैं। जगलान हरियाणा के जींद जिले के बीबीपुर गांव के मुखिया हैं और अनेक सामाजिक काया से भी जुड़े हैं। उन्होंने जींद में ही इस वर्ष के जून माह में इस अभियान की शुरुआत की। इसके बाद तो जगलान पर इस अभियान को लेकर जुनून सवार हो गया। वे कहते हैं कि प्रधानमंत्री की प्रशंसा ने मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। मानव सभ्यता को बचाने के लिए बेटियों को बचाना आवश्यक है। यदि बेटियां नहीं रहेंगी तो यह सृष्टि आगे कैसे बढ़ेगी? पूरी मानव सभ्यता का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा। जगलान का मानना है कि 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान को प्रोत्साहन देने के लिए और काम करने की आवश्यकता है। जगलान 'सेल्फी विद डॉटर' पर एक पुस्तक लिख रहे हैं, जिसमें लैंगिक असमानता के कारण पैदा हुई समस्याओं से निपटने की खातिर इस मुद्दे से जुड़े सभी पहलुओं पर विचार किया जाएगा और विशेषकर हरियाणा के बारे में बात की जाएगी, जहां लड़कियों की इतनी कमी है कि वहां के युवकों को अन्य राज्यों से दुल्हन लानी पड़ती है। उल्लेखनीय है कि हरियाणा में महिला-पुरुष अनुपात सबसे कम है। वहां 1000 पुरुषों पर केवल 857 महिलाएं हैं। इस कारण हरियाणा के लड़कों को विवाह करने के लिए अन्य राज्यों, विशेषकर दक्षिण भारत के राज्यों की ओर जाना पड़ता है।
समाजसेवी भूषणलाल पाराशर का मानना है कि 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान को गांव-गांव तक ले जाने की जरूरत है। इसके लिए वे 'महिला एवं बाल विकास विभाग' से स्वतंत्र एक अलग विभाग की स्थापना पर जोर देते हैं। यह विभाग केवल बेटी बचाओ अभियान को आगे बढ़ाए।
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