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दिखता जमीन पर असर…

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Jan 4, 2016, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 04 Jan 2016 13:24:00

 

वर्ष 2015 में स्पष्ट तौर पर प्रशासनिक चुस्ती देखने को मिल रही है। कोयला खदान व स्पेक्ट्रम आवंटन के क्षेत्र में तो सरकार ने बड़ी ही पारदर्शिता से नीलामी की है और देश को इससे बहुत लाभ हुआ है।
— विनोद रायष पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक

देश में जनधन योजना के तहत 19.58 खोले गए करोड़ खाते

वर्ष 2015 में  प्रशासनिक कार्यों और उसके तौर-तरीकों में काफी बदलाव आया है। अगर यह कोई और कहता तो इसके निहितार्थ अलग होते लेकिन विनोद राय कहते हैं तो बात पर मुहर लगती है। संप्रग सरकार के दौरान जहां नीतिगत मामलों और प्रशासनिक कार्यों में सुस्ती दिखाई देती थी, अफसर फैसले लेने से डरते थे। अब वही अफसर बिना किसी दबाव के फैसले ले रहे हैं और जो एक ठहराव था वह खत्म हुआ है। यानी यह कहना गलत नहीं होगा कि सुस्ती के स्थान पर चुस्ती दिखाई दे रही है। हालांकि प्रशासनिक स्तर पर आमूल-चूल परिवर्तन के लिए समय चाहिए, लेकिन सरकार ने बड़े ही कम समय में इस दिशा में एक सफल कोशिश की है, जिसका परिणाम जमीन पर दिख रहा है। पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक विनोद राय इस विषय पर कहते हैं,'वर्ष 2015 में स्पष्ट तौर पर प्रशासनिक चुस्ती देखने को मिल रही है। वैसे आप किसी भी क्षेत्र में देखें और खासकर कोयला खदान व स्पेक्ट्रम आवंटन के क्षेत्र में तो सरकार ने बड़ी ही पारदर्शिता से नीलामी की है और देश को इससे बहुत लाभ हुआ है। इस अवधि में सरकार की स्वच्छ छवि सब कुछ बयां करती है।'
संस्थागत बदलाव के संदर्भ में केन्द्र सरकार का योजना आयोग के स्थान पर नीति आयोग का गठन एक बड़ा प्रयास है। सरकार ने इस वर्ष नीति आयोग में राज्यों को शामिल किया है और राज्यों के हिसाब से नीतियां बनाने की बात शामिल हैं। यह पहला मौका है, जब  सरकार ने जनधन योजना के माध्यम से गरीब लोगों की पहुंच बैंक तक सुनिश्चित की है। करीब19.58 करोड़ खाते खोले गए हैं, जिनसे आम आदमी जुड़ा है। वहीं 9.26 करोड़ लोगों ने प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना तथा 2.92 करोड़ लोगों ने प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना एवं 13 लाख ने अटल पेंशन योजना के तहत पंजीकरण कराया है। यानी शासन-प्रशासन के स्तर पर जनकल्याण की योजना सिर्फ चल ही नहीं रही है बल्कि जमीन पर उनका असर भी दिखाई दे रहा है। जो खाते बैंक में खुले हैं,उनके माध्यम से सरकारी लाभ उनके खाते में आ रहा है। जहां पहले कालाबाजारी के लिए गैस सिलेंडर मिल ही नहीं पाते थे या मिलते थे तो काफी मशक्कत करनी पड़ती थी। पर अब आसानी के साथ उपलब्ध हो जाते हैं। देश में 16.35 करोड़ एलपीजी उपभोक्ता हैं। पहल योजना के अन्तर्गत 14.78 करोड़ उपभोक्ता सीधे सब्सिडी प्राप्त कर रहे हैं। इस वर्ष यह भी देखने में आया कि खुफिया एजेंसियांे की सक्रियता और आपसी समन्वय बढ़ा है। सेना एवं खुफिया एजेंसियों की सक्रियता के कारण ही अनेक राज्यों में आतंकियों के संजाल को न केवल ध्वस्त किया है बल्कि दर्जनों आतंकियों को भी पकड़ा गया है। भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी आर.के.ओहरी सुरक्षा के विषय पर कहते हैं,'यह देश के लिए बड़ा अच्छा है कि हमारी खुफिया एजेंसियों के बीच अब समन्वय बढ़ा है। इसके कारण अच्छे परिणाम भी हमें देखने को मिले हैं। कुछ घटनाओं को छोड़ दें तो हमने कश्मीर में सीमा पार से होती घुसपैठ पर एक दम से लगाम लगाई है।'      ल्ल

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