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पश्चिम बंगाल के बर्द्धमान जिले के खगरागढ़ में हुई बम विस्फोट की घटना को आगामी 2 अक्तूबर को एक साल पूरा हो रहा है। विस्फोट के ठीक बाद ममता सरकार और राज्य की जांच एजेंसी पर उठे सवाल के बाद से मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के पास है। विस्फोट के एक वर्ष बाद बंगलादेश के प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन जमात उल मुजाहिदीन बंगलादेश (जेएमबी) के सदस्य बेशक भूमिगत हो गए, लेकिन एनआईए को फरार आतंकवादियों की सरगर्मी से तलाश है।
वहीं पश्चिम बंगाल के मुर्शीदाबाद, नदिया, बर्द्धमान और बीरभूम में पांव पसार चुके आतंकवाद फैलने के चलते जिहादी साहित्य और वीडियो देख चुके मुस्लिम युवकों के समक्ष भी आतंकवादियों का असली चेहरा उजागर करने की आवश्यकता है। एनआईए सूत्रों के मुताबिक बर्द्धमान विस्फोट में जेएमबी के सदस्यों द्वारा पश्चिम बंगाल और उत्तर-पूर्व के राज्यों में सक्रिय होने के षड्यंत्र का पर्दाफाश समय रहते हो गया, वरना यह संगठन भारत में ही बैठकर देश की आतंरिक सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा बनकर उभरने वाला था। यदि गौर करें तो बर्द्धमान विस्फोट के बाद भी गुवाहाटी, कोलकाता और हैदराबाद से जेएमबी समर्थित बर्द्धमान विस्फोट के फरार आतंकवादियों की समय-समय पर गिरफ्तारी होती रही है। बर्द्धमान विस्फोट के मामले में एनआईए द्वारा दो आरोपपत्र दाखिल किए जा चुके हैं। पहला आरोपपत्र 30 मार्च को दाखिल किया गया था जिसमें 21, जबकि दूसरे आरोपपत्र में 6 लोग शामिल हैं। बर्द्धमान विस्फोट में चार बंगलादेशियों सहित जेएमबी की भूमिका पाई गई थी। एनआईए द्वारा 16 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है जिनमें आतंकवादी और जेएमबी सदस्य शकील अहमद की पत्नी रजिया बीबी और विस्फोट में घायल हुए आतंकवादी अब्दुल हाकिम, उसकी पत्नी अलीमा बीबी, जिया उल हक, शेख रहमत उल्ला उर्फ साजिद, अमजद अली शेख, शाहनूर आलम, शहीकुल इस्लाम, रियाजुल करीम, हबीबुर रहमान, फैजुल हक उर्फ दालिम शेख, गियासुद्दीन मुंशी, मोतुर रहमान शेख, लाल मोहम्मद उर्फ इब्राहिम शेख, अब्दुल मुमीन और नूर उल हक शामिल हैं। एनआईए द्वारा गिरफ्तार किए गए किसी भी आतंकवादी की अभी तक जमानत नहीं हुई है, लेकिन जांच के दौरान शक के चलते पकड़े गए बदरे आलम मोल्ला, खालिद मोहम्मद और रफीक उल इस्लाम को छोड़ दिया गया था। गिरफ्तार किए गए सभी आतंकवादियों पर आतंकी गतिविधि, षड्यंत्र रचने और धोखाधड़ी आदि करने के संगीन आरोप हैं। गौरतलब है कि गत वर्ष 2 अक्तूबर को खगरागढ़ स्थित एक मकान में विस्फोट हुआ था जिसमें एक आतंकवादी शकील अहमद ने मौके पर ही दम तोड़ दिया था, जबकि उसके दूसरे साथी की अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हुई थी। विस्फोट के बाद राज्य की जांच एजेंसियों ने रजिया बीबी,अलीमा बीबी और उसके घायल पति अब्दुल हाकिम को गिरफ्तार किया था। पुलिस के घटनास्थल पर पहुंचने से पूर्व ही रजिया और अलीमा अहम दस्तावेज नष्ट कर चुकी थीं। संबंधित मकान तृणमूल कांग्रेस के नेता नूरुल हसन चौधरी का था जिससे शकील ने किराये पर मकान लिया था। घटनास्थल से पुलिस ने विस्फोटक सामग्री, घड़ियां, सिम कार्ड, तालिबानी वीडियो और जिहादी साहित्य बरामद किया था। मौके से पश्चिम बंगाल के विभिन्न जिलों के नक्शे और मतदाता पहचानपत्र भी मिले थे। बरामद विस्फोट सामग्री को बाद में दामोदर नदी में निष्क्रिय कर दिया गया था। राज्य की जांच एजेंसी पर सवालिया निशान लगने और सरकार के ढुलमुल रवैये के बाद ही गत वर्ष 9 अक्तूबर को मामले की जांच एनआईए को सौंप दी गई थी। इस विस्फोट के बाद भी दिसम्बर में बीरभूम से 70 और जनवरी में 140 बम बरामद किए गए थे जिन्हें नहर के आसपास छिपाकर रखा गया था, लेकिन उनका बर्द्धमान विस्फोट से कोई तार नहीं जुड़ा था।
साजिद था जेएमबी मॉड्यूल का सूत्रधार
बर्द्धमान विस्फोट का सूत्रधार शेख रहमत उल्ला उर्फ साजिद था। उसे गत 8 नवम्बर को एनआईए ने जेसौर रोड स्थित नेताजी सुभाषचन्द्र बोस हवाईअड्डे से गिरफ्तार किया था। वह विस्फोट के बाद बंगलादेश भी फरार हो गया था। उसके पास से करीब एक लाख रुपए के नकली नोट और मतदाता पहचान बरामद हुए थे। इन कागजों के मुताबिक वह भारत का निवासी होने का फर्जी साक्ष्य अपने साथ रखता था। विस्फोट से पूर्व वह मुकीमनगर के एक मदरसे में रह चुका था, जो कि बर्द्धमान से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर है। वह पूर्व के कई मामलों में जेल में भी बंद रह चुका था, लेकिन बाद में फरार हो गया था। खास बात यह है कि बर्द्धमान विस्फोट से पूर्व वह मुस्लिम युवकों को जिहाद के लिए असम और गुजरात में हुए दंगों के वीडियो दिखाता था। इसके लिए वह सिमुलिया और मुकीमनगर के मदरसों में भी जाता था।
वहीं एनआईए द्वारा नूर उल हक को गत 18 जून को हावड़ा रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया गया था। वह जेएमबी का सक्रिय सदस्य था और उस पर एक लाख रुपए का इनाम भी घोषित था और वह साजिद का करीबी था। वह मूल रूप से मुर्शीदाबाद का रहने वाला है। वह बर्द्धमान विस्फोट के बाद से ही फरार चल रहा था। वह फरार चल रहे जेएमबी सदस्य तल्हा शेख का भी करीबी बताया जाता है। आरोप है कि नूर उल हक मुर्शीदाबाद और सिमुलिया के मदरसों में आतंकवादी प्रशिक्षण भी देता था और युवकों को जिहादी साहित्य पढ़ाने और वीडियो भी दिखाता था। उसका मुख्य उद्देश्य युवकों को जेएमबी में शामिल करना रहता था। दलीम शेख के लिए धन एकत्रित करता था। बर्द्धमान विस्फोट के सूत्रधार साजिद का भी नूर उल हक काफी करीबी था। इससे पूर्व एनआईए ने लाल मोहम्मद उर्फ इब्राहिम शेख को झारखंड के पाकुर से गिरफ्तार किया था। उसके पास से भी जिहादी साहित्य बरामद हुआ था। वह बर्द्धमान विस्फोट के बाद पाकुर फरार हो गया था और वहां पर भी युवाओं को जिहाद के नाम पर बहका कर तैयार कर रहा था। वह लोगों की नजरों में दर्जी का काम करता था, लेकिन वास्तव में अवैध हथियार और विस्फोटक सामग्री मुहैया कराने का काम करता था। विस्फोट से पूर्व वह मुर्शीदाबाद में एक मदरसे का संचालन भी कर चुका था।
बंगलादेश सरकार और एजेंसियों से मांगी मदद
बर्द्धमान विस्फोट में शामिल करीब दो दर्जन आतंकवादी अभी भी फरार चल रहे हैं। इनमें से अधिकांश के बंगलादेश लौटने की आशंका भी है। इसके लिए भारत सरकार ने बंगलादेश सरकार से सहयोग मांगा है। साथ ही एनआईए ने भी बंगलादेश की जांच एजेंसियों को बर्द्धमान विस्फोट में लिप्त रहे संदिग्ध आतंकवादियों की सूची सौंपी है। जिन जेएमबी समर्थित आतंकवादियों को गिरफ्तार किया जा चुका है, उनके रिकॉर्ड भी मांगे गए हैं जिससे कि पूर्व में उनकी गतिविधियों की जानकारी ली जा सके।
जेएमबी पश्चिम बंगाल में हो चुका था सक्रिय
जेएमबी बर्द्धमान विस्फोट से पूर्व पश्चिम बंगाल के बर्द्धमान, मुर्शीदाबाद, नदिया और बीरभूम जिले में अपने संगठन की जडेÞ मजबूत कर चुका था। बंगलादेश से चोरी-छिपे अवैध हथियार और विस्फोट बड़ी मात्रा में पश्चिम बंगाल लाए जा रहे थे। खगरागढ़ में यदि विस्फोट न हुआ होता तो आतंकवादी देश के विभिन्न राज्यों बड़ी गतिविधि को अंजाम देने में सफल हो जाते। जेएमबी का जाल देश के उत्तर-पूर्वी राज्यों में भी फैल चुका था। यदि जांच एजेंसियों की मानें तो बर्द्धमान विस्फोट के बाद आतंकवादी बंगलादेश में लौटने में सफल नहीं हुए तो उन्होंने उत्तर-पूर्व में भूमिगत होकर युवाओं में जिहादी मानसिकता के प्रचार-प्रसार के काम को जारी रखा।
आतंकवादी खरीद रहे थे पश्चिम बंगाल में भूमि
आतंकवादी भारत में रहकर न केवल जेएमबी की गतिविधियों को पूरी तरह से अंजाम दे रहे थे, बल्कि राज्य पुलिस व दूसरी सुरक्षा एजेंसियों की आंख में धूल झोंकने के लिए पश्चिम बंगाल के निवासी भी बन रहे थे। इसके लिए एक तरफ यहां की लड़की से शादी कर आम लोगों के बीच घुलने-मिलने का प्रयास करते थे तो दूसरी तरफ यहां पर भूमि भी खरीद रहे थे। जांच अधिकारियों ने पाया था कि संदिग्ध बुरहान शेख ने 8 लाख रुपए में स्थानीय लोगों से भूमि खरीदी थी, जबकि कागजों में उसे एक लाख रुपए में खरीदा दिखाया गया था। इस तरह आतंकवादी पश्चिम बंगाल में अपना ठिकाना बना रहे थे।
असम भी है जेएमबी की चपेट में
बर्द्धमान विस्फोट में गिरफ्तार हुआ शाहनूर आलम और शहीकुल इस्लाम दोनों ही असम के रहने वाले हैं। विस्फोट के बाद 6 दिसम्बर को गुवाहाटी से असम पुलिस ने गिरफ्तार किया था। वह बंगलादेश भागने की फिराक में था, लेकिन विस्फोट के बाद जांच एजेंसियों द्वारा पकड़े जाने के डर से भारत में ही छिपकर रह रहा था। वह युवकों को जिहाद के नाम पर जेएमबी में शामिल करने में माहिर था। उस पर पांच लाख रुपए का इनाम घोषित था। एनआईए ने जांच के दौरान उसके पास से अवैध कागजात, अरब की मुद्रा, बैंक पासबुक और अन्य सामान बरामद हुआ था। इसी माह असम पुलिस ने चिरांग जिले में कुछ मुस्लिम चरमपंथी युवकों को गिरफ्तार किया है। यहां करीब 10 युवक हथियार चलाने का प्रशिक्षण ले रहे थे। गुवाहाटी में मनिरुल इस्लाम नामक युवक के पकड़े जाने की सूचना है जिसके साथ करीब दो दर्जन से अधिक सदस्य शामिल हैं। इन लोगों के पास हस्त निर्मित एके47 की तरह का हथियार, सीडी और पैन ड्राइव मिले हैं। एजेंसियां विभिन्न कोणों से इसकी जांच कर रही हैं। राहुल शर्मा
आतंकवादियों पर इनाम घोषित
एनआईए द्वारा फरार चल रहे आतंकवादियों पर एक से लेकर दस लाख रुपए तक का इनाम घोषित किया गया है। मुर्शीदाबाद निवासी नसीरुल्लाह, बीरभूम निवासी तल्हा शेख व कौसर और बर्द्धमान निवासी मौलाना यूसुफ शेख पर 10-10 लाख रुपए, बोलपुर निवासी कादर काजी व झारखंड निवासी तरीकुल इस्लाम पर 5-5 लाख रुपए, बीरभूम निवासी अबुल कलाम व सिमुलिया निवासी बुरहान शेख पर तीन-तीन लाख रुपए और बीरभूम निवासी मुजफ्फर रहमान पर एक लाख रुपए का इनाम घोषित है। जांच एजेंसी को आशंका है कि कौसर, नसीरुल्लाह और तल्हा शेख बंगलादेशी भी हो सकते हैं क्योंकि ये सभी जेएमबी में लंबे समय से सक्रिय हैं। भारत में आने के लिए ये लोग फर्जी तरीके से मतदाता पहचानपत्र और अन्य जरूरी कागजात तैयार करा लेते हैं।
केन्द्र की सजगता से बदले हालात
कोलकाता से असीम कुमार मित्र
जिहादी साहित्य पढ़ाने और वीडियो भी दबर्द्धमान विस्फोट के समय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुप्पी साध ली थी क्योंकि जिस मकान में धमाका हुआ था, वह तृणमूल कांग्रेस के नेता का था और वहां इस दल का कुछ दिनों तक कार्यालय भी रहा था। विस्फोट के बाद भी राज्य सरकार की कार्यप्रणाली में गंभीरता नहीं दिखाई दी। यही नहीं सरकार की नाकामी के चलते ही जेएमबी के सदस्य पश्चिम बंगाल में विस्फोटक सामग्री तैयार करने में सफल रहे और उन्होंने एक तरह से विस्फोटक तैयार करने की फैक्ट्री राज्य में खोल दी।
यह विस्फोटक पश्चिम बंगाल समेत देश के विभिन्न हिस्सों में दहशत मचाने के लिए तैयार किया जा रहा था। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जब मामले की जांच केन्द्र सरकार द्वारा एनआईए को सौंपी गई तो मुख्यमंत्री ने खूब शोर-शराबा किया और यहां तक की केन्द्र सरकार के इस कदम को भी गलत बताया। हैरानी की बात यह रही कि उन्होंने केन्द्र सरकार को तो खूब बुरा-भला कहा, लेकिन बंगलादेशी आतंकवादियों के बारे में भी एक भी शब्द नहीं कहा।
जांच के दौरान यह भी खुलासा हुआ कि विस्फोट में मारा गया शकील अहमद वर्ष 2006 में नदिया जिले के करीमपुर में रहने लगा था। वहां आकर उसने 2009 में मौलवी रफीक की बहन रजिया बीबी से शादी कर ली थी। उसी के जरिये उसने पश्चिम बंगाल का राशन कार्ड और मतदाता पहचानपत्र भी तैयार करा लिया था। उसने मुर्शीदाबाद जिले के बेलडांगा में एक बुर्के की दुकान भी खोली थी। यहां वह खुफिया सूचनाआें का आदान-प्रदान करता था। उस दुकान पर कौसर और अबुल कलाम का आना-जाना लगा रहता था। कई बार तो दुकान पर बाहर से ताला लगाकर ये लोग उसके अंदर गुप्त बैठकें करते थे। हसन मुल्ला नियमित रूप से वहां आया-जाया करता था। खुफिया रपट के अनुसार खगरागढ़ विस्फोट के बाद मालूम हुआ कि पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती जिलों में 65 आतंकवादी प्रशिक्षण केन्द्र चल रहे हैं। ये सभी भारतीय सीमा पर चलाए जाते हैं। वहीं बंगलादेश में भी सीमा के उस पार ऐसे केन्द्र तेजी से चल रहे हैं। पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में तो 27 प्रशिक्षण केन्द्र चल रहे हैं। यहां 14 से लेकर 18 वर्ष तक की उम्र के युवा पहुंच रहे हैं। इन क्षेत्रों में मदरसों की संख्या भी काफी है। पश्चिम बंगाल में जब बुद्धदेव भट्टाचार्य मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने एक बार कहा था कि ‘मदरसों में आतंकवादी तैयार किए जाते हैं।’ हालांकि बर्द्धमान विस्फोट से पूर्व राज्य की खुफिया इकाई ने 8 अप्रैल, 2012 को विस्फोट तैयार करने वाले एक कारखाने का पर्दाफाश किया था। उस समय कोलकाता की लोहागली मस्जिद के पास हुए विस्फोट में एक दर्जी की मौत हुई थी जिसका नाम शकील अहमद उर्फ नईम था। तीन वर्ष पहले उसने बेलडांगा में विस्फोटक तैयार करने का कारखाना खोला था। वहां से बंगलादेश में जेएमबी को विस्फोटक की आपूर्ति की जाती थी, लेकिन कभी भी पश्चिम बंगाल सरकार ने उनका विरोध नहीं किया। आरोप है कि जेएमबी पश्चिम बंगाल के चुनावों में धन मुहैया भी कराता था। इस कारण से कभी सरकार ने उनका खुलकर विरोध नहीं किया।
सच्चाई यह है कि पश्चिम बंगाल से जुड़े भारत की सुरक्षा केन्द्र सरकार, राज्य सरकार के भरोसे नहीं छोड़ सकता है। केन्द्र की जांच एजेंसियों की गंभीरता के चलते खगरागढ़ कांड के बाद से सुरक्षा न केवल दुरुस्त कर दी गई है, बल्कि आतंकवादियों को भूमिगत होने या फिर देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है। िखाता था।
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