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अंक संदर्भ : 21 जून, 2015
आवरण कथा 'अपने भीतर खुशियों की चाबी' से स्पष्ट होता है कि योग सिर्फ व्यायाम मात्र नहीं है बल्कि एक अमूल्य धरोहर है। 21 जून को जिस प्रकार भारत के नेतृत्व में पूरी दुनिया ने योग किया वह अपने आप में अद्भुत बात है। इस महाआयोजन पर भारत फिर से विश्व गुरु की भूमिका में नजर आ रहा था और पूरा संसार उसके पीछे-पीछे चल रहा था। कुछ तथाकथित लोगों के बहकाने के बाद भी 43 से ज्यादा मुस्लिम देशों ने जोर-शोर से योग ही नहीं किया बल्कि उन देशों के युवाओं ने किसी उत्सव की भांति इसमें अपनी सहभागिता दिखाई। यह पहली बार था जब संयुक्त राष्ट्र संघ के किसी दिवस पर पूरी दुनिया एक सूत्र में बंधकर उस कार्यक्रम को सफल बना रही थी। वहीं देश में योग का कुछ सेकुलरों ने विरोध किया तो उन्हीं के मत के लोगों ने इस विरोध को दरकिनार कर जवाब दिया कि योग को किसी मत या संप्रदाय से न जोड़ा जाय क्योंकि योग सबका है और इसे कोई भी कर सकता है।
—मैथ्थु ज. अंबाडेकर
शेगांव रोड, अमरावती (महाराष्ट्र)
ङ्म संयुक्त राष्ट्र संघ के 192 देशों के समर्थन ने योग दिवस को सहमति प्रदान करके एक नई इबारत को लिखा। परन्तु हमारे देश में प्राचीन भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग योग पर उठने वाला विरोध निश्चित रूप से मुस्लिम कट्टरपंथ की दूषित सोच का हिस्सा है। क्योंकि पिछले अनेक वर्षों से देश में वोटों के लालच में मुस्लिम कट्टरपंथ को लगातार बढ़ावा दिया जाता रहा है, जिससे ये कट्टरपंथी भारत को दारुल इस्लाम बनाने का ख्वाब देखने लगे थे। परन्तु अब नरेन्द्र मोदी की सरकार में तुष्टीकरण की नीति बिल्कुल भी नहीं चल पा रही है। इसलिए कुछ जिहादी मानसिकता से ग्रसित लोग हर विषय को मुस्लिम विरोधी बताकर अपनी भड़ास निकालने का प्रयास करने लगते हैं।
—डॉ. सुशील कुमार गुप्ता
सहारनपुर (उ.प्र.)
ङ्म योग दिवस पर भारत के लोगों ने संपूर्ण विश्व में भारतीय संस्कृति को गुंजायमान किया। इससे देश ही नहीं विश्व में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ है। वर्तमान दौर में मानव जीवन अव्यवस्थित हो गया है। रात-दिन की विभाजक रेखा बिल्कुल टूट गई है और ऐसे ही वातावरण में हम सभी जीवनयापन करने पर विवश हैं। इससे बिल्कुल इनकार नहीं किया जा सकता कि भविष्य में यह हमारे स्वास्थ्य पर मंडराते संकट की आहट है जिसे हम सब अभी से सुन सकते हैं। लेकिन अगर हम एक बार पुन: संयमित, सुव्यवस्थित जीवन शैली अपनाकर योग की ओर लौट चलंे तो खतरा आने से पहले ही टाला जा सकता है। साथ ही योग परमात्मा से जोड़ने वाला ऐसा समीकरण है, जो अनेक समस्याओं से हमें मुक्ति दिलाता है और यहीं से एक आदर्श जीवनशैली के प्रति नई सोच विकसित होती है।
—छैल बिहारी शर्मा
छाता (उ.प्र.)
ङ्म योग दिवस पर कुछ मुस्लिम नेताओं द्वारा सूर्य नमस्कार का यह कह कर ऐतराज किया गया कि इस्लाम अल्लाह के सिवाय किसी और के आगे सिजदा करने की इजाजत नहीं देता और इसीलिए सूर्य नमस्कार में सूर्य की आराधना के मंत्र भी वे नहीं बोल सकते। इसी आधार पर वंदे मातरम् का भी विरोध करते हैं क्योंकि इसमें भी भारत की वंदना है। क्या कोई मुस्लिम विद्वान यह समझाएंगे कि यदि उनके मत में एक ईश्वर को छोड़कर किसी और की पूजा नहीं की जाती तो देश में हजारों मजारों और दरगाहों पर दुनियाभर के मुसलमान सजदा करने और मन्नतें मानने क्यों चले आते हैं?
—अरुण मित्र, रामनगर (दिल्ली)
ङ्म योग जीवन जीने की सर्वोत्तम कला है और योग वास्तव में खुशियों की चाबी है। हमारे ऋषि-मुनियों ने योग रूपी धरोहर को मानव को सौंपा है जो मानव को स्वस्थ रखने के संपूर्ण गुण बताता है। वर्तमान सरकार ने इसे विश्व पटल पर रखकर भारत का मान ही नहीं बढ़ाया बल्कि हमारे ऋषि-मुनियों के ज्ञान को विश्व कल्याण के लिए समर्पित कर दिया है।
—राममोहन चन्द्रवंशी
टिमरनी, जिला-हरदा (म.प्र.)
ङ्म वर्षों से भारत का योग को विश्व पटल पर उभारने का जो स्वप्न था वह विश्व योग दिवस के रूप में साकार हुआ। मानव जीवन को स्वस्थ रखने के लिए योग रूपी जो रचनात्मक पहल हुई है,आने वाले दिनों में इसका असर हम सभी को दिखाई देगा। साथ ही वर्तमान में एक और पहल होनी चाहिए कि योग को पूर्ण रूप से पाठ्यक्रम में शामिल कर के उसे बच्चों को पढ़ाया जाए। दूसरा, योग को मत-संप्रदाय से बिल्कुल भी नहीं जोड़ा जाए। स्वयं प्रधानमंत्री ने योग के विषय में स्पष्ट किया है कि योग किसी की बपौती नहीं है और न ही इसे व्यवसाय बनाया जाये। क्योंकि व्यवसाय बनाने से इसकी महत्ता समाप्त हो जायेगी।
—डॉ. जसवंत सिंह जनमेजय
कटवारिया सराय (नई दिल्ली)
ङ्म योग मात्र एक व्यायाम नहीं है बल्कि हमारे देश की विरासत है और इस विरासत को हम भूल रहे थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने न केवल भारत में ही अपितु संपूर्ण विश्व में इसे स्थापित करने का प्रयास किया है, जिसकी मुक्त कंठ से सराहना करनी चाहिए। यह दुर्भाग्य की बात है कि कांग्रेस के बड़े नेताओं ने इसका विरोध कर इसे तमाशा बताने तक में कोई गुरेज नहीं किया। यहां तक की राहुल और सोनिया गांधी योग दिवस के एक दिन पहले ही देश से बाहर चले गए। असल में यह उनकी कुंठा और द्वेष को दर्शाता है। इन लोगों को भारतीय संस्कृति को फैलते देख पेट में मरोड़ होने लगती है। प्रधानमंत्री के आह्वान पर पूरा देश जिस प्रकार से योग के समर्थन में आया उसके लिए देशवासियों को शुभकामनाएं हैं।
—मनोहर मंजुल
प. निमाड (म.प्र.)
ङ्म विश्वभर के मीडिया ने योग दिवस को प्रमुखता से छापा, क्यांेकि विश्व का मीडिया जानता है कि भारत की वर्तमान सरकार एक अरब पच्चीस करोड़ लोगों की चुनी हुई सरकार है और उसके प्रत्येक कार्य में जनता का समर्थन प्राप्त है। साथ ही विश्व का इलेक्ट्रानिक और प्रिन्ट मीडिया कांग्रेस के काले इतिहास से पूर्ण रूप से परिचित भी है। वह जानता है कि कांग्रेस कंुठावश अच्छे कार्य में बाधा डाल रहे हैं। कांग्रेस ने योग दिवस पर संपूर्ण विश्व को भ्रमित करने का दुस्साहस किया, लेकिन उसे अपनी साजिश में सफलता नहीं मिली।
—प्रदीप सिंह राठौर
कानपुर महानगर (उ.प्र.)
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