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फरीदाबाद जिले का अटाली गांव इन दिनों साम्प्रदायिकता की आग में झुलस रहा है। गांव की चौपाल से लेकर पगडंडियां सूनी पड़ी हैं। हर किसी के चेहरे पर घबराहट है। घर के घर खाली पड़े हैं, कोई बचा है तो सिर्फ, बुजुर्ग, महिलाएं और दुधमुंहे बच्चे।
अटाली गांव हिन्दू बहुल गांव है जिसमें आजादी के बाद से कुछ मुसलमान परिवार भी आकर रहने लगे। ग्राम पंचायत की ओर से काफी वर्षों पहले मुसलमानों को नमाज अदा करने के लिए कुछ भूमि दी गई थी। उस भूमि पर अब मस्जिद के निर्माण करने को लेकर विवाद छिड़ा है। भूमि जहां पहले ग्राम पंचायत के अधिकार क्षेत्र में बताई जा रही है तो, वहीं अब इसके पंजाब वक्फ बोर्ड के अधीन होने को लेकर भी तर्क दिए जा रहे हैं।
आरोप है कि बीती 25 मई को मस्जिद का निर्माण कार्य शुरू किया गया। उसी पर गांववालों ने आपत्ति दर्ज कराई और निर्माणाधीन दीवार को गिरा दिया। देखते ही देखते कुछ सियासी रोटी सेंकने वालों ने गांव में बलवा शुरू कर दिया। इस दौरान एक रणनीति बनाकर घटना को साम्प्रदायिक रंग देने के लिए खासतौर पर कुछ खास परिवारों को निशाना बनाया गया और उनके घर से लेकर वाहनों तक में आग लगा दी गई। मामले की खबर पूरे जिले में आग की तरह फैल गई और भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर लोगों को घरों से सकुशल निकाला गया। इस दौरान दूसरे जिलों से पुलिस बुलानी पड़ी। करीब 15 दिनों तक बल्लभगढ़ का थाना सदर मुसलमानों की घेराबंदी में रहा। इस बीच कई मुसलमान नेता भी मजहब के नाम पर राजनीति करने पहंुच गए, लेकिन बरसों से धार्मिक सौहार्द को कायम करते आ रहे हिन्दू-मुसलमान परिवारों ने भाईचारा कायम करने के इरादे से गांव की ओर कदम बढ़ा दिए। हिन्दू समुदाय के लोगों के मनाने पर मुसलमानों ने आखिरकार गांव की ओर रुख किया। इस बीच गाड़ी पटरी पर लौटी ही थी कि गत 1 जुलाई को माहौल फिर से बिगड़ गया। गांव में नमाज अदा करने वाली जगह के साथ ही खेड़ा देवत (हिन्दुओं का पूजा स्थल) है, जहां पर उत्तम मास के अवसर पर भजन-कीर्तन चल रहा था। इस बीच दोपहर के समय अज्ञात लोगों ने पूजा कर रही महिलाओं पर पथराव कर उन्हें निशाना बना डाला। पथराव के चलते कई हिन्दू महिलाएं घायल हो गईं। यह सब उस समय हुआ कि जब कानून-व्यवस्था कायम करने के लिहाज से जिला पुलिस और अतिरिक्त पुलिस बल भारी संख्या में गांव में मौजूद थे। फिर भी किसी ने उनकी एक न सुनी। इसके बावजूद दंगाइयों ने खास मकसद से गांव में पिछले सवा महीने से सुलग रही आग में घी डालने का काम कर दिया। देखते ही देखते गांव में तनाव का माहौल बनता चला गया। मुसलमान परिवार गांव से कूच कर गए।
गांव में कर्फ्यू जैसे हालात बने हुए हैं। लोगों के आते-जाते समय उनकी सघन जांच की जाती है। गांव के लोगों के चेहरे पर झलकता भय साफ बयान कर रहा है कि अभी गाड़ी को पटरी पर लौटने में काफी वक्त लगेगा। इस संबंध में पुलिस हिन्दुओं के विरुद्ध 21, जबकि मुसलमानों के विरुद्ध 3 मामले दर्ज कर चुकी है। गांव के लोगों का आरोप है कि पुलिस कार्रवाई करते समय पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रही है क्योंकि किसी मुसलमान की गिरफ्तारी नहीं की गई, जबकि 10 हिन्दुओं को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस की छापेमारी के कारण पूरा गांव खाली हो गया है। गांव में दिखाई देने वाले युवा ढूंढे से भी नहीं मिल रहे हैं। लोगांे में भय इस कदर घर चुका है कि कोई भी गांव की तरफ आने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है क्योंकि पुलिस के हाथ जो भी लग रहा है उसी को उठाकर थाने ले जाया जा रहा है।
गत 4 जुलाई को पुलिस की छापेमारी में करीब 70 लोगों को हिरासत में ले लिया गया। इसके बाद गांव का गांव खाली हो गया। जो लोग बचे भी थे, वे भी अपने घरों से गायब हो गए। पुलिस की छापेमारी आगे भी जारी रहेगी।
गांव में मस्जिद के निर्माण को लेकर लोगों ने न्यायालय का रुख किया है। गांव निवासी सतबीर सिंह बताते हैं कि गांव में स्वतंत्रता के बाद कुछ मुसलमान परिवारों को बसाया गया था। ग्राम पंचायत की ओर से उन्हें कब्रिस्तान की जगह दी गई थी। धीरे-धीरे ये लोग वहां नमाज अदा करने लगे। कुछ समय बाद वहां पर टीन का छप्पर बना दिया गया। अब ये लोग काफी समय से मस्जिद कानिर्माण करना चाहते थे, लेकिन गांव में इसका विरोध है।
उन्होंने बताया कि यदि राजस्व का रिकॉर्ड भी देखें तो वर्ष 1965 से लेकर वर्ष 2000 तक यह भूमि ग्राम पंचायत की ही संपत्ति है, लेकिन बीच में वर्ष 1970 में सरकार की ओर से अधिसूचना जारी कर इस संपत्ति को पंजाब वक्फ बोर्ड की संपत्ति दिखा दिया गया, लेकिन जब सूचना मांगी गई तो पंजाब वक्फ बोर्ड वाला कागज रिकॉर्ड से गायब मिला, यह बात संदेह पैदा करती है। इससे संपत्ति के मालिकाना हक को लेकर मामला संदिग्ध प्रतीत होता है। उनका आरोप है कि 1990 के दशक में एक बार मुसलमानों के यहां आग लग गई थी जिसके बाद उन लोगों ने टीन के छप्पर डाल दिए और उसके बाद से लगातार मस्जिद निर्माण करने का मौका तलाशते हैं। सतबीर का कहना है कि यदि एक बार मस्जिद बन गई तो गांव में मेवात, नूह और धौज आदि से मजहब की आड़ में उन्मादियों का जमावड़ा लगना शुरू हो जाएगा जिससे गांव का माहौल बिगड़ना तय है। गांव के लोगों का आरोप है कि दोनों पक्षों के बीच हुए संघर्ष के अवैध हथियार और कारतूस मिल चुके हैं, लेकिन पुलिस उसे रिकॉर्ड में नहीं ला रही है। इस कारण भी मुसलमानों को शह मिल रही है। आरोप है कि मुसलमानों ने तेजाब से भरी बोतल भी हिन्दुओं के घरों पर फेंकी, लेकिन पुलिस इस बात को अनदेखा कर रही है। यही नहीं लोगों की धर-पकड़ के नाम पर ज्यादती की जा रही है। यह भी आरोप है कि क्षेत्रीय नेता वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं। गांव निवासी परमवीर ने बताया कि झगड़े के दौरान मुसलमानों ने पुलिस बल को जमकर अपशब्द कहे और पुलिसकर्मियों के साथ हाथापाई तक की, लेकिन पुलिस फिर भी उनकी पक्षधर बनी हुई है। उनका आरोप है कि मुसलमानों ने यहां तक धमकी दी थी कि 'पुलिस-प्रशासन उन्हें 15 मिनट की मोहलत दे तो वे अपना हिसाब चुकता कर देंगे।'
यही नहीं गांव में स्कूल जाने वाले बच्चों की भी लौटते समय सघन तलाशी ली जाती है, लेकिन मुसलमानों पर कोई रोक-टोक नहीं रहती है। पुलिस-प्रशासन के पक्षपातपूर्ण रवैये के कारण ही गांव के लोगों में काफी रोष है। उनका कहना है कि पुलिस की छापेमारी के डर से उनके घर के घर खाली पड़े हैं। गांव में सन्नाटा फैला हुआ है, और मुसलमानों को पकड़ा नहीं गया जिन्होंने भजन-कीर्तन करने वालों पर पथराव किया था। इनमें गांव निवासी अलीशेर, निज्जो, साबिर, सद्दीक, हसीना, फकरुद्दीन, चंदू, लीलू, वहीद, रज्जू, सुलेमान, मोहम्मद, इशाक, इकलाल, इस्माइल आदि पर आरोप लगाया गया है।
गांव बना छावनी
अटाली गांव इन दिनों छावनी में तब्दील हो चुका है। गत 4 जुलाई को हुई पुलिस की छापेमारी के बाद से लोगों में काफी रोष है। इसके विरोध में गांव दयालपुर और मच्छगर में गांववासियों ने नारेबाजी भी की और वाहनों में आग लगाकर पुलिस की आवाजाही को भी अवरुद्ध कर दिया। गांव के लोगों ने गत 5 जुलाई को पृथला में नारेबाजी की। 7 जुलाई को शांति समिति ने गांव का दौरा। अभी पंचायत के माध्यम से शांति बहाली का प्रयास जारी है।
पुलिस नहीं कर रही पक्षपातपूर्ण कार्रवाई : पुलिस आयुक्त
अटाली गांव प्रकरण के बारे में मैं यह कहना चाहूंगा कि यहां 25 मई को बहुसंख्यकों और अल्पसंख्यकों के बीच विवाद हुआ था। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच सुलह कराने का प्रयास प्रशासन की ओर से जारी है। मुसलमानों के परिवार कुछ दिनों बाद गांव लौट आए, लेकिन अचानक एक जुलाई की दोपहर कीर्तन कर रही कुछ हिन्दू महिलाओं को अज्ञात लोगों ने अपना निशाना बना लिया। इस मामले में जांच जारी है। 25 मई को यदि पुलिस समय रहते गांव नहीं पहंुचती तो कई लोग घरों में जलाकर बेमौत मार दिए जाते, लेकिन षड्यंत्रकारी अपने इरादे में सफल नहीं हो सके। कुछ लोग बेशक इस घटना को साम्प्रदायिक रंग देना चाहते हों, लेकिन पुलिस कानून-व्यवस्था कायम करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। कानून अपना काम कर रहा है। जहां तक मस्जिद का सवाल है तो यह विषय अब माननीय न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है। अभी गांव में शांति बहाल होने तक भारी संख्या में जिला पुलिस और अतिरिक्त पुलिस बल तैनात है। जहां तक पंचायत के चुनावों का सवाल है तो हो सकता है कि कुछ लोग वोट बैंक की राजनीति करने में लगे हों। मेरी अटाली गांव के युवाओं से यही अपील है कि वे कानून को अपने हाथ में न लें और शांति कायम करने के लिए पुलिस-प्रशासन को पूरा सहयोग दें। मैं विश्वास दिलाता हूं कि किसी के साथ अन्याय नहीं होगा।
-सुभाष यादव
पुलिय आयुक्त, फरीदाबाद
1 जुलाई की दोपहर गांव की महिलाएं खेड़ा देवत में भजन-कीर्तन कर रही थीं। तभी अचानक महिलाओं पर पथराव शुरू हो गया। इसी बीच एक ईंट मेरे सिर पर भी आकर लगी। घटनास्थल पर पुलिस भी मौजूद थी, लेकिन हमें पुलिस की तरफ से कोई मदद नहीं दी गई। मेरे परिजन ही किसी तरह से मुझे उपचार के लिए अस्पताल लेकर गए, जबकि पुलिस अपनी गाडि़यों में मुसलमानों को बैठाकर ले गई। पुलिस की भूमिका शुरू से ही संदिग्ध रही है, जबकि घायल व्यक्ति को लेकर कोई पक्षपात नहीं किया जाना चाहिए था। अभी तक किसी पुलिस अधिकारी ने मुझसे संपर्क भी नहीं किया है।
—वेदवती
25 मई को मैं नारनौल में परीक्षा संपन्न होने के बाद 26 मई की सुबह गांव लौट रहा था। अम्बेडकर चौक के निकट सुबह 6:30 बजे ऑटो को सरेराह रोककर मुझ पर अचानक लाठी-डंडों से लैस 8-10 लोगों ने हमला बोल दिया। हमलावरों के पास पिस्तौल भी थी। उनमें से कुछ को मैं जानता हूं, जो कि मुस्लिम समुदाय के हैं। वे लोग मुझे अधमरा कर फरार हो गए और मेरे हाथ की उंगली भी तोड़ दी। पुलिस ने इस संबंध में मामला तो दर्ज कर लिया, लेकिन आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया है। इस प्रकरण को दो माह होने जा रहे हैं। मेरा पुलिस-प्रशासन से यही अनुरोध है कि आरोपियों को अविलंब पकड़ा जाए। —संदीप
खेड़ा देवत में गांव की करीब 30-40 महिलाएं 1 जुलाई को भजन-कीर्तन कर रही थीं। मैं भी घर से वहां पहुंची हुई थी कि अचानक एक ईंट मेरे सिर पर आकर लगी। उसके बाद वहां भगदड़ मच गई और इस अफरातफरी में कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया। परिवार व गांव के लोगों को पथराव की सूचना मिली तो किसी तरह से मुझे उपचार के लिए अस्पताल ले जाया गया। मंदिर में पूजा कर रही महिलाआंे को जानकर निशाना बनाया गया और ऐसा बदले की भावना से किया गया है, लेकिन पुलिस ने अभी तक आरोपियों के विरुद्ध कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। —चमेली देवी
फर्जी निकला वीडियो
अटाली गांव में 1 जुलाई को हुए विवाद के बाद सोशल मीडिया के जरिए फेसबुक और व्हाट्सएप पर जिस तरह से वीडियो का प्रचार किया गया, वह जांच में फर्जी पाया गया है। दरअसल वह वीडियो अटाली गांव का है ही नहीं। इस संबंध में पुलिस ने 'आईटी एक्ट' के तहत मुकदमा दर्ज किया है। फरीदाबाद पुलिस का साइबर सेल इस मामले की जांच कर रहा है। इसी में धार्मिक भावनाएं भड़काने की धाराएं भी जोड़ी गई हैं। इस संबंध में पुलिस साइबर कैफे पर भी निगरानी बरत रही है। साथ ही लोगों से अपील की गई है कि वे फर्जी वीडियो को लेकर किसी के बहकावे में न आएं।
अटाली गांव से लौटकर राहुल शर्मा
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