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अयोध्या में 16 जून को श्रीराम जन्मभूमि न्यास की एक दिवसीय बैठक मणिराम दास छावनी में जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती जी महाराज की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। बैठक में श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास जी महाराज, महामंत्री श्री अशोक सिंहल, जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य, न्यासी महंत सुरेश दास, श्रीमहंत धर्मदास, डॉ़ रामविलास दास वेदान्ती, महामण्डलेश्वर संतोषी माता, महंत कमलनयन दास के अलावा विश्व हिन्दू परिषद् के महामंत्री श्री चम्पत राय, संगठन महामंत्री श्री दिनेश चन्द्र, उपाध्यक्ष श्री जीवेश्वर मिश्र, श्री बालकृष्ण नाईक आदि उपस्थित थे।
श्री अशोक सिंहल ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि सवार्ेच्च न्यायालय में श्रीराम जन्मभूमि मामले की सुनवाई के लिए विशेष पीठ गठित की जानी चाहिए। सम्पूर्ण हिन्दू समाज श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर देखना चाहता है। श्रीराम जन्मभूमि न्यास ने अब तक धैर्य से कार्य किया है। हम देश में शान्ति चाहते हैं। उन्होंने कहा कि संत-धर्माचायार्ें ने मुस्लिम समाज से सदैव अपेक्षा की कि वे देश में आपसी सौहार्द का वातावरण बनाने में सहयोग करें और यह तभी सम्भव है जब वे अयोध्या, मथुरा, काशी तीनों धर्मस्थलों से स्वेच्छा से अपना दावा वापस ले लें। आज देश में मधुर संबंधों की आवश्यकता है। हम भी मानते हैं कि देश को विकास की ओर ले जाने की जरूरत है, लेकिन मानबिन्दुआंे की कीमत पर नहीं। उन्होंने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि न्यास ने 1989 में शिलापूजन कर सवा आठ करोड़ रुपए देशभर से एकत्र किए और उसी धन के द्वारा अब तक मंदिर निर्माण में प्रयुक्त होने वाले पत्थरों की नक्काशी का काम चलता रहा है। अब तक एक लाख घन फुट पत्थर तैयार हो चुके हैं। शेष एक लाख घन फुट पत्थरों की और आवश्यकता है। इसके लिए श्रीराम जन्मभूमि न्यास लोगों से अपील करता है कि वे धन के स्थान पर मन्दिर निर्माण में प्रयुक्त होने वाले राजस्थान के 'पिंक सैंड स्टोन' पत्थरों का स्वेच्छा से दान कर मंदिर निर्माण में सहयोग करें। पत्थरों के संग्रह का कार्य एक वर्ष तक चलेगा और मंदिर निर्माण कार्य की गति को बढ़ाया जाएगा।
उन्होंने श्रीराम जन्मभूमि के दर्शन से संबंधित 9 बिन्दुओं पर चर्चा करते हुए कहा कि श्रद्धालुओं के सुविधाजनक दर्शन हेतु बाधाएं समाप्त होनी चाहिए। उन्होंने खेद व्यक्त किया कि यह विषय गृह मंत्रालय के अधीन है और न्यायालय ने भी दर्शनार्थियों की सुविधा के लिए रिसीवर को निर्देशित कर रखा है। इसके बावजूद दर्शनार्थियों को असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। ल्ल प्रतिनिधि
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