पाठकों के पत्र - सूर्य सम साहित्य -दिनकर
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पाठकों के पत्र – सूर्य सम साहित्य -दिनकर

by
Jun 15, 2015, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 15 Jun 2015 11:47:41

अंक संदर्भ: 24 मई, 2015
आवरण कथा 'साहित्य संस्कृति के सूर्य' की वर्तमान में पुन: याद ताजा हो गई। साहित्य क्षेत्र में दिनकर सूर्य के समान चमकने वाले व्यक्ति थे। उनकी लेखनी की धार को सभी ने स्वीकार किया। उनका लिखा हुआ आज भी समाज को प्रेरणा देने का काम कर रहा है और उनका स्फूर्तिपूर्ण, तेजस्वी साहित्य  आज भी शाश्वत है।
– राममोहन चन्दवंशी
टिमरनी, हरदा (म.प्र.)
ङ्म पाञ्चजन्य ने दिनकर जी पर विशेष सामग्री प्रस्तुत कर मन प्रफुल्लित कर दिया। कौन जानता था कि बिहार के बेगूसराय के छोटे से गांव सिमरिया घाट में जन्म लेने वाला यह बालक एक दिन राष्ट्रकवि  के रूप में सम्मानित होगा। उनकी ओजस्वी एवं राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत रचनाओं ने साहित्य में ऐसी किरणें बिखरी हैं जो सदा सर्वदा आने वाली पीढि़यों को नई दिशा दिखाती रहंेगी।  भारतीय संस्कृति-साहित्य के वह एक ऐसे हस्ताक्षर हैं, जो सदा याद किए जाते रहेंगे। उनकी कालजयी रचना पढ़ने मात्र से ही ह्दय में देशभक्ति का भाव हिलोरे लेने लगता है।
-कृष्ण बोहरा
जेल मैदान, सिरसा (हरियाणा)
ङ्म राष्ट्रवाद और समाज के प्रति समर्पण के पर्याय राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने अपनी रचनाओं से न केवल हिन्दी साहित्य का मान बढ़ाया बल्कि राष्ट्रवाद का भी उद्घोष किया। सत्ता और सिंहासन की चरण वंदना से दूर राष्ट्रवाद के प्रति गहरी प्रतिबद्धता ने उन्हें समकालीन साहित्यकारों से पृथक पहचान दी। राष्ट्र की सनातन संस्कृति के प्रति जो आस्था और विश्वास उनके काव्यों में दिखता है वह अन्यत्र कहीं और नहीं है। उनकी रचनाओं से नई पीढ़ी को ऊर्जा मिलती है और आगे भी इसी तरह मिलती रहेगी।
-मनोहर मंजुल
पिपल्या-बुजुर्ग,निमाड (म.प्र.)
ङ्म आज मीडिया किसी न किसी कारण से  सच से मंुुह फेरे रखने में ही अपनी शान समझता है। कभी-कभी तो कुछ मीडिया संस्थान देश के खिलाफ बात करने में भी नहीं हिचकते। ऐसे मीडिया संस्थानों को अपने गिरेबां में झंाकना चाहिए। इनके लिए श्री दिनकर प्रेरक हो सकते हैं। राष्ट्र और धर्म की भ्रष्ट होती जा रही वैदिक-व्यवस्थाओं के पुनरुद्धार हेतु दिनकर जी ने लिखा था- समर शेष है, नहीं अकेला दोषी केवल व्याध, जो तटस्थ है, समय लिखेगा उनका भी अपराध।
-आर्य प्रहलाद गिरि
आसनसोल (प.बंगाल)
ङ्म राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर हिन्दी जगत की वह देदीप्यमान विभूति हैं जिन्होंने अपने काव्य जगत के माध्यम से सुसुप्त जनमानस में वह नवचेतना पैदा की जो राष्ट्र की उन्नति में सहायक हुई। उनका दिया हुआ साहित्य आज भी अमर है। आज हमें दिनकर जी द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलना है जो राजसत्ता को भी अपने आलोक से आलोकित करने की क्षमता रखता है। दिनकर जैसे दिव्य पुरुष इस धरा धाम पर युगों बाद अवतरित होते हैं।
-दीनदयाल गोस्वामी
मथुरा (उ.प्र.)
कांग्रेस की करतूत
महात्मा गांधी ने देश आजाद होने के बाद कांग्रेस को खत्म करने का एलान किया था। लेकिन किसी ने भी उनकी बात को नहीं सुना और इसका परिणाम है कि देश को 60 साल तक कांग्रेस ने जमकर लूटा। कांग्रेस ने यहां की अर्थव्यवस्था से लेकर संस्कृति तक पर गंभीर चोट की और जितना हो सकता था तहस-नहस करने का प्रयास किया। लेकिन इस बार जनता ने उनके कारनामों को समझा और कांग्रेस मुक्त भारत की नींव डाली। देश के लोगों को समझना होगा कि कांग्र्रेस सहित तमाम सेकुलर दल जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से देश को हानि पहुंचा रहे हैं उनसे देश को बचाना समाज का कर्तव्य है।
-मधु शर्मा
हुड्डा कालोनी, भिवानी (हरियाणा)
रुतबे के आगे नतमस्तक
अभी कुछ दिन पहले सलमान खान और जयललिता को न्यायालय ने जमानत पर रिहा कर दिया। दोनों ही जमानत के बाद जनमानस में गुस्सा दिखाई दिया।  इस जमानत के पीछे क्या तथ्य और साक्ष्य रखे गए यह तो न्यायालय से संबंधित लोग ही जानते होंगे। लेकिन समाज में इस घटना के बाद एक हैरान करने वाला संदेश गया है। लोगों को इनकी जमानत से यह लग रहा है कि इन्होंने अपने रुतबे का प्रयोग किया है। कितना अन्याय है कि जहां कुछ लोगों को छोटे से अपराध में ही सजा हो जाती है  वहीं रसूखदारों को कई घोटाले करने के बाद ही कुछ नहीं होता। ऐसे में क्या इस प्रकार की न्याय व्यवस्था से लोगों का भरोसा नहीं उठेगा?
-हरेन्द्र प्रसाद साहा
नयाटोला,कटिहार (बिहार)

 

भारत भर में हर्ष
नवल चेतना का हुआ, पूरा स्वर्णिम वर्ष
युवा वर्ग में जोश है, भारत भर में हर्ष।
भारत भर में हर्ष, काम में गति है आई
सभी मोचार्ें पर तेजी पड़ रही दिखाई।
कह 'प्रशांत' घोटाले बीती बात हो गये
दुनिया में मोदी के चर्चे आम हो गये॥
-प्रशांत

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