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.स्वागत हो नवसंवत्सर का
अधर पर हीरा हंसी का जगमगाया है
नया संवत्सर हमारे द्वार आया है!
खोल डाले तितलियों ने आज अपने पंख
गूंजने लग गए फिर से मंदिरों में शंख
नील नभ ने गीत नया गुनगुनाया है
नया संवत्सर हमारे द्वार आया है!
फूल मिलजुल खुशबुओं का कर रहे हैं दान
मलय गिरि से वायु आई जिंदगी उपमान
मस्तियों का कोष मौसम ने लुटाया है
नया संवत्सर हमारे द्वार आया है!
आहटों की गति अनोखी चुप्पियां मदहोश
भ्रमर पगलाए फिरे यों होश है खामोश
पेड़-पौधों को किसी ने गुदगुदाया है
नया संवत्सर हमारे द्वार आया है!
हर खुशी दिखती सुहागिन सप्त वर्णी चाह
प्रीत के पाखी हृदय की ले रहे कुछ थाह
ताज सपनों का कहीं सुख ने बनाया है
नया संवत्सर हमारे द्वार आया है!
घमंडीलाल अग्रवाल
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