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'लव जिहाद से बालिकाओं की रक्षा करेगी दुर्गावाहिनी'
25 फरवरी को दुर्गावाहिनी का महिला सम्मेलन आदर्श विद्या मन्दिर, अम्बाबाडी क्षेत्र, जयपुर में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में मातृशक्ति की राष्ट्रीय संयोजिका मीनाक्षी ताई पिश्वे थीं। विश्व हिन्दू परिषद की स्थापना के 50 वर्ष पूर्ण होने पर देशभर में स्वर्णजयंती वर्ष मनाया जा रहा है। इसी संदर्भ में देश में मातृशक्ति के सम्मेलन भी आयोजित किए जा रहे हैं। सम्मेलन को संबोधित करते हुए मीनाक्षी ताई ने कहा कि समाज में आज जागरूकता की बड़ी आवश्यकता है, खासकर नारी शिक्षा की। हम सभी लोग देखते हैं कि समाज में नारी पर कैसे-कैसे जुल्म व अत्याचार किए जाते हैं और इसके बाद भी नारी मूकदर्शक होकर सब सहन करती रहती है। इस सबके पीछे कहीं न कहीं हम स्वयं जिम्मेदार हैं। हमें समाज में नारी शिक्षा, कन्या भ्रूण हत्या व महिला सशक्तिकरण के प्रति महिलाओं को जागरूक करना होगा तभी महिलाओं पर अत्याचार बंद होंगे। उन्होंने कहा कि प्राय: हम समाचारों में नित्य देखते हैं कि लव जिहाद की खबरें बहुत आती हैं और जागरूकता के अभाव में हमारी बहन-बेटियां रास्ते से भटक जाती हैं। ऐसे लोगों को हमें जगाना है और उन्हें बताना है कि आप जो भी रास्ता चुन रही हैं, वह गलत है। हमें संगठित होकर भारतीय संस्कृति और धर्म का रक्षण कर उसे शिखर की ऊंचाइयों पर ले जाना है। उन्होंने उपस्थित मातृशक्ति का आह्वान करते हुए कहा कि हमें मिलकर समाज में उत्पन्न कुरीतियों को समूल नष्ट करना है तथा हीन भावना से ग्रस्त मातृशक्ति को जागृत कर प्रखर व तेजस्वी बनाना है। हमें वीरमाता, वीर पत्नी, वीर भगिनी एवं वीर पुत्री बनना होगा। कार्यक्रम में विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय सह संगठन मंत्री विनायक राव देशपाण्डे ने भी मातृशक्ति को सम्बोधित किया। इस अवसर पर प्रान्त संगठन मंत्री महेन्द्र भारती भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में अनेक माताओं, बहनों ने भाग लिया। समारोह की अध्यक्षता साध्वी प्रीति प्रियम्वदा ने की। ल्ल प्रतिनिधि
जड़ों को न भूलना ही संस्कार है
देश के लिए समाजरत्न साधुराम बंसल का व्यक्तित्व व कृतित्व नई व पुरानी पीढ़ी दोनों के लिए सदैव अनुकरणीय रहेगा। सनातन धर्म में परोपकार को सबसे ऊंचा स्थान दिया गया है। भगवान विष्णु ने भी मोक्ष की तुलना में परोपकार को अधिक महत्व दिया और इसी को सार्थक करने के लिए उन्होंने अनेक बार पृथ्वी पर अवतार भी लिया। ये उद्गार राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने साधुराम बंसल के जीवन वृत्त पर प्रकाशित ग्रन्थ 'परोपकृति कैवल्ये' के लोकार्पण के उपरान्त अपने संबोधन में कहीं। श्री त्रिपाठी ने कहा कि आज बदलाव का युग है। प्रत्येक चीज निरन्तर बदल रही है, खासकर युवा पीढ़ी पर इसका असर स्पष्ट तौर से देखा जा सकता है। रहन-सहन, खान-पान सब बदल गया है। लेकिन दु:ख इस बात का है कि परिवर्तित होना कष्टकारी नहीं है, लेकिन अपनी जड़ों को भूलकर परिवर्तित होना कष्टकारी है। नई पीढ़ी सामाजिक अवधारणा से कहीं अधिक पाश्चात्य संस्कृति और संस्कार का अनुकरण कर रही है,यह घातक है।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से उपस्थित कथावाचक श्री भूपेन्द्र भाई पण्ड्या ने कहा कि भारतीय समाज की मूल अवधारणा ही वसुधैव कुटुम्बकम् की है। पुरानी पीढ़ी ने तो इसे अक्षरश: अपने जीवन में उतारा। महाराजा अग्रसेन कुल के साधुराम बंसल ने अनेक चिकित्सालयों, विद्यालयों, सेवालय, देवालय आदि के माध्यम से सामाजिक कार्यों में सहयोग करके अपने जीवन को सफल बनाया और यही संस्कार उन्होंने अपनी अगली पीढ़ी को भी दिए। सामाजिक कार्यों के कारण ही आज हम उन्हें याद कर रहे हैं। मुख्य अतिथि के रूप में इमामी समूह के चेयरमैन राधेश्याम गोयनका ने साधुराम बंसल की उदार प्रवृत्ति व सबको साथ लेकर चलने की भावना से प्रेरणा लेने की बात पर बल दिया। 'परोपकृति कैवल्ये' के लेखक व संपादक प्रकाश ने साधुराम बंसल के जीवन के कई गूढ़ रहस्यों को पुस्तक के माध्यम से अवगत कराया। ल्ल प्रतिनिधि
'इस्लाम का विनाश नजर आ रहा है'
हरियाणा प्रदेश में विश्व हिंदू परिषद अपने स्वर्णजयंती कार्यक्रमों के अन्तर्गत 15 फरवरी से 15 मार्च तक सभी प्रमुख स्थानों पर विराट हिन्दू सम्मेलनों का आयोजन कर रहा है। इसी श्रृंखला मंे गत 28 फरवरी को कुरुक्षेत्र के सैक्टर-17 में विराट हिंदू सम्मेेलन का आयोजन किया गया, जिसमें अनेक प्रसिद्ध संत, विहिप पदाधिकारी एवं समाज के अनेक गणमान्यजन उपस्थित थे। इस अवसर पर विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित किया। डॉ़ जैन ने कहा कि हिन्दू संस्कृति विश्व की महान संस्कृति है और इसे संजोये रखना हम सब की जिम्मेदारी है। उन्होंने लव जिहाद व इस्लामिक कट्टरता और ईसाई संगठनों द्वारा किए गए कन्वर्जन को भी कटघरे में खड़ा किया और कहा कि अब तक पूर्ववर्ती सरकार ने कमजोर मानसिकता और तुष्टीकरण की नीति पर चल कर हिन्दू समाज को कमजोर करने का पूरा प्रयास किया। लेकिन अब हिन्दुओं पर किसी भी प्रकार का अत्याचार सहन नहीं किया जायेगा। विहिप का घर वापसी कार्यक्रम लगातार जारी रहेगा। डॉ.जैन ने यह भी स्पष्ट किया कि घर वापसी का कार्यक्रम भाजपा की सरकार आने के बाद से नहीं हो रहा है बल्कि 700 वर्षों से यह निरंतर चला आ रहा है। डॉ. जैन ने कहा कि आज इस्लाम जिस रास्ते पर चल रहा है, उससे स्पष्ट हो रहा है कि इसका विनाश निकट है और साथ ही ईसाइयों का भी भविष्य सुरक्षित नहीं है। मुख्य रूप से उपस्थित गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी ने कहा कि भगवान कृष्ण की इस पावन स्थली पर गीता का उपदेश पूरे विश्व का मार्गदर्शन कर रहा है। हिन्दू जीवन पद्धति सार्थक है और सरल है। हरियाणा सरकार ने गीता को स्कूल स्तर के पाठ्यक्रम में शामिल करने का जो निर्णय लिया है वह अत्यंत सराहनीय है।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से उपस्थित साध्वी मैत्रेयी ने देश में कन्याभ्रूण हत्या पर जागरूक रहने के लिए समाज से आग्रह किया और कन्याओं को सुसंस्कारित शिक्षा देने की बात कही। इस अवसर पर विहिप के प्रदेशाध्यक्ष क्रांति लाल सैनी, कार्यक्रम के आयोजक डॉ़ मार्कण्डेय आहूजा, नंदलाल छाबड़ा, मदनमोहन छाबड़ा, गौरव, प्रीतम सिंह, कृष्ण पांचाल, सुनील कुमार, प्रवेश कुमार सुनील भट्ट सहित हजारों लोग उपस्थित रहे। ल्ल डॉ. गणेश दत्त वत्स
गोसेवा के प्रतिमूर्ति का अवसान
गत 28 फरवरी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं वर्तमान समय में विश्व हिन्दू परिषद का कार्य देख रहे श्री श्रीधर हनुमंत आचार्य का संकटमोचन आश्रम, दिल्ली में निधन हो गया। वह लगभग एक सप्ताह पूर्व से ही अन्न-जल छोडे़ हुए थे। निधन से पहले उन्होंने अपने शरीर को 'दधीचि देहदान समिति' को देने का संकल्प पत्र भरा था। अत: निधन के बाद उनकी देह को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान को दे दिया गया। स्व. आचार्य का जन्म रक्षाबंधन के दिन 28 अगस्त, 1928 को मंगलोर (कर्नाटक) में हुआ था। 1946 से उनकी संघ यात्रा प्रारम्भ हुई, जो जीवन की अंतिम सांस तक चलती रही। इस बीच उन्होंने कई छोटे व बड़े दायित्वों का निर्वहन किया। विज्ञान और कानून में स्नातक स्व. श्रीधर ने 1950 से अपना सम्पूर्ण जीवन संघ कार्य हेतु समर्पित कर दिया। ओडिशा के बोलांगीर जिले से उन्होंने विधिवत संघकार्य आरम्भ किया। कालाहांडी और कोरापुट में उन्होंने जिला प्रचारक व विभाग प्रचारक के दायित्व के रूप में कार्य देखा। वे इतने परिश्रमी थे कि साधनों के अभाव में अधिकांश प्रवास पैदल या साइकिल से ही करते थे। 1965 में वे ओडिशा में जनसंघ के प्रांत संगठन मंत्री बने। आपातकाल में वे 'मीसा' बन्दी के नाते कटक जेल में भी रहे। 1977 में संबलपुर विभाग प्रचारक तथा 1980 में 'संस्कृति रक्षा योजना' के प्रांत संयोजक बने। संस्कृत के प्रति रुचि देखकर 1984 में उन्हें 'संस्कृत प्रशिक्षण वर्ग' लगाने का तथा फिर 1986 में वाराणसी में 'विश्व संस्कृत प्रतिष्ठानम्' का कार्य मिला।
1990 में उन्हें लखनऊ में विश्व हिन्दू परिषद द्वारा संचालित सत्संगों की देखभाल के लिए भेजा गया। वर्ष 1993 में वे विहिप मुख्यालय (संकटमोचन आश्रम) में आ गये तथा प्रकाशन संबंधी न्यास के मंत्री बनाये गये। गोसेवा के प्रति उनकी अगाध श्रद्धा थी और सदैव गोरक्षा के लिए तैयार रहते थे। श्रीधर जी का अध्ययन बहुत गहरा था। वे हिन्दी, मराठी, कन्नड़, अंग्रेजी, संस्कृत, बंगला, आदि कई भाषाओं के जानकार थे। ल्ल प्रतिनिधि
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