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अन्ना के आंदोलन की फसल काटकर जब अरविंद केजरीवाल दिल्ली की जनता के सामने नेता रूप में अवतरित हुए तो उन्होंने कई लोक-लुभावन सपने और ईमानदारी के नुस्खे दिल्ली की जनता के सामने रखे। लेकिन वास्तविकता से रूबरू होते ही जिन आरोपों पर वे अन्य दलों के नेताओं पर अपने गुस्से का गुबार फोड़ते थे, आज एक वर्ष से भी कम की अवधि में उनके ही विधायक दल-दल में धंसे दिखाई देते हैं। सरकार बनते ही जनता को दिखाने के लिए आआप के संयोजक अरविंद केजरीवाल अपनी नीली वैगनआर कार से तो उनके विधायक ऑटो रिक्शा,ई रिक्शा और मैट्रो से विधानसभा परिसर पहुंचे थे। यह कुछ ज्यादा दिन नहीं बल्कि दस महीने पहले की ही बात है। लेकिन दस महीने में ही इतना कुछ बदल गया कि जो आप नेता विधानसभा में ई रिक्शा,ऑटो रिक्शा और मैट्रो से पहंुचे थे, वह 7 नवंबर को विधानसभा के आखिरी दिन फार्च्यूनर, इनोवा, एसएक्स 4 और ऐसी ही अन्य लग्जरी गाडि़यों से परिसर में पहुंचे।
“जिस गाड़ी से अरविंद केजरीवाल आये थे वह कुमार विश्वास की है। रही बात पार्टी के अन्य नेताओं की जो विधान सभा के अंतिम दिन महंगी कारों से आए तो इसकी उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।” —सोमनाथ भारती, पूर्व कानून मंत्री ,दिल्ली सरकार |
गौरतलब है कि 7 नवंबर को विधानसभा परिसर में फोटो सेशन का आयोजन किया गया था। इस दौरान आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल जो सादगी का नारा देकर दिल्ली की जनता को गुमराह करते रहे हैं इस दौरान बैगनआर कार के बजाय टोयटा इनोवा कार से विधानसभा परिसर में दाखिल हुए। आप की सरकार में मंत्री रहीं राखी बिड़ला इनोवा कार से परिसर में हाजिर हुईं। वहीं पटेल नगर से निवर्तमान विधायक वीणा आनंद फार्च्यूनर कार से पहुंचीं। कस्तूरबा नगर के निवर्तमान विधायक पजेरो कार में सवार थे तो दिल्ली कैंट के निवर्तमान विधायक सुरेन्द्र सिंह कमांडो बोलेरो से परिसर में दाखिल हुए। इस दौरान लोगों के बीच सबसे ज्यादा चर्चा का विषय रहे त्रिलोकपुरी से निवर्तमान विधायक राजू धींगान। असल में राजू धींगान चुनाव लड़़ने से पूर्व बेरोजगार थे। उन्होंने चुनाव के दौरान जो विवरण दिया था उसके मुताबिक उनके पास महज पांच हजार रुपये ही नकद थे। उनके बैंक खाते में 1001 रुपये,पत्नी के खाते में 122 रुपये तथा बच्चे के बैंक खाते में 19 रुपये ही थे। लेकिन जब वह इस कार्यक्रम में दाखिल हुए तो पूरे रौब के साथ एसएक्स 4 कार से उतरकर लोगों को भौंचक्का कर दिया। – प्रतिनिधि
आम आदमी पार्टी पर संदेह तो है और इसकी कथनी और करनी में अंतर आया है। केजरीवाल सहित पूरी पार्टी में पारदर्शिता की कमी महसूस हुई है। विधायकों के पास महज 49 दिन की ही सरकार में इतनी महंगी गाडि़या कहां से आईं? —हरीश बर्णवाल , पत्रकार (दिल्ली ) |
जनता ने आम आदमी पार्टी के चाल–चरित्र और चेहरे को समझ लिया है। जिस वादे के साथ वह सत्ता में आए थे,उन वादों को उन्होंने पूरा नहीं किया। दिल्ली की जनता ने उनकी राजनीति को समझ लिया है और अब वह उनके झूठे वादों में नहीं आने वाली। —रूपाली मुखर्जी, सहायक निर्देशक,कैरट फिल्मस (दिल्ली ) |
आम आदमी पार्टी शुरू से ही दिल्ली की जनता को गुमराह कर रही है। पहले लगा था कि वह जनता का कुछ भला करेगी, लेकिन उनके झूठे वादे और कोरे इरादे आज सबके सामने हैं। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण अरविंद केजरीवाल का स्वयं निर्णय न लेने की क्षमता है। —नरेन्द्र अवाना ,मीठापुर–बदरपुर (दिल्ली ) |
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