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पुंछ और अरनिया से लौटकर आभा खन्ना गुप्ता
देश की उत्तर-पश्चिमी सीमा की चौकसी करने वाले सैन्य दस्ते में जवान से लेकर सैन्य अधिकारी तक सभी में एक नया जोश दिखाई दे रहा है। इसी जोश के चलते अब वे दुश्मन की सेना पर जवाबी कार्रवाई कर मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं। इन्हें पूरा विश्वास है कि ये दुश्मन को किसी भी सूरत में अपने सामने टिकने नहीं देंगे और दिल में एक भरोसा है कि इनके पीछे पूरा देश खड़ा हुआ है। केन्द्र सरकार का स्पष्ट संदेश है कि जैसी स्थिति वैसा व्यवहार। तुरत, सटीक और एकदम स्पष्ट।
मैं जम्मू से पुंछ तक 500 किलोमीटर से अधिक की यात्रा करके लौटी हूं। इस दौरान करीब एक सप्ताह तक सैनिकों के बीच रहकर उनसे बातचीत करने का अवसर मिला। पूरे सीमा क्षेेत्र पर जबरदस्त चौकसी देखने को मिली। अन्तरराष्ट्रीय सीमा पर कठुआ से लेकर चिनाब तक सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का कड़ा पहरा था। उत्तर की नियंत्रण रेखा पर भारतीय सेना का पूरा नियंत्रण है। जवान से लेकर सेना के अधिकारियों तक, सभी में मीडिया से बातचीत करते समय उत्साह और जोश दिख रहा था।
पाकिस्तान के दुर्व्यवहार के चलते भारत सरकार का कड़ा रुख और सैन्यबलों के प्रति विश्वास देखकर हर सुरक्षाकर्मी गर्व और उत्साह महसूस कर रहा है। सेना और सीमा सुरक्षा बल के जवानों के दिलो-दिमाग और जज्बा सकारात्मक दिखाई दे रहा था। यहां पर न तो रोजाना निर्देश ही दिए जा रहे हैं और न ही हर बात के लिए अनुमति की आवश्यकता रहती है। सरकार इस समय बिल्कुल स्पष्ट है। सरकार का संकेत साफ है कि स्थिति के अनुसार कार्रवाई करें, जो कि हमारे लिए काफी सुखद है। हमें यह बताया सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने।
पिछले कुछ माह से पाकिस्तान ने अनगिनत बार हमारी सीमा पर गोलाबारी और बमबारी की है। पाकिस्तान द्वारा अकारण ही युद्धविराम के उल्लंघन का क्रम नियंत्रण रेखा पर जारी है। खासतौर पर सर्दियों से पहले चोरी-छुपे या धोखे से पाकिस्तान भारत की सीमा में घुसपैठियों को प्रवेश कराना चाहता है क्योंकि कुछ समय बाद बर्फबारी से पहाड़ पूरी तरह से पट जाएगा और तब उनके लिए घुसपैठ करना असंभव हो जाएगा। यह भी हो सकता है कि पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दे को तेजी से अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर उठाना चाहता हो। खासतौर पर इसलिए क्योंकि भारत की जनता ने मतदान कर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की एक मजबूत सरकार को चुना है। पाकिस्तान की ओर से आक्रामकता बढ़ाने के अनेक कारण हो सकते हैं। कश्मीर मसले से निराश होने के साथ ही आंतरिक कलह के चलते भी पाकिस्तान यह कर सकता है, लेकिन उसके इस षड्यंत्र का भी उल्टा असर हुआ है।
विश्व का ध्यान कश्मीर मुद्दे की ओर खींचने के लिए पाकिस्तान ने इस बार अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भारी गोलाबारी की। नियंत्रण रेखा पर तो उसकी ऐसी हरकतें सालभर चलती हैं। वैसे भी वह पहाड़ी क्षेत्र है। अंततराष्ट्रीय सीमा मैदानी क्षेत्र है और पाकिस्तान के लिए यहां जनता को सीधा निशाना बनाना आसान है। मगर वह भूल गया कि इस बार केन्द्र में एक दूसरी सरकार है। नरेन्द्र मोदी सरकार न तो डरने को तैयार थी, न ही झुकने को। मासूम जनता पर आक्रमण कर पाकिस्तान ने मोदी राजनीति खेलने की कोशिश की मगर भारत इसे बर्दाश्त करने को कतई तैयार नहीं था। भारत के कड़े रुख के कारण पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी।
इस बार हमारी सेना प्रतिशोध के लिए पाकिस्तान के सामने खड़ी हुई तो पाकिस्तान शांत हो गया क्योंकि सरकार की ओर से सेना को हर तरह से स्वतंत्रता दी गई। सीमा सुरक्षा बल और सेना द्वारा बडे़ स्तर पर हर जगह से निशाना बनाकर पाकिस्तान को जवाबी कार्रवाई कर मुंहतोड़ जवाब दिया गया। भारत की ओर से जवाबी कार्रवाई बड़े स्तर और अधिक क्षमता से की गई जिसका पाकिस्तान को बिलकुल भी अनुमान नहीं था।
भारत की ओर से की गई कार्रवाई में पाकिस्तान को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा हैै, जिस कारण से पाकिस्तान ने अपने देश के समाचार चैनलों को निर्देश देकर वहां हुए नुकसान संबंधी प्रसारण दिखाने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में कहा था कि अगर जरूरत पड़े तो जवान ट्रिगर पर उंगली रखकर सटीक जवाब दें और ये जवाब इसी तरह से दिया जाता रहे। सेना को निर्देश था कि उनकी ओर से कोई 'फ्लैग मीटिंग' नहीं की जाएगी। दिल्ली की ओर से सेना को कमजोर करने वाला कोई संदेश नहीं दिया गया और साफ कर दिया गया था कि बंदूक के साये में कोई बातचीत नहीं की जाएगी। इस संदेश से सेना में गजब के उत्साह का संचार हो गया। भारत की कार्रवाही और व्ववहार का बहुत सकारात्मक असर देखने को मिल रहा है। सुरक्षाकर्मियों से हुई बातचीत से यह भी प्रतीत हुआ कि वही सभी समाचारों पर निगाह रखते हैं और उनके मनोबल में इस बार वृद्धि हुई है।
पाकिस्तान ने ईद-उल-जुहा पर लगातार गोलाबारी की, जबकि दोनों तरफ सीमा पर रहने वाले मुस्लिम त्योहार मना रहे थे। जम्मू के अरनिया सेक्टर में ईद पर पांच नागरिकों की मौत हो गई जिनमें दो महिलाएं भी शामिल थीं और 34 लोग घायल हो गए। इससे पहले 2003 में नियंत्रण रेखा पर पुंछ में पाकिस्तान की ओर से भारी गोलाबारी की गई थी। इस बार जवानों ने दीपावली के मौके पर पाकिस्तान के जरा सी हरकत करने पर उसे करारा जवाब देने की पूरी तैयारी कर ली थी। अन्तरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर हमारी सेना ने पूरी तैयारी कर रखी थी, जिससे पाकिस्तान पूरी तरह से परिचित था। पाकिस्तानी रेंजरों द्वारा उनकी हरकत के चलते छिटपुट गोलाबारी सीमा पर की गई, लेकिन कोई बड़ी घटना नहीं घटी। पिछले कुछ वषार्ें से उसकी तुलना करें तो इस बार पंुछ में दीपावली शांतिपूर्ण तरीके से मनाई गयी और सेना के किसी भी जवान को कोई नुकसान नहीं पहंुचा।
आज जब सीमा पर दुश्मन की ओर से गोली चलाई जाती है तो हमारे जवान उसका पूरे जोश और क्षमता के साथ जवाब देते हैं। प्रधानमंत्री भी कह चुके हैं कि दुश्मन को भी इस बात का अहसास हो चुका है कि अब समय बदल चुका है और उसकी गलत हरकत को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि पहली सरकार की योजनाएं प्रेरणादायक नहीं रही हैं। मीडिया में आई रपट के अनुसार पाकिस्तान में हुए नुकसान से साफ है कि अब स्थिति बदल चुकी है और सेना में ऐसा जबरदस्त उत्साह पहले कभी देखने को नहीं मिला था।
सेना और अर्द्धसैनिक बलों में तैनात जवान अपने जीवन में संघर्ष कर देश की सेवा करते हैं। सीमा पर तैनात जवान नहीं जानते हैं कि उनका जीवन कितना है। आड़ा-टेढ़ा भू-भाग, आंखों से न दिखने वाला शत्रु और खराब मौसम में भी सैनिक जोश के साथ सीमा पर डटे रहते हैं। यह सिर्फ उनके देशप्रेम का जज्बा ही है।
अखनूर में सेना के कमांडिंग आफिसर का कहना है कि हम हमेशा अपने कर्तव्य का पालन कर देश की सेवा करते हैं, लेकिन जब हम महसूस करते हैं कि पूरा देश हमारे साथ है तो हमारा उत्साह और भी बढ़ जाता है। सभी हथियारों से सुसज्जित होकर हम तैयार हैं और किसी भी सूरत में वर्तमान स्थिति से समझौता करने को तैयार नहीं हैं।
वरिष्ठ नेताओं के सकारात्मक बयान और मीडिया की रपटें जवान से लेकर अधिकारी तक सभी के मन में जोश भर देती हैं। सेनाध्यक्ष जनरल दलबीर सिंह सुहाग का कहना है कि हमारी सेना का दमखम और जोश चरम पर है और भारतीय सेना किसी भी युद्ध में विजय प्राप्त करने में सक्षम है।
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