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देश की सुरक्षा में बंगलादेशी घुसपैठिये सेंध लगा रहे हैं। घुसपैठ के जरिए भारत की सीमा में घुसकर ये अवैध तरीकों से पहले अपने मतदाता प्रमाणपत्र और राशन कार्ड तैयार करवाते हैं और उसके बाद देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्त हो जाते हैं। बर्द्धमान विस्फोट में भी बंगलादेशी आतंकी संगठनों का हाथ है। विस्फोट में मारा गया शकील मूल रूप से ढाका का रहने वाला था और पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में अपने ससुर का 'बेटा' बनकर उसने फर्जी तरीके से मतदाता पहचानपत्र और अन्य कागजात तैयार करवा लिए थे। इसके बाद वह बंगलादेशी आतंकी संगठनों के इशारे पर अपने 'मिशन' में जुट गया था।
शकील तो मात्र एक उदाहरण है जिसका विस्फोट होने पर पर्दाफाश हो गया, वरना न जाने कितने 'शकील' भारत की सीमा में घुसकर दिन-रात देश की सुरक्षा और अखंडता को तोड़ने की मुहिम में जुटे हुए हैं। पश्चिम बंगाल के बर्द्धमान जिले में हुए विस्फोट ने एक बार फिर से बंगलादेशी आतंकी संगठन और घुसपैठियों की रोकथाम पर गंभीरता से विचार करने की स्थिति उत्पन्न कर दी है। यदि अभी भी नहीं चेते तो देश के विभिन्न राज्यों में घुसपैठिये अपना मकड़जाल बनाकर देश को खोखला कर देंगे।
जानकारी के मुताबिक वर्ष 2011 में 6761, 2012 में 6537 और 2013 में 5234 बंगलादेशी घुसपैठियों को बंगलादेश के सुपुर्द किया गया। यानी कि पिछले तीन वर्षों में 18532 बंगलादेशी भारत की सीमा में घुस चुके थे। अनुमान के तौर पर हर वर्ष करीब 6 हजार बंगलादेशी भारत में घुसपैठ करते हैं। यह तो रिकार्ड के अनुसार है, जबकि जानकारों का मानना है कि भारत में करीब पांच लाख बंगलादेशी अवैध रूप से घुसकर, अब यहां के नागरिक बनकर रहने लगे हैं। शुरुआत में ये लोग कबाड़ी का काम करते हैं और बाद में मतदाता पहचान पत्र व दूसरे कागजात बनाकर देश के नागरिक होने का दावा करते हैं। एक बार कागजात बनाने के बाद पुलिस व दूसरी सुरक्षा एजेंसी भी आसानी से इनका पर्दाफाश नहीं कर पाती हैं।
यदि आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो वर्ष 2011 से 2013 में सबसे अधिक बंगलादेशी पश्चिम बंगाल से ही पकड़े गए हैं। पश्चिम बंगाल से 6440, त्रिपुरा से 5166, असम से 2480, दिल्ली से 1588 और महाराष्ट्र से 1381 बंगलादेशियों को भारत में अवैध रूप से रहने पर पकड़ा गया। गौर करने वाली बात यह है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद घुसपैठियों की वकालत कर चुकी हैं क्योंकि उनके लिए बंगलादेशी एक बहुत बड़ा वोट बैंक हैं। लेकिन आंकड़ों की मानें तो इन बंगलादेशियों का जाल पश्चिम बंगाल से दिल्ली तक फैला हुआ है। इससे स्पष्ट है कि देश की राजधानी भी अवैध रूप से यहां बसे बंगलादेशियों से अछूती नहीं है।
सीमा पर नहीं पुख्ता इंतजाम
भारत-बंगलादेश सीमा पर मुर्शिदाबाद के बेलडांगा तहसील के अनेक गांव ऐसे हैं, जहां सीमा पर पूरी तरह से बाड़ नहीं लगाई गई है। इसी का फायदा उठाकर घुसपैठिये और आतंकी भारत की सीमा में लगातार घुस रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार भारत में जेएमबी के 30 से अधिक सदस्य प्रवेश कर चुके हैं। इस मॉड्यूल के सदस्य पश्चिम बंगाल में पिछले तीन साल से सक्रिय हैं। विस्फोट में फरार चल रहा कौसर अली और उसका साथी हबीबुर रहमान भी मूल रूप से बंगलादेश के ही रहन वाले हैं। गिरफ्तार रजिया और अमीना भी बंगलादेश से जुड़ी हैं। -बासुदेब पाल/राहुल शर्मा
पश्चिम बंगाल के बर्द्धमान जिले में आतंकियों की चूक से हुए विस्फोट ने उनकी रणनीति का बेशक पर्दाफाश कर दिया है, लेकिन एनआईए की जांच में दिन-प्रतिदिन हो रहे नये खुलासों से साफ है कि पश्चिम बंगाल को बंगलादेशी घुसपैठिए अपने आतंकी कारनामों का केन्द्र बना चुके हैं। इतना ही नहीं देश के विभिन्न राज्यों में बंगलादेशी आतंकी संगठनांे ने अपने पांव जमा रखे हैं। बम तैयार करते समय हुए धमाके को जांच एजेंसी एक अहम संकेत मान रही हैं जिसने पश्चिम बंगाल सरकार की निष्क्रियता के साथ-साथ आतंकियों के मंसूबों पर पानी फेर दिया, वरना आतंकी न जाने कितने लोगों को मौत के घाट उतार देते। विभिन्न स्थानों पर छापेमारी के दौरान हथियार और विस्फोटक सामग्री मिलना यही बताता है कि राज्य में पिछले काफी समय से दहशत मचाने का सिलसिला शुरू हो चुका था।
जांच एजेंसियों के लिए पश्चिम बंगाल में पकड़ बना चुके आतंकियों को अपनी गिरफ्त में लेना अभी भी चुनौती बना हुआ है। पश्चिम बंगाल के बर्द्धमान जिले में हुए विस्फोट के बाद जहां देश की शीर्ष जांच एजेंसियांे की नींद उड़ गई, वहीं राज्य सरकार न केवल सोती रही बल्कि जांच को भी प्रभावित कराने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। यही नहीं विस्फोट को कम क्षमता वाला और एलपीजी सिलेंडर विस्फोट बताकर भी राज्य पुलिस ने मामले को दबाने की कोशिश की। गत 2 अक्तूबर को हुए विस्फोट के बाद राज्य पुलिस का विस्फोटक को निष्क्रिय करना और जांच में लापरवाही बरतना दर्शाता है कि राज्य सरकार की ओर से उन पर किसी प्रकार का दबाव नहीं था और पुलिस गंभीर नहीं थी।
धमाकों के तुरंत बाद एनआईए को जांच सौंपे जाने की बात का मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा विरोध करना और जांच एनआईए द्वारा शुरू करने पर इसे केन्द्र की दखल बताना साबित करता है कि मुख्यमंत्री आतंकी घटना की पीछे की असलियत को पर्दे में रखने को एक तरह से शह दे रही हैं। जांच एजेंसियों ने पाया है कि बर्द्धमान विस्फोट में न केवल पश्चिम बंगाल, बल्कि देश के दूसरे राज्यों से भी तार जुड़े हुए थे। आतंकी बर्द्धमान में भारी मात्रा मंे विस्फोटक तैयार कर बड़ी घटना को अंजाम देना चाहते थे। यही नहीं, राज्य सरकार की ओर से जांच में सहयोग नहीं करने पर एनआईए की मांग पर केन्द्र ने उन्हें बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) मुहैया कराई है क्योंकि केन्द्र की एजेंसी के लिए पश्चिम बंगाल में रहकर जांच करना आसान नहीं रह गया है। यह पहली बार हुआ है कि जब केन्द्र द्वारा बीएसएफ को एनआईए के कहने पर सुरक्षा में तैनात किया गया।
मदरसे और आतंकी
बर्द्धमान विस्फोट में साफ हो चुका है कि मंगलकोट थाना क्षेत्र के सिमुलिया स्थित मदरसे को आतंकियों ने अपनी शरणस्थली बनाया हुआ था। गिरफ्तार रजिया (मृतक आतंकी शकील की पत्नी) और अमीना (आतंकी अब्दुल हाकिम की पत्नी)पूछताछ में पहले ही खुलासा कर चुकी हैं कि उन्हें यहां प्रशिक्षण दिया जाता था। विस्फोट की जांच में जुटी एनआईए मुर्शिदाबाद जिले में स्थित दो अन्य मदरसों की जांच में भी जुटी हुई है, इनमें से एक मदरसा लालगोला, जबकि दूसरा बेलडांगा में है। खास बात यह है कि बर्द्धमान विस्फोट के बाद से दोनों मदरसे बंद हैं जिससे कि जांच एजेंसियों का शक मदरसों की भूमिका को लेकर और भी गहराता जा रहा है। जांच में पता लगा है कि आतंकी संगठन जमात उल मुजाहिदीन बंगलादेश (जेएमबी)की तरफ से आतंकियों को मुहैया कराने वाली रकम पहले असम में एक डॉक्टर को भेजी जाती थी। वहां यह रकम कौसर के माध्यम से मदरसे में पहंुचाई जाती थी। उस डॉक्टर की भी तलाश जारी है। मदरसे से मिली टेलीफोन डायरी से आतंकी जहीदुल का नाम भी सामने आया है। डायरी में मिले नंबरों के आधार पर दूसरे लोगों के बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है। एनआईए को मुर्शिदाबाद के लालगोला और बेलडांगा स्थित मदरसों में छापेमारी के दौरान कुछ कागजात मिले हैं। यह भी पता लगा है कि विस्फोट में मारा गया आतंकी शकील, कौसर और कादिर के साथ यहां तीन माह तक रहा था। सिमुलिया गांव के जंगल में स्थित तामलीपुकुर में यूसुफ मदरसा बनवा रहा था, वहां से भी मोबाइल फोन की बैटरी, चार्जर, टेप रिकार्डर, डायरी वगैरह बरामद किए गए हैं। डायरी में अरबी भाषा में कुछ लेख भी मिले हैं। यहां से एक नैनो कार भी जब्त की गई, जिस पर सेना का स्टीकर लगा हुआ था और कार क ी नंबर प्लेट पर लिखा नंबर फर्जी था। जांच में पता चला है कि संबंधित नंबर मोटरसाइकिल का है। कार का इस्तेमाल आतंकी यूसुफ और उसकी पत्नी करती थी। एनआईए भारत-बंगलादेश सीमा से सटे पश्चिम बंगाल के इलाके में विशेष नजर बनाए हुए है क्योंकि फरार आतंकी इसी रास्ते बंगलादेश भागने की फिराक में हैं। जिहादी आतंकियों के यहां पर छिपे होने की संभावना है। मालदा भी जांच एजेंसियों के निशाने पर है। यूसुफ अपनी पत्नी आयशा सहित फरार है।
ममता सरकार अल्पसंख्यकों पर मेहरबान
वर्तमान में पश्चिम बंगाल में करीब 614 मदरसे एजुकेशन बोर्ड द्वारा स्वीकृत हैं। राज्य सरकार ने नदिया जिले में इस वर्ष एक अंग्रेजी माध्यम के मदरसे को भी मान्यता दी है। राज्य सरकार मदरसों के लिए 614 करोड़ रुपए से अधिक की राशि पिछले कुछ समय में मंजूर कर चुकी है। सूत्रों के अनुसार मदरसा खोलने के लिए भी कुछ नियमों का पालन करना अनिवार्य है, लेकिन राज्य सरकार की हठधर्मिता के चलते सभी नियमों को ताक पर रखकर मदरसे खुल रहे हैं जिनका व्यक्तिगत उपयोग ज्यादा हो रहा है। यदि पश्चिम बंगाल सरकार घुसपैठियों के प्रति सहानुभूति रखने की बजाय उनके खिलाफ सख्त रवैया अपना लेती तो यह स्थिति नहीं बनी होती क्योंकि पिछले काफी समय से सुरक्षा एजेंसियां लगातार पश्चिम बंगाल सरकार को चेता रही थीं, लेकिन सरकार लापरवाह बनी रही।
आतंकियों की 'फंडिंग' का खेल
जांच एजेंसियों को पता लगा है कि जिहादियों से सहानुभूति रखने वाले एक कारोबारी के पास खाड़ी देशों से धन पहंुचता है। फिर उसी के जरिए रुपया बर्द्धमान व दूसरे ठिकानों पर पहंुचाया जा रहा है। मुस्लिम देशों के कई गैर सरकारी संगठन आतंकियों की पूरी मदद करते हैं। एनआईए ने करीब 35 बैंकों के खातों को सूचीबद्ध किया है जिनकी जानकारी बैंकों से जुटाई जा रही है। सिमुलिया के काफी लोगों के खाते भी बैंकों में हैं। फरार आतंकी यूसुफ का खाता भी बैंक में होने के संके त मिले हैं। जांच एजेंसी सोहेल महफूज की भी तलाश कर रही है, जो कि पिछल काफी समय से पश्चिम बंगाल के मदरसों में आता था। कोलकाता से करीब 15 करोड़ रुपये जुटाने में वह सफल रहा है। सोहेल काफी शातिर है।
प्रवर्तन निदेशालय भी जुटा जांच में
बर्द्धमान विस्फोट मामले में एनआईए और एनएसजी के बाद अब ईडी (प्रवर्तन निदेशालय)भी जांच में जुट गया है। सारदा चिट फंड घोटाले के बाद ईडी ने विस्फोट की जांच शुरू कर दी है। ईडी के जांच दल ने गत 20 अक्तूबर को खागरागढ़ स्थित विस्फोट स्थल का मुआयना किया। इसके बाद पुलिस अधीक्षक कार्यालय में बैठक की गई। बर्द्धमान विस्फोट के तुरंत बाद से आतंकियों को मुस्लिम देशों द्वारा धन मुहैया कराने की बात सामने आ रही हैं, इसी नेटवर्क की छानबीन के उद्देश्य से ईडी ने विदेशी धन और हवाला कारोबारियों का पता लगाने के लिए जांच शुरू की है। गौरतलब है कि विस्फोट में मारे गए आतंकी शकील की पत्नी रजिया से 44 हजार रुपये बरामद किए गए थे।
मालदा से बम बरामद
मालदा के कालियाचक थाना क्षेत्र से एक खेत में छिपाकर रखे गए 200 देसी बम बरामद किए गए हैं। गत 17 अक्तूबर को सूचना मिलने पर इन्हें बरामद कर निष्क्रिय कर दिया गया। यहां गत 15 अक्तूबर को हुए धमाके में चार लोग घायल भी हुए थे, जो कि तृणमूल नेता के घर पर हुआ था। एनआईए ने रेजाउल शेख के घर से आईईडी हैंड ग्रेनेड व तीन बैग विस्फोटक जब्त कर उन्हें दामोदर नदी के किनारे नष्ट किया। ल्ल
डोभाल ने की ममता से मुलाकात
27 अक्तूबर को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने पश्चिम बंगाल पहंुचकर बर्द्धमान विस्फोट स्थल का जायजा लिया। उनके साथ आईबी प्रमुख आसिफ इब्राहिम, एनआईए के महानिदेशक शरद कुमार, एनएसजी प्रमुख जे. एन. चौधरी भी उपस्थित थे। इन सभी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की। डोभाल ने ममता को बताया कि किस तरह से बंगलादेश पश्चिम बंगाल को अपना गढ़ बना रहा है। ममता ने इस मामले को सुलझाने में पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया है।
इससे पूर्व गत 24 अक्तूबर को एनआईए प्रमुख शरद कुमार ने खागरागढ़ में विस्फोट स्थल और सिमुलिया स्थित मदरसे का निरीक्षण किया था। जांच में स्पष्ट हो चुका है कि विस्फोट बंगलादेशी आतंकी संगठन जेएमबी द्वारा किए गए हैं। जेएमबी भारत की जमीन पर बंगलादेश के लिए बड़ी साजिश रच रहे थे। उनका निशाना प्रधानमंत्री शेख हसीना थीं। इस संबंध में भारत सरकार बंगलादेश सरकार को दस्तावेज भी मुहैया कराएगी।
फरार चल रहे यूसुफ, कौसर और हबीबुर की गिरफ्तारी के लिए इंटरपोल की मदद भी ली जाएगी। कौसर हथियार व विस्फोटक सामग्री, जबकि यूसुफ मदरसे का संचालन करता था। उसकी तीन बहनें भी मदरसे से फरार हैं।, जो कि वहां काम करती थीं। मदरसों मंे आतंकी प्रशिक्षण दिए जाने की बात सामने आने पर बंगलादेश व नेपाल से सटी सीमा पर बीएसएफ व एसएसबी द्वारा कड़ी निगरानी रखी जा रही है। बर्द्धमान विस्फोट के असम से भी तार जुड़े होने के संकेत हैं क्योंकि वहां से छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इससे आगे मामले की जांच असम को भी सौंपी जा सकती है। बर्द्धमान, बीरभूम और मुर्शिदाबाद जिले आतंकियों की शरणस्थली बन चुके हैं।
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