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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने शुरुआती तीन माह में ही भारतीय सेना के तीनों अंगों को आधुनिकतम बनाने का प्रयास किया है। वार्षिक बजट 2014-2015 में रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 49 फीसदी तक बढ़ाकर भारत को न केवल आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया है, बल्कि आईएनएस विक्रमादित्य, कोलकाता और पनडुब्बी कामोर्ता को शामिल कर भारतीय नौसेना की शक्ति में असीमित वृद्धि की है। इसके अलावा सेना में 'वन रैंक वन पेंशन' और युद्ध स्मारक बनाने को हरी झंडी देकर सैनिकों के लंबे अर्से से अधूर पड़े सपने को साकार कर दिया है।
आईएनएस विक्रमादित्य : 1 जून को 15 हजार करोड़ रुपये की लागत से रूस से खरीदे गए युद्धपोत आईएनएस विक्रमादित्य भारतीय नौसेना में शामिल होने के बाद अमरीका, इटली के बाद भारत ऐसा तीसरा देश बन गया जिसके जंगी बेडे़ में दो युद्धपोत हैं। इससे न केवल हमारी समुद्री सीमाएं सुरक्षित हो गईं हैं, बल्कि दुश्मन देशों को भारत की असीमित शक्ति का अंदाजा भी हो गया। उच्च तकनीक से सुसज्जित यह युद्धपोत देश के लिए अभेद्य रक्षा कवच का कार्य करेगा। विक्रमादित्य के नौसेना में शामिल होने को स्वर्णिम पल बताते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि भारत न तो किसी को 'आंख दिखाकर बात करेगा और न आंख झुकाकर।'
भारत-अमरीका असैनिक परमाणु करार : एनपीसीआई(न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड) और डब्ल्यूईसी(वेक्टिंग हाउस इलेक्ट्रिक कंपनी) के बीच 31 जुलाई को परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग का गोपनीय करार किया गया।
आईएनएस कोलकाता :16 अगस्त को देश में निर्मित पहले जंगी जहाज आईएनएस कोलकाता को भारतीय नौसेना को सौंपा गया। 2606 करोड़ रुपए की लागत से तैयार 6800 टन वजनी इस युद्धपोत में 30 नौसेना अधिकारी और 300 नौसैनिक सवार हो सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे नौसेना को सौंपते हुए कहा कि 'आधुनिकीकरण से ही युद्ध जीते जाते हैं और हथियारों से लैस सेना ही युद्ध की गारंटी होती है।' उन्होंने इसे भारत की बौद्धिक क्षमता का प्रमाण बताते हुए भारत के सैन्य कौशल बढ़ने का विश्वास जताया था। प्रधानमंत्री पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि भारत रक्षा उत्पादों में आत्मनिर्भर बनेगा।
कामोर्ता पनडुब्बी : 22 अगस्त को भारतीय नौसेना के बेड़े में विशाखापत्तनम में लड़ाकू पनडुब्बी आईएनएस कामोर्ता के शामिल होने से देश की नौशक्ति में और अधिक वृद्धि हो गई।
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