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मुम्बई में 17 अगस्त को विश्व हिन्दू परिषद् के स्वर्ण जयन्ती महोत्सव का शुभारंभ हुआ। समारोह का उद्घाटन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर पेजावर स्वामी विश्वेशतीर्थ जी महाराज, गोविन्द देव गिरि जी महाराज, विश्वेश्वरानन्द जी महाराज सहित अनेक वरिष्ठ सन्त और विभिन्न संगठनों के वरिष्ठ कार्यकर्ता उपस्थित थे। समारोह को सम्बोधित करते हुए श्री मोहनराव भागवत ने कहा कि प्राचीन भारतीय जीवन-मूल्य ही विश्व की स्थाई शांति और प्रगति को सुनिश्चित कर सकते हैं। आज आवश्यकता है कि हिन्दू समाज स्वयं के जीवन-मूल्यों को पहचाने और उनके अनुकूल आचरण करे। एक अच्छा, पक्का व सच्चा हिन्दू ही समरस, सर्वांगसुन्दर व शक्तिसम्पन्न समाज का निर्माण कर सकता है। विश्व हिन्दू परिषद् गत 50 वषार्ें से विश्वभर के हिन्दुओं में इसी उद्देश्य को लेकर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि स्वर्ण जयन्ती वर्ष गत 50 वषार्ें के कायार्ें का सिंहावलोकन और समीक्षा करने का अवसर है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि विश्व हिन्दू परिषद् इन लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए आगे का मार्ग तय करेगी और इसी दृृष्टि से उनके अधिकारी वर्षभर के कार्यक्रमों की योजना बनाएंगे। इसके साथ ही विश्वास भी व्यक्त किया कि वे संतों, चिंतकों व समाज की आशा के अनुरूप अपने लक्ष्यों को प्राप्त करेंगे।
विश्व हिन्दू परिषद् के कार्याध्यक्ष डॉ. प्रवीणभाई तोगडि़या ने अपना प्रस्तावित भाषण करते हुए संकल्प लिया कि विहिप भारत के हर गांव और शहरों के हर वार्ड में अपनी इकाइयांे की स्थापना करेगी। देश में कन्याओं और युवाओं के 5000 से अधिक छात्रावास बनाए जाएंगे। करोड़ों निर्धन हिन्दुओं को नि:शुल्क स्वास्थ्य सेवा दिलाने का तंत्र विकसित किया जाएगा। महिलाओं के स्वावलम्बन के लिए हर जिले में स्वयं सहायता समूह विकसित किए जाएंगे। गो आधारित कृषि का विकास करेंगे व गोचर धरती की रक्षा कर उन्हंे भूमाफियाओं से मुक्त कराया जाएगा। देश में ऐसी परिस्थितियों का निर्माण किया जाएगा कि भारत गोहत्या के पाप से मुक्त हो जाए। मतान्तरण के विरोध में समाज को जाग्रत करेंगे व मतान्तरण मुक्त भारत का निर्माण करेंगे। उन्होंने विश्व हिन्दू परिषद् के लक्ष्यों को परिभाषित करते हुए कहा कि राम मंदिर के निर्माण का संकल्प शीघ्र ही पूरा होगा तथा गोहत्या व मतान्तरण के विरोध में केन्द्रीय कानून बनवाने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने गत 50 वषार्ें की उपलब्धियों का वर्णन करते हुए बताया कि 54,000 ग्राम शिक्षा मन्दिरों के माध्यम से 20 लाख वनवासी व पिछड़े वर्ग के बच्चों को साक्षर व संस्कारित किया गया। 60 हजार से अधिक सेवा कार्य समाज को स्वावलम्बन की दिशा में ले जा रहे हैं। 550 गोशालाओं में गोबर व गोमूत्र से बनने वाली औषधियां गोवंश को हमेशा के लिए उपयोगी सिद्घ कर रही हैं। प्रतिवर्ष एक लाख गोवंश कसाइयों से बचाया जाता है। इन वषार्ें में सात लाख से अधिक ईसाई व इस्लाम मत में मतान्तरित हिन्दुओं को 'घर'वापस लाया गया तथा 50 लाख से अधिक हिन्दुओं को मतान्तरित होने से बचाया गया।
स्वर्ण जयन्ती वर्ष आयोजन समिति के अध्यक्ष और धर्मस्थल, कर्नाटक के धर्माधिकारी श्री वीरेन्द्र हेगड़े ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि आज सेवा ही ईश्वर की सबसे बड़ी आराधना है। सेवा के माध्यम से ही समाज में आत्मीयता निर्माण कर समरसता लाई जा सकती है। विश्व हिन्दू परिषद् के अन्तरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राघव रेड्डी ने गत 50 वषार्ें के कायोंर् का सिंहावलोकन करते हुए उसकी उपलब्धियों को प्रशंसनीय बताया और यह विश्वास व्यक्त किया कि भारत को विश्वगुरु बनाने का संकल्प निकट भविष्य में अवश्य पूरा होगा।
आयोजन समिति के उपाध्यक्ष श्री माधवन नायर (इसरो के पूर्व अध्यक्ष) ने अपने भाषण में कहा कि हिन्दू समाज के पिछड़े वर्ग के उत्थान के लिए आधुनिक विज्ञान व तकनीकी का प्रयोग करना चाहिए। कार्यकम को जैन संत श्री नयपदमसागर जी महाराज, बौद्ध संत श्री भदन्त राहुल-बोधि और सिख नेता श्री गुरुचरण सिंह गिल ने भी सम्बोधित किया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए समिति के मंत्री श्री चम्पत राय ने संचालन समिति के पदाधिकारियों का परिचय कराया।
सभा के अंत में मुम्बई के प्रसिद्ध उद्योगपति व कोंकण प्रांत के अध्यक्ष श्री देवकीनंदन जिंदल ने सम्पूर्ण देश से आए प्रमुख संतों, आयोजन समिति के पदाधिकारियों व उपस्थित श्रोताओं का भावपूर्ण अभिनन्दन व स्वागत किया। विश्व हिन्दू परिषद् के स्वर्ण जयन्ती महोत्सव के अवसर पर दिल्ली, बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान आदि राज्यों में भी अनेक कार्यकम आयोजित हुए। इन कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में आम लोगों की भी भागीदारी हो रही है। वर्षभर चलने वाले कार्यक्रमों का समापन 5 सितंबर, 2015 को नासिक कुंभ में किया जाएगा। ल्ल प्रतिनिधि
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