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भारतीय नौसेना पर इन दिनों मानों ग्रहण सा लग गया है। कुछ ही समय गुजरता है कि एक नया हादसा तरह-तरह के सवालों को जन्म दे देता है। पिछले दिनों ही एक हादसे के बाद नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए नौसेना अध्यक्ष ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन सवाल यह उठता है कि हादसों का सिलसिला आखिर थमेगा कैसे? क्योंकि अधिकारियों के इस्तीफे देने मात्र से ही समस्या हल नहीं हो जाएगी।
गत 7 मार्च को भारतीय नौसेना के लिए निर्माणाधीन युद्धपोत आईएनएस कोलकाता पर हुए एक हादसे में एक नौसैनिक अधिकारी की मौत हो गई। मुंबई के निकट मझगांव यार्ड में खड़े आईएनएस कोलकाता को देश के सर्वाधिक अत्याधुनिक युद्धपोतों में से एक बताया जाता है। सूत्रों ने बताया कि एमडीएल द्वारा निर्मित विध्वंसक पोत आईएनएस कोलकाता यार्ड 701 की कार्बन डाई ऑक्साइड इकाई में मशीनों का परीक्षण चल रहा था और तभी अचानक से गैस का रिसाव हो गया। इस घटना में नौसेना के एक कमांडर की मौत हो गई थी, जबकि कुछ अन्य बीमार पड़ गए जिन्हें उपचार के लिए अस्पताल में दाखिल कराया गया। इससे एक सप्ताह पूर्व ही मुंबई तट पर आईएनएस सिंधुरत्न पर आग लगने और धुआं फैलने की घटना हुई थी, उसमें दो अधिकारियों की मौत हो गई थी और सात नाविक बीमार पड़ गए थे। पिछले सात महीने में नौसेना परिसंपत्ति से संबंधित यह 12वीं दुर्घटना है। उल्लेखनीय है कि बीती 14 अगस्त को आईएनएस सिंधुरक्षक मुंबई बंदरगाह पर डूब गया था। उसमें सवार सभी कर्मचारियों की मौत हो गई थी। वहीं आईएनएस एरावत से जुड़ी घटना के बाद कमांडिंग ऑफिसर को कमान संबंधी कायोंर् से मुक्त कर दिया गया था। आईएनएस बेतवा भी किसी चीज से टकराने के कारण क्षतिग्रस्त हो गया था। इसके अलावाआईएनएस कोंकण में भी मरम्मत के दौरान आग लग गई थी। गौरतलब है कि 26 फरवरी को सिंधुरत्न के हादसे के बाद नौसेना प्रमुख एडमिरल डी. के. जोशी ने नैतिकता के आधार पर अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। लेकिन इसके बावजूद भी रक्षा मंत्रालय कुम्भकरणीय नींद से जागा नहीं है। प्रतिनिधि
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