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-विजय कुमार-
पुराने गिले-शिकवे भुलाने और नवीन मेल-मिलाप करने के लिए होली से अच्छा कोई पर्व नहीं है। इसलिए भाजपा को रोकने और कांग्रेस को ठोकने के लिए चुनावी माहौल में हर दिन रिश्ते बन और बिगड़ रहे हैं। लेकिन शर्मा जी अपनी आशा को कभी मरने नहीं देते। वे मोदी को रोकना तो चाहते हैं, पर राहुल बाबा को ठोकना नहीं। उन्हें लगता है कि यदि किसी तरह तीसरा मोर्चा बन गया, तो चुनाव के बाद वह झक मारकर कांग्रेस के साथ ही आएगा। इसलिए उन्होंने होली पर इस दिशा में नए सिरे से प्रयास करने का निश्चय किया।
पिछले दिनों वे पार्क में मिले, तो कहने लगे, वर्मा, मेरे दिमाग में तीसरे मोर्चे के बारे में एक बड़ा धांसू आइडिया है।
तुमने कभी सोचा है कि तीसरा मोर्चा बनाने के लिए कई बार नेता साथ आते हैं, पर वह बनते ही बिखरने लगता है ?
– जी नहीं, मैं इन बेकार बातों में समय खराब नहीं करता। कोई बात नहीं। दिमागी काम वही कर सकता है, जिसके पास दिमाग हो।
-तो डेढ़ दिमाग वाले शर्मा साहब, आप ही बताइए।
– जरा समझो। नाम तो है तीसरा मोर्चा, पर कभी इसमें दस लोग आते हैं तो कभी बारह। फिर उनमें ऐसी कोई समानता भी नहीं है, जिससे वे मिलकर साथ चल सकें।
– हां, ये तो है।
– इसलिए मैंने सोचा है कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर केवल तीन महिलाओं (जयललिता, ममता और मायावती) को बुलाया जाए। तीन महिलाओं के तीसरे मोर्चे का आइडिया हिट हो सकता है। फिर इनमें कई समानताएं भी हैं।
– जैसे?
– पहली बात तीनों बुजुर्ग नारी �%B
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