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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सम्पर्क प्रमुख श्री राममाधव ने छत्तीसगढ़ में हुए नक्सली हमले की कड़ी निन्दा की है। इसके साथ ही उन्होंने नक्सलियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। पाञ्चजन्य से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि साठ के दशक में जब नक्सलवाद का उभार हुआ था,उस समय उसे सामाजिक और आर्थिक असन्तोष के रूप में देखा गया था। दबे-कुचले लोगों और नौजवानों के लिए इसे एक क्रांतिकारी संगठन माना गया था। पर अब नक्सलवाद, नक्सलवाद नहीं रहा,यह माओवाद तक पहुंच गया है। इस माओवाद का सामाजिक और आर्थिक समस्या से कोई लेना-देना नहीं है। यह भारत की राजनीतिक व्यवस्था,भारतीय तंत्र और भारतीय शासन को खुली चुनौती देने लगा है। इसे इसी रूप में देखने और इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जरूरत है,किन्तु दुर्भाग्य से हमारा शासन इसे इस रूप में नहीं देखता है। माओवाद के मूल में न जाकर सिर्फ ऊपरी तौर पर इस समस्या को देखा जा रहा है। यही कारण है कि यह समस्या दिनोंदिन विकराल रूप लेने लगी है। इस समस्या का हल जितनी जल्दी खोजा जाएगा भारत के लिए उतना ही अच्छा होगा। आखिर हम कब तक अपने लोगों का खून बहाते रहेंगे? प्रतिनिधि
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