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'एल. के. आडवाणी ब्लॉग', यह ब्लॉग दुनिया में सबसे ज्यादा पढे़ जाने वाले ब्लॉग में से एक है। इसकी लोकप्रियता इस कदर है कि आमतौर पर श्री आडवाणी द्वारा लिखे गए लेख विचार-विमर्श के विषय बन जाते हंै। हाल ही में श्री आडवाणी के पिछले डेढ़ सालों में लिखे गए 54 ब्लॉग्स का संकलन 'लालकृष्ण आडवाणी राष्ट्र सर्वोपरि' पुस्तक में प्रभात प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। मुख्यत: वह अपना ब्लॉग अंग्रेजी में लिखते हैं।
श्री लालकृष्ण आडवाणी वर्ष 2009 से लगातार ब्लॉग लिख रहे हैं। एक राजनीतिज्ञ होने के बाद भी उनका लेखन एक तरफा नहीं है। विस्तृत नजरिया उनके ब्लॉग की विशेषता है। स्पष्ट सोच एवं मजबूत शब्दों के प्रयोग से इसमें रोचकता बनी हुई है। प्रकाशित पुस्तक में सार्वजनिक जीवन के तमाम आयामों की चर्चा की गयी है तथा उनके द्वारा संदर्भ सहित व्याख्या से कई लेख जीवंत से हो गए हंै।
पुस्तक की प्रस्तावना में अरुण शौरी लिखते हंै, ह्यमैं सार्वजनिक जीवन में किसी ऐसे व्यक्ति को नहीं जनता हूं, जिसने संचार के नए माध्यम ब्लॉग्स का इतने प्रभावशाली तरीके से उपयोग किया, जितना कि उन्होने।ह्ण पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल एस.के. सिन्हा लिखते हंै, ह्यवे सभी (ब्लॉग) रोचक, ज्ञानवर्धक और शैक्षिक है। उनमंे समसामयिक मुद्दों को सरल-सहज व विश्वसनीय तरीके से समेटा गया है। ब्लॉग पर लिखे गए लेख आज न केवल प्रासंगिक हैं, बल्कि शोधकार्य करने वाले विद्वानों के लिए भविष्य में हमारे वर्तमान समयों को समझने के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होंगे।
इस पुस्तक में कई ब्लॉग भारतीय इतिहास की पृष्ठभूमि पर लिखे गए हंै। जिनमें सरदार पटेल और जम्मू – कश्मीर पर लिखे गए लेख प्रमुख हैं। कई बार तो श्री आडवाणी द्वारा ब्लॉग पर लिखे गए लेख मीडिया और जनता में विचार-विनिमय का जरिया बनते हंै। उनके द्वारा इतिहास पर काफी कुछ लिखा गया है वे एक लेख में भारतीय इतिहास पर लिखते हैं, ह्यमुझे कुछ दिन पहले हार्वर्ड की विद्वान डायना एल. एक्क की एक पुस्तक पढ़ने को मिली।ह्ण पुस्तक का शीर्षक है- 'इंडिया-ए सेक्रिड जियोग्राफी'। कुछ इतिहासकारों का कहना है कि भारतीयों में इतिहास बोध की कमी है। पुस्तक के अध्याय 2 में व्हाट इज इंडिया? शीर्षक वाले अध्याय में लेखक अनेकानेक शोधों पर आधारित इस टिप्पणी का संदर्भ देते हैं, लेकिन यह भी स्वीकारोक्ति करते हैं कि यद्यपि यह पाकर अनूठा लगा कि उनके (भारतीयों) पास भूगोल का विस्तृत ज्ञान है।
पुस्तक में एक लेख कर्नाटक में हुए चुनावों के नतीजों पर है,जो भाजपा और कांग्रेस, दोनों के लिए एक अच्छा लेख है। वे लिखते हंै कि वर्तमान में मुझे लगता है कि कर्नाटक के नतीजे भाजपा और कांग्रेस के लिए गंभीर सबक है। हम दोनों को इन चुनावों से यह मानना चाहिए कि अब आम आदमी को अपनी जेब में पड़ा मानकर मत चलिए। यदि भ्रष्टाचार कर्नाटक में नाराजगी का कारण बना है, तो क्यों नहीं यही भावना संपूर्ण देश में भी महसूस की जाएगी'? आत्ममंथन और दूरदर्शिता को आधार मानकर लिखा यह ब्लॉग राजनीतिज्ञों के अनैतिक आचरण पर सवाल खड़ा करता है और उन्हें एक तरह से चुनौती भी देता है- समाधान निकालने की।
कहते हैं एक महान कलाकार हमेशा अपने समय से आगे या पीछे होता है। यहां कलाकार के रूप में लेखक ने इतिहास और भविष्य दोनों की विवेचना बेहद शानदार तरीके से संतुलित होकर की है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मामलों पर लिखे गए ब्लॉग्स निंदा और प्रशंसा दोनों को स्थान देते हंै। चाहे वे चुनाव हों , जजों की नियुक्ति प्रक्रिया में सुधार की बात हो या फिर काला धन वापस लाने की बात। ब्लॉग कई मुद्दों पर अपनी बात रखने का प्रयास हो सकता है और श्री आडवाणी इस प्रयास में सफल रहे हंै। साथ ही पुस्तक के रूप में इन ब्लॉग्स पर लिखे गए लेखों का आना इस प्रयास को और अधिक सार्थक बना देता है। यह एक पठनीय एवं संग्रहणीय पुस्तक है,जिसका उपयोग विषय के प्राथमिक अध्यन के लिए किया जा सकता है। -देवेश खंडेलवाल
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