आदर्श घोटाला रपट: कांग्रेस-राकांपा में ठनी
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अपने दागी नेताओं को बचाने के लिए रपट दबायी कांग्रेस सरकार ने
पवार ने कहा हमसे नहीं पूछा, चव्हाण ने कहा सबसे पूछा
बहुचर्चित आदर्श आवास घोटाले की जांच के लिए बम्बई हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जे. ए. पाटिल की अध्यक्षता में गठित दो सदस्यीय जांच आयोग की रपट खारिज किए जाने के मसले पर अब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने भी मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण को घेरना शुरू कर दिया है। उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने 26 दिसम्बर को पत्रकारों से बातचीत के दौरान जांच आयोग की रपट खारिज करने का निर्णय अकेले मुख्यमंत्री का होने की जानकारी देकर उन्हें कठघरे में ला खड़ा किया।
हैरानी की बात यह है कि नागपुर में हुए शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन 20 दिसंबर को जब मुख्यमंत्री चव्हाण ने जांच आयोग की रपट खारिज करने का निर्णय मंत्रिमंडल का होने की जानकारी संवाददाता सम्मेलन में दी थी तो उस समय उनके साथ ही उप मुख्यमंत्री पवार बैठे हुए थे। उधर राकांपा प्रवक्ता ने भी इस मुद्दे पर कांग्रेस को घेरने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि आयोग की रपट खारिज किए जाने से मुख्यमंत्री के दु:खी होने की खबर मीडिया के जरिए उन्हें पता चली है। इसके अलावा कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी एवं केंद्रीय राज्यमंत्री मिलिंद देवड़ा ने भी आयोग की रपट खारिज किए जाने को सार्वजनिक रूप से बयान देकर गलत बताया है। उन्होंने कहा कि यदि मुख्यमंत्री सचमुच में रपट खारिज किए जाने से दु:खी हैं और वे पुनर्विचार करने की इच्छा रखते हैं या फिर कांग्रेस की कोई अलग भूमिका है तो राकांपा को जांच कराने में कोई आपत्ति नहीं है।
वह मुख्यमंत्री को दु:ख के वातावरण से बाहर निकाल कर आनंद के माहौल में लाने के लिए मदद करने को तैयार हैं। महाराष्ट्र की जनता आदर्श आवास घोटाले की जांच रपट खारिज किए जाने से राज्य सरकार और कांग्रेस से नाराज है।
जनता की इसी नाराजगी को बचने के लिए अब सरकार में शामिल होने के बावजूद राकांपा व उसके मंत्री इस मसले पर अलग रुख अपना रहे हैं, जो कांग्रेस को नागवार गुजर रहा है।
प्रतिनिधि
मुसलमानों को लुभाने के लिए उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी सरकार आए दिन नए तरीके निकालती रहती है। लोकसभा चुनाव निकट आते देख सपा ने मुसलमानों को अपने पक्ष में करने के लिए प्रदेश के 75 मदरसों को अनुदान देने की तैयारी की हुई है जिसके तहत वह मदरसों में तैनात शिक्षकों व कर्मचारियों के वेतन का खर्च व साथ ही समय-समय पर प्रदेश सरकार की ओर से मिलने वाली कई और अन्य सुविधाओं का लाभ दिलाने के लिए पूरा जोर लगाए हुए है। प्रदेश सरकार द्वारा मदरसों को अनुदानित करने की तैयारी के बाद विभिन्न जिलों के मदरसा संचालक किसी भी तरीके से अपने मदरसे को इसमें शामिल करवाने के लिए तरह-तरह के प्रपंच करने में जुट गए हैं। सूत्रों की मानें तो मदरसा संचालक अनुदान के लिए घूस देने व सिफारिश करने में भी नहीं हिचकिचा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में एक समाचार चैनल के संवाददाता द्वारा प्रदेश में मदरसों से जुड़ी एक रपट सामने प्रस्तुत की थी। रपट में प्रदेश के विभिन्न जिलों में पड़ताल की गई थी। उस पड़ताल में 118 फर्जी मदरसे मिले थे। कागजों पर जिन स्थानों पर मदरसे होने चाहिए थे उनके स्थान पर कुछ और ही मिला था। प्रतिनिधि
सोशल मीडिया: तूफान की आहट
सूचना क्रांति ने नए प्रतिमान खड़े किए हैं तो कई चुनौतियां और सवाल भी खड़े हो गए हैं। सोशल मीडिया की भूमिका को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। उत्तर प्रदेश और असम में भड़के दंगों के दौरान सोशल मीडिया की जो भूमिका रही, उससे उसकी जिम्मेदारी के भाव और विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हुए। इस दौरान सोशल मीडिया की ओर से प्रसारित संदेशों, चित्रों की जांच तक की गई। इसीलिए सोशल मीडिया को तूफान की आहट तक माना जा रहा है।
यह विचार दैनिक ट्रिब्यून के पूर्व सम्पादक विजय सहगल ने व्यक्त किए। वे माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (एमसीयू) और एशियन मीडिया इन्फार्मेशन एवं कम्युनिकेशन सेन्टर (एमिक) सिंगापुर के संयुक्त तत्वावधान में नवीन मीडिया एवं जनसंवाद विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में बतौर मुख्य वक्ता उपस्थित थे। उन्होंने कहा दरअसल, परंपरागत मीडिया के मानदण्ड तय हैं, जबकि सोशल मीडिया के मानदण्ड अभी तय नहीं हैं। भारत में आज भी मूल्य आधारित पत्रकारिता के लिए ही स्थान है।
सेमिनार के उद्घाटन सत्र में एमिक के मण्डल सदस्य डॉ. विनोद सी. अग्रवाल ने कहा कि भारत दुनिया में एकमात्र ऐसा देश है, जहां समाचार-पत्र लगातार वृद्धि कर रहे हैं। उनकी वृद्धि दर करीब 12 प्रतिशत है, जबकि अन्य देशों में वर्षों पुराने और स्थापित समाचार पत्र बंद हो रहे हैं। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कर रहे माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीके कुठियाला ने कहा कि आने वाले समय में जल्द ही दुनिया की आबादी से दो-तीन गुना अधिक आबादी इंटरनेट पर होगी। दरअसल, कई लोग अलग-अलग पहचान से इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं। इंटरनेट एक ऐसी तकनीक के रूप में हमारे सामने आया है, जो उपयोग के लिए सबको उपलब्ध है और सर्वहिताय है। इस दौरान एमसीयू के रजिस्ट्रार चंदर सोनाने, रैक्टर प्रो. रामदेव भारद्वाज, प्रो. सीपी अग्रवाल, डॉ. श्रीकांत सिंह, डॉ. पवित्र श्रीवास्तव, डॉ. आरती सारंग, आशीष जोशी, पीपी सिंह और डॉ. अविनाश वाजपेयी सहित अनेक लोग उपस्थित थे। प्रतिनिधि
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