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आवरण कथा 'षड्यंत्र विफल, चेहरे उजागर' का संकेत है कि इंडियन मुजाहिद्दीन सेकुलर नेताओं की शह पर ही पनपा है। यदि ये सेकुलर नेता आतंकवादियों के घर नहीं जाते और उनके पक्ष में बयान नहीं देते तो आज इंडियन मुजाहिद्दीन इतना मजबूत नहीं होता। अभी भी समय है कि सेकुलर नेता वोट बैंक की राजनीति छोड़ दें और इन आतंकवादियों के विरुद्घ कार्रवाई करें।
-विशाल कुमार
शिवाजी नगर,वडा,थाणे(महाराष्ट्र)
० भाजपा की पटना रैली के दौरान इंडियन मुजाहिद्दीन ने कई जगहों पर बम विस्फोट किया। आतंकवादियों का उद्देश्य था कि रैली में भगदड़ मच जाए और अधिक से अधिक लोग मरें। नरेन्द्र मोदी सहित भाजपा के सभी बड़े नेता भी उनके निशाने पर थे। यह भगवान की कृपा ही रही कि सभी बम फटे नहीं और उन दुष्टों की मंशा पूरी नहीं हुई।
-रामावतार
कालकाजी,नई दिल्ली
० बिहार सरकार के निकम्मेपन के कारण पटना में बम विस्फोट हुए। किन्तु दु:ख की बात है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस घटना को बहुत ही हल्के से लिया। उन्होंने यह भी कहा आतंकवादियों ने ही भाजपा की रैली को चर्चा में ला दिया,नहीं तो वह रैली निष्फल हो चुकी थी। बेशर्मी की भी कोई हद होती है। नीतीश ने ही गुजरात में मारी गई इशरत जहां को ह्यबिहार की बेटीह्ण कहा था। ऐसे व्यक्ति से यह अपेक्षा नहीं की जा सकती है कि वे आतंकवादियों के विरुद्घ कुछ करेंगे।
-सुहासिनी प्रमोद वालसंगकर
दिलसुख नगर,हैदराबाद(आं.प्र.)
० भाजपा की पटना रैली में आतंक की राजनीति का प्रमाण मिल गया है। इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकियों को शह देने की कुचालें सपष्ट हुई हैं। आज नरेन्द्र मोदी को देश के राजनीतिक विरोधियों से ज्यादा चुनौती अमरीका और पाकिस्तान के साजिशी विरोध से मिल रही है और इस विरोध में कांग्रेस और जदयू उनके आसान मोहरा बनकर राजनीति के रहस्य को और गंदला बना रहे हैं।
-हरिओम जोशी
चतुर्वेदी नगर, भिण्ड(म.प्र.)
० बिहार की कानून-व्यवस्था चौपट हो चुकी है। जब बिहार सरकार एक रैली की सुरक्षा नहीं कर सकती है तो फिर पूरे बिहार में कानून-व्यवस्था का क्या हाल होगा,इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। बिहार के लोगों की प्रशंसा करनी होगी कि बम विस्फोटों के बावजूद उन्होंने नरेन्द्र मोदी का भाषण बहुत ही धैर्य के साथ सुना।
-सत्यदेव गुप्त
उत्तरकाशी(उत्तराखण्ड)
० पाण्डवों को लक्षा गृह में जलाकर मारने का षड्यंत्र रचा गया था,किन्तु वे भगवान की कृपा और विदुर के सहयोग से सुरक्षित बच निकले थे। पटना में इसी प्रकार का षड्यंत्र भाजपा नेताओं को मारने के लिए रचा गया था। यहां भी दैव कृपा हुई और भाजपा का शीर्ष नेतृत्व बच गया। बहुत हद तक सत्यवादी होने की वजह से भी ये नेता बच गए।
-हरेन्द्र प्रसाद साह
नयाटोला,कटिहार(बिहार)
० इस समय सबसे अधिक खतरे में नरेन्द्र मोदी हैं। आई.बी. भी बार-बार कह रहा है कि आतंकवादियों से नरेन्द्र मोदी को बहुत अधिक खतरा है। इसके बावजूद केन्द्र सरकार नरेन्द्र मोदी की सुरक्षा नहीं बढ़ा रही है। सरकार में बैठे लोग ही आतंकवादियों का मनोबल बढ़ाने में लगे हैं। कांग्रेसी कुसंस्कृति देश को बर्बाद कर रही है। आम लोगों को यह देखना होगा कि कांग्रेस पंथनिरपेक्षता के नाम पर किस प्रकार देश के साथ धोखा कर रही है।
-ठाकुर सूर्यप्रताप सिंह सोनगरा
कंडरवासा, रतलाम (म.प्र.)
० पटना में भाजपा की ऐतिहासिक रैली को निशाना बनाकर किए गए धमाकों का विध्वंस भले ही कम दिखे,लेकिन विश्लेषण व्यापक नजरिए की मांग करता है। इस अभूतपूर्व जनज्वार में भगदड़ की सुनामी उठाने का खूनी षड्यंत्र यदि पूरा हो जाता तो देशभर में कैसा हाहाकार मचता,इसकी कल्पना भी दहलाने वाली है। मौके पर मौजूद जनता और मंचासीन नेताओं ने समझदारी दिखाई और त्रासदी सीमित होकर रह गई।
-जीवन सिंह सोलंकी
दिग्गी चौक,अजयमेरू(राजस्थान)
इतिहास को झुठलाया नहीं जा सकता
लेख ह्यउपेक्षित सरदार की लौह प्रतिमा से डरा वंशवादह्ण बहुत अच्छा लगा। इस लेख में कांग्रेस के वंशवाद को तथ्यों के साथ बेनकाब किया गया है। लेखक और पाञ्चजन्य परिवार को बहुत-बहुत धन्यवाद और साधुवाद।
-शिवशंकर मिश्र
करगीखुर्द,कोटा,बिलासपुर(छ.ग.)
० इतिहास झुठलाया नहीं जा सकता है। महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू ने देश की आजादी के आन्दोलन और स्वतंत्रता प्राप्ति में सरदार पटेल की लगातार उपेक्षा की। सरदार पटेल जमीनी नेता थे,इसलिए उनका ये लोग तिरस्कार नहीं कर पाए। आज भी कांग्रेस के लोग नेहरू-गांधी खानदान को चमकाने के चक्कर में सरदार को भूल रहे हैं।
-डॉ. सुशील गुप्ता
शालीमार गार्डन,सहारनपुर(उ.प्र.)
० आजकल कुछ लेखक और पत्रकार सरदार पटेल के बहाने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ,भाजपा और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की जमकर आलोचना कर रहे हैं। जबकि इतहास साक्षी है कि सरदार पटेल और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बीच बहुत अच्छे रिश्ते थे। पटेल एक राष्ट्रभक्त थे। इसके अलावा उनके बारे में जो बातें कही जा रही हैं,वे सभी निर्मूल हैं।
-मनीष कुमार
लल्लू पोखर,मुंगेर(बिहार)
० कांग्रेस ने सरदार पटेल की इतनी उपेक्षा की है कि उन्हें मरणोपरान्त भारत रत्न दिया गया। जबकि इस देश के लिए सरदार पटेल ने जो काम किया है,वह किसी ने नहीं किया है। यदि तत्कालीन सरकार में थोड़ी-सी भी समझ होती तो वह सरदार पटेल को ही पहला भारत रत्न देती। कांग्रेस तो अभी भी सरदार की उपेक्षा करती है। नेहरू -गांधी खानदान के किसी सदस्य की जन्म तिथि या पुण्य तिथि पर करोड़ों रु का विज्ञापन देती है,जबकि सरदार के मामले में चुपी साध लेती है।
-जयकान्त
अंसारी नगर,नई दिल्ली
हिन्दुओं की चिन्ता किसको है?
यह रपट ह्यसांसत में मेवात के हिन्दूह्ण बताती है कि हिन्दू-बहुल देश में हिन्दुओं की कितनी बुरी स्थिति है। हरियाणा के मेवात में हिन्दुओं के साथ जो हो रहा है वह बहुत ही चिन्तादायक और शर्म की बात है। मुस्लिम वोट बैंक के चक्कर में अधिकांश राजनीतिक दल कट्टरवादियों की असामाजिक गतिविधियों को देखकर भी कुछ नहीं बोलते हैं। ऐसे ही कारणों ने कश्मीर से हिन्दुओं को पलायन करने के लिए विवश किया था।
-उमेदुलाल
धारमण्डल, टिहरी गढ़वाल (उत्तराखण्ड)
० मेवात में हिन्दुओं का हाल बहुत ही बुरा है। यहां यह कहना शायद ठीक होगा कि देश के जिस भी भाग में कट्टरवादियों की स्थिति मजबूत है वहीं हिन्दुओं की हालत खराब है। चाहे कश्मीर हो,चाहे मेवात हो,चाहे केरल का मल्लपुरम हो हर जगह से हिन्दू पलायन कर रहे हैं। यह अजीब बात है कि हिन्दू-बहुल देश में ही हिन्दू विस्थापित जीवन जी रहे हैं।
-गोपाल
गांधीग्राम,गोड्डा (झारखण्ड)
० कैसी विडम्बना है कि भारत में मेवात हिन्दुओं के विरोध में पाकिस्तान बन रहा है और सुधी मीडिया जगत सुध लेने की जगह मुख मोड़े खड़ा है। पाञ्चजन्य परिवार के साहस को प्रणाम,जो मेवात के हिन्दुओं की चिन्ता पर बराबर ध्यान देते हुए उन पर हो रहे अत्याचारों को देश-दुनिया तक पहुंचाता है।
-शशिभूषण
रायपुर(छत्तीसगढ़)
० ऐसा लगता है कि देश में हिन्दुओं को गाली देने और अपमानित करने में सेकुलर राजनीतिक दलों में होड़ लगी हुई है। हर सेकुलर नेता को चिन्ता है तो सिर्फ मुसलमानों की। यह इसलिए हो रहा है कि मुसलमान एकजुट हैं। उनका अपना वोट बैंक है। यदि हिन्दू भी अपना वोट बैंक बना लें तो सारे सेकुलर नेता हिन्दुओं की भी बात करने लगेंगे।
-शिवानंद झा
बहिलवारा, सरैया, मुजफ्फरपुर (बिहार)
मुस्लिम-भक्त सपा
ह्यमुजफ्फरनगर की काली दीवालीह्ण रपट में वहां के दंगा पीडि़त हिन्दुओं की व्यथा प्रकट हुई है। अजीब हालत है कि मुजफ्फरनगर के दंगा पीडि़तों को मुआवजा मजहब के आधार पर दिया जा रहा है। राज्य की सपा सरकार ने खुलेआम यह आदेश दिया कि 90 करोड़ रु मुस्लिमों के बीच बांटा जाए। उत्तर प्रदेश सरकार खुलकर मुस्लिम तुष्टीकरण करने लगी है। यह सरकार मुस्लिम तुष्टीकरण में इस तरह अंधी हो गई है कि उसे वे दु:खी हिन्दू नहीं दिख रहे हैं,जिन्हें दंगाइयों ने कहीं का नहीं छोड़ा है। ऐसी ही सरकारों की वजह से देश कमजोर हो रहा है।
-कन्हैयालाल
तिलकामांझी,भागलपुर(बिहार)
विशेष सुविधाओं से युक्त खानदान
भारत की गुप्तचर एजेंसी आईबी ने पिछले दिनों कई बार कहा है कि गुजरात के मुख्यमंत्री और भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी की जान को सबसे अधिक खतरा है। फिर भी नरेन्द्र मोदी को विशेष सुरक्षा उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। गृह मंत्रालय कहता है कि उनकी सुरक्षा पर्याप्त है। वहीं दूसरी ओर सोनिया गांधी, उनके बेटे राहुल गांधी, उनकी पुत्री प्रियंका वाड्रा, उनके दामाद राबर्ट वाड्रा, यहां तक कि प्रियंका के दोनों बच्चों को भी विशेष सुरक्षा उपलब्ध कराई गई है। ऐसा लगता है कि भारतीयों पर नेहरू-गांधी खानदान का विशेष ऋण है, तभी तो आम लोगों के पैसे से इस खानदान को विशेष सुविधाएं और सुरक्षा मिल रही है। इस खानदान के सदस्यों की सुरक्षा उस एसपीजी के पास है, जिसके पास प्रधानमंत्री की सुरक्षा का दायित्व है। भारतीयों पर संभवत: पितृ ऋण के साथ-साथ नेहरू-गांधी ऋण भी निरन्तर चलता रहेगा। शायद इस नेहरू-गांधी ऋण के कारण ही नेहरू-गांधी खानदान को भारतीय जनता पर राज करने का पैदाइशी ठेका प्राप्त है। इसी ऋण के प्रताप से ही नेहरू-गांधी खानदान के चिराग राहुल गांधी, विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत के ह्ययुवराजह्ण कहलाकर परिवारिक राजशाही का सूत्रपात करने के इच्छुक जान पड़ते हैं। इसी नेहरू-गांधी प्रभाव के कारण इस खानदान के वर्तमान दामाद व बेटी और नातियों को भी अति विशिष्टजन-व्यवहार तथा निरीह भारतीय जनमानस का मार्गदर्शन करने का अधिकार स्वत: प्राप्त हो गया है। इस अति विशिष्ट अधिकार का प्रदर्शन इस खानदान के हर आयु के सदस्य बराबर करते हैं।
ब्रिटिश हुकूमत की कृपादृष्टि व राष्ट्रपिता की सहानुभूति से और कुछ चाटुकार इतिहासकारों के कारण भारत को स्वतंत्र कराने का एकमात्र श्रेय कुछ राष्ट्रवादी, राष्ट्रचिन्तकों के स्थान पर नेहरू-गांधी परिवार को प्राप्त हो गया। आगे के इतिहासकारों ने भी नेहरू-गांधी खानदान को महिमामंडित करने के लिए भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा रहे गैर कांग्रेसी संगठनों, नेताओं व महापुरुषों को नेपथ्य में डालने का ऐसा ऐतिहासिक पाप किया, जिसकी सजा आज तक भारतीय जनता भुगत रही है और निकट भविष्य में भी इस सजा से मुक्त होती दिखाई नहीं देती। भारत के आज के राजनीतिक व सामाजिक वातावरण को देखकर बोध होता है कि जैसे नेहरू-गांधी खानदान के अतिरिक्त न तो भारतीय जनता का कोई शुभचिन्तक पैदा हुआ है और न भविष्य में होगा। इसी प्रभाव के कारण आज भारत के अधिकांश सरकारी भवनों, चौराहों, सड़कों व ंस्थानों का नामकरण इसी खानदान के लोगों के नाम किया जा रहा है। कांग्रेस नेतृत्व ने सदा ही नेहरू-गांधी विरासत के अतिरिक्त कांग्रेस में उभरते नव-नेतृत्व को या तो नेपथ्य में जाने को विवश कर दिया या फिर कांग्रेस छोड़ जाने पर विवश कर दिया। आज कांग्रेस की चाटुकारिता से परिपूर्ण संस्कृति ने कांग्रेस पार्टी व नेहरू-गांधी खानदान को एक-दूसरे का पर्याय बना दिया है। आज कांग्रेस में, नेहरू-गांधी की विरासत न रखने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम भी मजबूरी में ही केवल औपचारिकतावश लिया जा रहा है, जबकि उनके विचारों से आज कांग्रेस में कोई वास्ता नहीं रखना चाहता। कितना लज्जा का विषय है कि भारत को स्वतंत्र कराने का एकमात्र श्रेय लेने वाली कांग्रेस में एक भी ऐसा व्यक्ति दिखाई नहीं देता जो कांग्रेस को नेहरू-गांधी खानदान की छाया से मुक्त कराकर भारतीय जनता को इस नेहरू-गांधी ऋण से मुक्त करा सके।
-आनन्द मेहता
13/740, सर्राफा बाजार सहारनपुर-247001 (उ.प्र.)
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