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शरद ऋतु खाने-पीने, पहनने-ओढ़ने की ऋतु है। स्वास्थ्य की दृष्टि से सबसे अच्छी ऋतु है।
शरद ऋतु में क्या करें
० प्रात: उठकर उषापान में दो चम्मच आंवला रस मिलाकर दो गिलास पानी पिएं।
० प्रात: रोज भस्त्रिका, कपालभांति तथा अनुलोम -विलोम प्राणायाम करें।
० प्रात: धूप में बैठकर पूरे शरीर की तेल मालिश (बादाम या सरसों का तेल) करें।
० रोज प्रात: 30-45 मिनट योगासन अथवा शारीरिक व्यायाम करें।
शरद ऋतु में आहार
० प्रात: नाश्ते में गरम दूध में शहद डालकर सेवन करें।
० कभी 8-10 खजूर चबा-चबाकर खाएं तथा बीच-बीच में गरम-गरम दूध पिएं।
या रात्रि में चने तथा दो छुहारे फूलने रख दें। प्रात: चने तथा खजूर या छुहारा मिलाकर चबा-चबाकर खाएं।
अंकुरित अन्न का नाश्ता करें या बादाम, काजू, छुुहारा-किसमिस, अखरोट खाएं दूध पिएं। खाने से पूर्व गाजर, मूली, शलगम, टमाटर, खीरा आदि का सलाद सेवन करें।
० दोपहर 2-3 बजे के बीच पालक, गाजर, चुकन्दर, टमाटर, हरा आंवला, हरा धनिया, अदरक को उचित मात्रा में मिलाकर रस निकालें तथा 250 मि.ली. रोज पिएं। सायं काल टमाटर, गाजर, पालक, बन्द गोभी, बथुआ आदि का सूप बनाकर गर्म-गर्म पिएं। उसमें लहसून, अदरक, हल्दी जरूर डालें। ठंड से रक्षा करेगा।
० उच्च रक्तचाप एवं मोटे व्यक्तियों को छोड़कर शेष लोग इस ऋतु में दूध, देशी घी व मक्खन खूब खा सकते हैं।
० रात्रि का भोजन हल्का सुपाच्य करें। सोने से तीन घंटे पूर्व खाना खाएं।
० पौरुष शक्ति बढ़ाने के लिए 100-100 ग्राम अश्वगन्धा चूर्ण, सतावर चूर्ण, सफेद मूसली चूर्ण, कोंच के बीजों का चूर्ण, विदारीकन्द चूर्ण तथा सालम पंजा चूर्ण कूट पीसकर रख लें तथा 1-2 चम्मच सुबह-शाम दूध के साथ पूरे मौसम तीन माह सेवन करें।
० किशोर-किशोरियों को अपनी लम्बाई बढ़ाने के लिए 1-1 चम्मच अश्वगन्धा चूर्ण गर्म दूध के साथ सुबह-शाम लेना चाहिए। 20 दिन सेवन करें।
० स्त्रियों को गरम दूध के साथ सतावर या केशर डालकर पीना चाहिए।
० सुबह-शाम बच्चों को च्यवनप्राश या अश्वगन्धा व सतावर दूध के साथ लेना चाहिए। या रात्रि में बादाम गिरि फूलने रखें। प्रात: छिलका हटाकर पानी में बारीक पीस लें। फिर देसी घी में भूनकर गर्म दूध के साथ सुबह-शाम- पिएं।
क्या न खाएं-पिएं
० शरद ऋतु में दही, मट्ठा, आइसक्रीम, सभी ठंडे कृत्रिम पेय पदार्थ,मैदे की बनी चीजें, कड़वी, कसैली चीजें गरिष्ठ भोजन, पिछले ऋतु की शाक-सब्जियां आदि न खाएं- पिएं।
शरद ऋतु की बीमारियां
० शरद ऋतु में जुकाम, खांसी, बुखार, वात रोगों का प्रकोप ज्यादा रहता है।
जुकाम-7 तुलसी के पत्ते, 10 ग्राम अदरक, 5 काली मिर्च, 2 लौंग, 2 ग्राम दाल चीनी का चूर्ण, 2 ग्राम मुलैठी चूर्ण थोड़ा काला नमक। सब कूटकर गुड़ डालकर 3 कप पानी में उबालें। एक कप रहने पर छानकर आधा नीबू निचोड़ लंे तथा गरम-गरम काढ़ा पीकर कम्बल ओढ़कर आधा घंटा आराम करें। यह प्रयोग सुबह-शाम 3-5 दिन करें। दिन में अजवाइन उबला पानी पिएं तथा सुबह-शाम गर्म पैर स्नान करें आपका जुकाम फुर्र हो जाएगा।
नजला : एक-दो ग्राम सुहागा फूला, एक कप गरम पानी में घोलकर प्रात: सायं पिएं तथा उपरोक्त उपचार भी करें तुरन्त लाभ होगा।
खांसी : 7 तुलसी के पत्ते 2-3 काली मिर्च, पीसकर एक चम्मच अदरक रस तथा एक चम्मच शहद मिलाकर गुनगुना करके चाटें। तुरन्त लाभ होगा। साथ ही एक घण्टे के अन्तराल में आधा-आधा चम्मच सितोपलाधि चूर्ण शहद के साथ चाटें। गरम खान-पान न करें। छाती में गरम-गरम महानारायण तेल की मालिश करें। खांसी चली जाएगी।
बुखार : बुखार में खूबकला दो चुटकी, मुनन्का (बीजरहित) 3-5 तथा तीन अंजीर चबाकर प्रात:सायं खाएं बुखार चला जाएगा। दो घंटे के अन्तराल में 5 नीम के पत्ते, 2 काली मिर्च चबाकर खाएं ऊपर से पानी पी लें। 3-5 दिन सेवन करें या महासुदर्शन चूर्ण एक-एक चम्मच दिन में तीन बार पानी से लें। दिन में 3 बार गिलोय रस 4-4 चम्मच पिएं ज्वर भाग जाएगा।
गठिया वात : बात रोग में 100-100 ग्राम अश्वगन्धा चूर्ण, मेथी दाना चूर्ण,सोंठ चूर्ण, अखरोट चूर्ण, हल्दी चूर्ण मिलाकर रख लें। 2-2 चम्मच दवा गरम दूध में सुबह-शाम 20 दिन लें । महानारायण या अन्य तेल को गर्म करके मालिश करें। पूरे शरीर का भाप स्नान करें। वात रोग से छुटकारा मिल जाएगा।
शरद ऋतु में विहार
० बच्चे, बूढे़, जवान सभी पर्याप्त गर्म कपड़े पहनें। ठण्डी हवा से बचें।
० रोज, धूप सेंकें, गुनगुने पानी से स्नान करें।
नाभी, नाक पर सरसों का तेल लगाएं ओंठों पर घी, मक्खन लगाएं ,एडि़यों पर भी लगाएं। ठंड आराम से कट जाएगी। ल्ल डॉ. भारत सिंह
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