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दार्थव्मा एक ऐसे वीर सेनानी है, जिन्होंने वास्तव में अपने देश की सेवा की है और अपनी जान की परवाह किए बिना उन्होंने अग्रेजों का डटकर मुकाबला किया। उन्होंने द्वितीय विश्व युद्घ में भी भाग लिया था। उस दौरान वह कुछ समय के लिए जेल में भी रहे थे। इसके बाद वे नेताजी सुभाष चन्द्र बोस द्वारा गठित आजाद हिन्द फौज में बतौर सैनिक जुड़ गए और बड़ी बहादुरी के साथ बर्मा के युद्घ में उन्होंने लड़ाई लड़ी। इस लड़ाई में उनको गोली भी लगी थी। हैरीटेज संस्थान ने दार्थव्मा के अहम योगदान के लिए उनको इस कार्यक्रम में सम्मान पत्र और सम्मान राशि
भेंट की।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि लुग्लाई के उपायुक्त वी. सपचुंगा ने दार्थव्मा के देश के प्रति बहुमूल्य योगदान की प्रशंसा करते हुए कहा कि वास्तव में वे एक सच्चे देशभक्त हैं, जिन्होंने अपने जीवन को देश के लिए समर्पित कर दिया। ऐसे वीर सेनानियों पर हमें गर्व है। नागा होहो संगठन के उपसचिव ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमें बड़ी खुशी है कि यह संस्थान उन लोगों को हम सभी के सामने ला रहा है, जिन्होंने अपने देश और समाज के लिए नि:स्वार्थ भाव से काम किया है।
कार्यक्रम के अध्यक्ष जलेश्वर ब्रह्म ने कहा कि दार्थव्मा जैसे लोग हमारे युवाओं के लिए प्रेरणादायी हैं। ऐसे लोगों के जीवन को जानकर हमारे युवा ही नहीं बल्कि पूरा देश व समाज भविष्य में आने वाली कितनी ही समस्याओं का हल निकाल सकते हंै। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि असम रायफल्स 28 के मेजर गौरव भारद्वाज ने वीर सेनानी दार्थव्मा के सम्मान में कहा कि ऐसे वीर सेनानियों से हमारे युवा प्रेरणा प्राप्त करेंगे। इस अवसर पर हैरिटेज संस्थान के सचिव विनोद कुमार जैन ने कहा कि दार्थव्मा तथा अन्य महापुरुषों के त्याग हम कभी नहीं भूलेंगे। प्रतिनिधि
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