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31 अगस्त को अखबारों में यह चौंकाने वाली खबर आई कि रिजर्व बैंक मंदिरों के स्वर्णाभूषणों पर नजरें गढ़ाए है। देश का खजाना लूटकर स्विस बैंकों में अपनी अगली 10 पीढि़यों के लिए पर्याप्त पैसा जमा करने वाले धनपति नेताओं की शह पर रिजर्व बैंक तिरुपति और शिरडी साईं मंदिरों का सोना लेना चाहता है। सरकार के अर्थशास्त्रियों ने सलाह करनी शुरू कर दी है कि कैसे मंदिरों से सोना लेकर गिरते बाजार में जान फूंकी जाए। रिजर्व बैंक तिरुपति और शिरडी मंदिर सरीखे भक्तों के अनेक श्रद्धा केन्द्रों से व्यवहार करने वाले बैंकों पर दबाव बना रहा है कि वे मंदिर के न्यासों को अपने यहां इकट्ठा सोना-चांदी धनराशि के बदले बैकों को दे दें जिसे फिर रिजर्व बैंक खरीद लेगा। सरकार इस बात पर दबाव बना रही है कि लोग विदेशों से सोना लाना बंद कर दें ताकि रुपया बाहर जाने से बचाया जा सके।
लेकिन सरकार के इस शरारती सेकुलर पैंतरे के खिलाफ तीखा रोष भी उपजा है। विश्व हिन्दू परिषद के अन्तरराष्ट्रीय महामंत्री श्री चम्पत राय ने इसकी कड़ी भर्त्सना करते हुए कहा कि, मन्दिरों की सम्पत्ति भगवान की सम्पत्ति है तथा मन्दिर प्रबंधन उसका 'केयर टेकर' होता है जिसे सम्पति बेचने का अधिकार नहीं होता। सरकार का भी उस पर कोई अधिकार नहीं है। यूपीए सरकार की करतूतों के चलते अर्थव्यवस्था की तंगहाली से देश को बचाना है तो केन्द्र सरकार मन्दिरों के सोने पर कुदृष्टि लगाने के स्थान पर विदेशों में जमा काले धन को भारत में लाने का प्रबन्ध करे। उन्होंने सरकार को चेताया है कि वह सत्ता मद में हिन्दू मन्दिरों पर कब्जा जमाने की मानसिकता से बाहर निकले। यदि मन्दिरों की सम्पत्ति पर डाका डालने का प्रयास किया गया तो हिन्दू समाज चुप नहीं बैठेगा। प्रतिनिधि
मंदिरों की तरफ नजर डालने की बजाय सरकार विदेशों में जमा कालाधन वापस लाए। -चम्पतराय, अन्तराष्ट्रीय महामंत्री, विहिप
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