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'बम-भोले' और 'बोल बम' के उद्घोषों के साथ विश्व प्रसिद्ध कैलास मानसरोवर यात्रा शुरू हो चुकी है। 25 दिन तक चलने वाली इस पावन यात्रा में देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु भाग ले रहे हैं। भगवान शिव के प्रति अपनी अगाध श्रद्धा का परिचय देने के लिए श्रद्धालु यात्रा के कठिन और दुर्गम मार्गों की परवाह किए बगैर भगवान शिव के हिमलिंग रूप के दर्शन को उत्सुक हैं। और अभी सावन में कांवड़िये हरिद्वार से दिल्ली तक पैदल और दूर-दराज तक बोल बम गुंजाते दिखाई देंगे। पर इसी बीच भगवान शिव का एक मंदिर ऐसा भी दिखाई दिया जो श्रद्धालुओं की राह देख रहा है। श्रद्धालुओं की बेरुखी के चलते आज यह मंदिर दयनीय स्थिति में पहुंच गया है।
श्रद्धालुओं की राह देखता यह शिव मंदिर भारत की राजधानी दिल्ली के नूर नगर में स्थित है। करीब 400 वर्ग गज में बना है यह मंदिर। सूत्रों के अनुसार करीब 40 साल पहले (स्व.) जौहरी लाल नामक एक जमींदार ने इस मंदिर का निर्माण कराया था। इसके बाद मंदिर में स्थानीय लोगों का आना-जाना शुरू हो गया। शिवरात्रि, जन्माष्टमी आदि त्योहारों पर धार्मिक आयोजन होने लगे। कांवड़ यात्रा के दौरान भी श्रद्धालु हरिद्वार आदि स्थानों से जल लाकर मंदिर में स्थापित शिवलिंग पर चढ़ाते थे। मंदिर में श्रद्धालुओं के लगातार आवागमन और धार्मिक आयोजनों से मंदिर में रौनक बनी रहती थी। लेकिन पिछले करीब 2 साल से इस मंदिर में श्रद्धालुओं का आना-जाना करीब-करीब बंद हो गया है। शिवरात्रि, जन्माष्टमी आदि त्योहारों पर होने वाले धार्मिक अनुष्ठान भी पिछले 5 साल से बंद हैं। मंदिर के पुजारी ने भी विभिन्न कारणों से अगस्त, 2011 से मंदिर जाना बंद कर दिया है।
20 हजार से अधिक आबादी वाली इस कालोनी में आज हिन्दुओं के मात्र 20-25 परिवार ही हैं। कालोनी के एकमात्र मंदिर में श्रद्धालुओं के न जाने के संबंध में स्थानीय हिन्दू परिवार कुछ भी साफ-साफ बोलने को तैयार नहीं हैं। विष्णु (बदला हुआ नाम) ने बताया कि मंदिर का द्वार हमेशा बंद रहता है इसलिए किसी की भी वहां जाने की हिम्मत नहीं होती। वैसे भी जमीन के मालिक ने धार्मिक आयोजन करने के लिए मना कर रखा है। वहीं हिमांशु (बदला हुआ नाम) कहते हैं कि मंदिर का चौकीदार मुसलमान है और वह वहां मांस बनाता है। उसने मंदिर को अपवित्र कर रखा है, इसलिए वहां जाने का मन नहीं होता। वहीं दबी आवाज में स्वदेश (बदला हुआ नाम) ने कहा जौहरी लाल जी ने तो जमीन मंदिर के नाम पर छोड़ दी थी लेकिन आज भूमाफिया की नजर इस मंदिर की कीमती जमीन पर है। स्नातक की छात्रा सुनीता (बदला हुआ नाम) ने कहा कि भगवान की पूजा करने का मन तो होता है और कालोनी में कोई दूसरा मंदिर भी नहीं है। कालोनी के बाहर का मंदिर दूर है। यदि मंदिर का गेट खुल जाए तो मैं भी भगवान की पूजा कर लूं।
मंदिर के पुजारी रहे गोपीनाथ (बदला हुआ नाम) का कहना है कि मंदिर का चौकीदार बात-बात पर मुझसे लड़ता था। एक बार मैं बीमार था तो मंदिर नहीं जा सका। मेरी मां, जोकि बहुत वृद्ध हैं, ने कहा कि 'मैं मंदिर चली जाती हूं'। वह मंदिर जल्दी पहुंच गईं तो चौकीदार ने द्वार नहीं खोला और मेरी मां को बुरा-भला कहकर वापस भेज दिया। इसके अलावा लोगों ने भी यहां आना बंद कर दिया था इसलिए मैंने भी मंदिर जाना छोड़ दिया।
इस संबंध में जमीन के मालिक पवन सैनी का पक्ष जानने के लिए अनेक बार सम्पर्क करने का प्रयास किया। आखिरकार बात होने पर उन्होंने कहा कि मंदिर में लोग पूजा करने आते हैं, उनकी पूजा से मुझे कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन जमीन मेरी है। niɯûhÉ सिसोदिया
मंदिर का जीर्णोद्धार कराएंगे
मंदिर के जीर्णोद्धार व व्यवस्था ठीक कराने हेतु हम मंदिर के न्यासियों व प्रबंधक से मिलेंगे। इस पुरातन मंदिर में नैमित्तिक, साप्ताहिक व विशेष पूजा कार्य सुचारू रूप से चलें, इसकी व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्र में रह रहे हिन्दू समाज को साथ लेकर आगे बढ़ेंगे।
विनोद बसंल, प्रवक्ता, इन्द्रप्रस्थ विश्व हिन्दू परिषद्
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