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हरियाणा में भी खुलेआम तस्करी का धंधा जारी है। हजारों गोवंश का अवैध बूचड़खानों या जंगलों में वध किया जा रहा है, लेकिन प्रदेश की कांग्रेस सरकार मूकदर्शक बनी हुई है। पशु तस्कर गाय और बैलों को वाहनों में ठूंसकर हरियाणा के मेवात, उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, टांडा और कैराना जैसे मुस्लिमबहुल इलाके में ले जाते हैं, जहां पर प्रतिदिन करीब तीन हजार गायों व बैलों का बेरहमी से कत्ल हो रहा है। गत वर्ष हरियाणा में 700 से ज्यादा पशु तस्करी के मामले दर्ज हुए, जबकि कई हजार ऐसे मामले सामने आए हैं जो पुलिस व गो-तस्करों की मिलीभगत से लेन-देन करके निपटा दिए गए। इस काम में उ.प्र., हरियाणा व पंजाब के बिचौलिये भी लगे हैं, जो पशुओं को रातों-रात वाहनों में ठूंसकर भेज देते हैं। एक पशु के बदले में बिचौलिये को आठ से दस हजार रूपये तक मिलते हैं। गत वर्ष पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के तत्कालीन न्यायाधीश न्यायमूर्ति जैन ने आदेश दिया था कि गोवंश के संरक्षण के लिए सरकार दूसरे प्रदेशों की तरह गोशालाओं में प्रतिदिन के चारे के हेतु अनुदान राशि दे, लेकिन हरियाणा सरकार चुप्पी साधे हुए है। जबकि इस नेक कार्य में कुल राशि का खर्च 80 करोड़ रु. है, जिससे हर गाय को प्रतिदिन 15 रु. का चारा उपलब्ध हो सकता है। गोसेवा के मामले में हुड्डा सरकार ने हाथ खड़े कर दिए हैं और उच्च न्यायालय के निर्देश के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया कि प्रदेश गोवंश के चारे के लिए हर साल 80 करोड़ रूपये खर्च नहीं कर सकता। उधर उच्च न्यायालय के निर्देश पर हरियाणा सरकार द्वारा गठित राज्य वधशाला कमेटी भी अभी तक कारगर कदम नहीं उठा पाई है। गोभक्त आंदोलन कर रहे हैं सरकार के कान पर जूं नहीं रेंग रही है। वे बेजुबान, जिसके लिए प्रदेश में हजारों एकड़ भूमि संरक्षित हो, वे या तो चौराहे पर बैठे असहाय हों या सड़कों पर हादसों का शिकार बनें, यह शर्मनाक हैे। आंकड़े बताते हैं कि गोचरान हेतु अकेले जिला पानीपत में ही 10,010 एकड़ भूमि निर्धारित है और पूरे प्रदेश में करीब 21 हजार एकड़ भूमि गोचरान के लिए रखी गई थी।डा. गणेश दत्त वत्स
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