घुसपैठ की समस्या पर राजनीति से ऊपर उठकर सोचें -भैयाजी जोशी, सरकार्यवाह, रा.स्व.संघ
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कोलकाता में 'पं. वचनेश त्रिपाठी स्मृति व्याख्यानमाला'
–भैयाजी जोशी, सरकार्यवाह, रा.स्व.संघ
के.वी. विक्रम राव को
भानुप्रताप शुक्ल स्मृति राष्ट्रधर्म सम्मान
'घुसपैठ की समस्या केवल सीमावर्ती क्षेत्रों की नहीं है, बल्कि पूरे देश की समस्या इससे संबद्ध है। इसे हिन्दू-मुसलमान की दृष्टि से न देखकर भारतीय और विदेशी नागरिकों के बीच के गंभीर प्रश्न के रूप में विवेचित करना चाहिए। राजनीतिक दृष्टि से ऊपर उठकर सोचने से ही इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है'। उक्त उद्गार रा.स्व.संघ के सरकार्यवाह श्री सुरेशराव उपाख्य भैयाजी जोशी ने गत दिनों कोलकाता (प.बं.) में श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय तथा राष्ट्रधर्म प्रकाशन, लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 'पं. वचनेश त्रिपाठी स्मृति व्याख्यानमाला' को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। व्याख्यानमाला का विषय 'घुसपैठ: एक राष्ट्रीय चुनौती' था। 'मिलापचंद बेताला मेमोरियल ट्रस्ट', भुवनेश्वर/छोटीखाटू द्वारा प्रायोजित व्याख्यानमाला में प्रख्यात पत्रकार श्री के.वी. विक्रम राव को 'भानुप्रताप शुक्ल स्मृति राष्ट्रधर्म सम्मान 2012' प्रदान किया गया। सम्मानस्वरूप उन्हें शॉल, श्रीफल, मानपत्र एवं 21 हजार रुपये का चेक भेंट किया गया।
भैयाजी जोशी ने कहा कि राजनेता अपनी स्वार्थपूर्ति एवं वोट केन्द्रित लाभ के लिए भले ही बंगलादेशी घुसपैठ को आज अनदेखा करें लेकिन इससे आने वाली पीढ़ी की सर्वाधिक क्षति होगी, इस बात को समझने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कुशल प्रबंधन, सुदृढ़ प्रशासन, जागृत समाज तथा सही दिशा में चिंतन करने वाला राजनीतिक नेतृत्व ही समस्या के निराकरण हेतु ठोस कार्य कर सकता है।
सम्मान प्राप्त करने के बाद श्री के. विक्रम राव ने आचार्य विष्णुकांत शास्त्री का स्मरण करते हुए कहा कि भानुप्रताप शुक्ल वैचारिक ईमानदारी के सच्चे प्रतीक थे, उनकी स्मृति से जुड़ा हुआ सम्मान मेरे लिए प्रेरणादायक सिद्ध होगा। श्री राव ने कहा कि कि स्व. वचनेश त्रिपाठी क्रांतिदूत थे। उन्होंने कहा कि सोदेबाज संपादकों के युग में राष्ट्रधर्म के तेजस्वी संपादकों की निष्ठा अनुकरणीय है।
कार्यक्रम में उपस्थित श्री विमल लाठ ने कहा कि घुसपैठ की समस्या देश में कैंसर की तरह फैल रही है। उस पर गंभीरता से विमर्श की आवश्यकता है। राष्ट्रधर्म के सम्पादक श्री आनंद मिश्र 'अभय' ने कहा कि वैचारिक संघर्ष के इस युग में राष्ट्रवादी विचार सुप्रतिष्ठित हों, इसी निष्ठा के साथ राष्ट्रधर्म प्रकाशित हो रहा है।
समारोह की अध्यक्षता कर रहे पश्चिम बंगाल अभिलेखागार के पूर्व निदेशक डा. प्रणव चट्टोपाध्याय ने इस बात पर पीड़ा व्यक्त की कि आज सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोग 'राष्ट्रधर्म' भूल गए हैं। वे जनविरोधी और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को अनदेखा कर रहे हैं। विशेष रणनीति बनाकर ही घुसपैठ से मुकाबला किया जा सकता है। कार्यक्रम को बेताला मेमोरियल ट्रस्ट के न्यासी श्री प्रकाश बेताला तथा भाजपा नेता श्री तथागत राय ने भी संबोधित किया।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में श्री नवीन व्यास ने सस्वर भारत वंदना प्रस्तुत की। मंच संचालन राष्ट्रधर्म के प्रबंधक श्री पवनपुत्र 'बादल' ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन किया बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय के पूर्व अध्यक्ष श्री जुगलकिशोर जैथलिया ने। मंच पर राष्ट्रधर्म के श्री आनंदमोहन चौधरी, पुस्तकालय के अध्यक्ष डा. प्रेमशंकर त्रिपाठी तथा मंत्री श्री महावीर बजाज भी उपस्थित थे। इस अवसर पर बड़ी संख्या में कोलकाता के समाजसेवी एवं साहित्यकार उपस्थित थे।
बासुदेब पाल
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