वृक्षों का रोपण,संरक्षण और संवर्धन करेंगे वनवासी
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वृक्षों का रोपण,
संरक्षण और संवर्धन करेंगे वनवासी
वृक्ष ही हैं पर्यावरण पर आए संकट का समाधान
-डा. प्रणव पंड्या, प्रमुख, गायत्री परिवार
बुरहानपुर (म.प्र.) में गत दिनों 108 गांवों के 10 हजार वनवासियों ने वृक्षों को पुत्र मानकर उनका रोपण, संरक्षण व संवर्धन कर जंगलों को बचाने का संकल्प लिया। गायत्री परिवार द्वारा आयोजित तरुपुत्र रोपण महायज्ञ में अग्नि को साक्षी मानकर वनवासियों ने यह संकल्प लिया। कुल 1124 अग्नि कुंड पर महायज्ञ सम्पन्न हुआ। यज्ञ के बाद सभी ने वृक्षों का रोपण किया। गायत्री परिवार द्वारा संपूर्ण देश में धरती को हरा-भरा करने के उद्देश्य से वृक्ष गंगा अभियान चलाया जा रहा है। अभियान के अन्तर्गत देशभर में अभी तक 50 लाख पौधों का रोपण किया जा चुका है। इसी कड़ी में देडलताई में यह तरुपुत्र रोपण महायज्ञ सम्पन्न हुया।
ग्राम देडतलाई में हरे-भरे किए गए स्थान का नाम श्रीराम स्मृति उपवन तथा मां शबरी आंगन रखा गया है। गायत्री परिवार के श्री राजेश कास्डेकर ने बताया की मां शबरी आंगन में करीब 2000 फलदार पौधों का रोपण किया गया है। पौधों में बादाम, आम, जामुन, अनार, जाम, आंवला, खिरनी मुख्य हैं। उन्होंने कहा कि इस आंगन से भविष्य में स्वावलंबन की इकाई का गठन किया जाएगा तथा यहां से प्राप्त आय का उपयोग ग्राम देडतलाई के विकास में किया जाएगा, इसके लिए गांव के युवाओं की एक समिति का गठन भी किया गया है।
कार्यक्रम में गायत्री परिवार के प्रमुख व देव संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डा. प्रणव पंड्या भी शामिल हुए। उनके साथ क्षेत्र के सम्पूर्ण वनवासी समाज ने उत्साह के साथ आयोजन में भाग लिया। डा. प्रणव पंड्या के आगमन पर वनवासी युवक-युवतियों ने पारम्परिक वेशभूषा में मान्दल की थाप पर लोकनृत्य करते हुए स्वागत किया। डा. प्रणव पंड्या के साथ गायत्री परिवार युवा प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक श्री केदार प्रसाद दुबे, संगीत विभाग के श्री ओंकार पाटीदार सहित मध्य प्रदेश के 50 जिलों के गायत्री परिवार के कार्यकर्ता उपस्थित थे।
कार्यक्रम की शुरुआत पर्यावरण के निमाड़ी गीत 'पर्यावरण का पर्व आयो रे इनी धरती का र्स्वग बनावा रे' से हुई। इसके बाद डा. प्रणव पंड्या ने 3000 वनवासी युवाओं को गायत्री मंत्र की दीक्षा दी। गुरुदक्षिणा के रूप में युवाओं ने बुरी आदतों, अनियमित जीवन शैली, बुरे विचारों, खर्चीले प्रदर्शनों एवं अंधविश्वासों को त्यागकर सद्विचार, सदाचार व शाकाहार को अपनाने का संकल्प लिया।
तरुपुत्र रोपण महायज्ञ के दौरान डा. प्रणव पंड्या ने विशाल जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि देश में पर्यावरण पर आए संकट का यदि कोई समाधान हो सकता है तो वह वृक्ष ही हैं। जन्म से मरण तक हमारा जीवन इन्हीं वृक्षों पर आश्रित है। हमारी हर श्वास पर इन वृक्षों का कर्ज है जो निरंतर हमें प्राणवायु (आक्सीजन) प्रदान करते हैं। अपनी श्वासों के कर्ज को चुकाने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम तीन वृक्ष अवश्य लगाने चाहिए।
अमरीका में पिछले दिनों आए 'सेन्डी' तूफान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदाएं बताकर नहीं आतीं। हमें पहले से विनाशकारी स्थितियों से बचने का प्रयास करना होगा। डा. पंड्या ने कहा कि वृक्ष जीवित रहेंगे तो हमारा जीवन है। हमारी सभ्यता को बचाने के लिए वृक्ष का जीवित रहना जरूरी है। इसलिए गायत्री परिवार पूरे देश में वृक्ष गंगा अभियान चला रहा है। गोहत्या पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि जितनी अधिक गो हत्याएं देश में होंगी उतने ही अधिक मानसिक रोगी इस देश में बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि विश्व अब भारत का अनुसरण कर रहा है। यूरोपीय व ब्रितानी देशों में लोग मांसाहार छोड़कर शाकाहार अपना रहे हैं। इसके विपरीत हम शाकाहार से मांसाहार की ओर जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रकृतिक विभीषिकाओं को रोकना है तो हमें प्रकृति का अनुसरण करना होगा।
तरुपुत्र रोपण महायज्ञ में 1124 स्थानों पर रोपणकर्त्ताओं ने प्रत्येक गड्डे के पास बैठकर अग्निहोत्र किया जिसमें पर्यावरण शोधन, राष्ट्र समृद्धि तथा संपूर्ण क्षेत्र की शान्ति व समृद्धि की भावना के साथ वैदिक मंत्रों की आहुतियां दी गईं। उसके बाद पौधों का विधि-विधान से पूजन कर उनका रोपण किया गया। इस दौरान डा. प्रणव पंड्या ने एक पौधे का रोपण मां शबरी आंगन में किया।
कार्यक्रम के दौरान ग्राम देडतलाई का नाम परिवर्तित कर दिया है। ग्राम देडतलाई में तरुरोपण के बाद अब इसका नाम देवतलाई हो गया है। इस संबंध में डा पंड्या ने कहा कि इस हरे-भरे स्थान पर देवताओं का वास होगा। पौधों के बड़े होने पर विपत्तियां दूर होंगी। कार्यक्रम में पूर्व सांसद व भाजपा के प्रदेश महामंत्री श्री नंदकुमार सिंह चौहान, जनपद अध्यक्ष श्री रतिलाल चिल्लात्रे आदि उपस्थित थे।
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