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इसे संयोग कहें या रामलला की इच्छा? 90 के दशक, विशेष रूप से 1990 में समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। 30 अक्तूबर 1990 को उनकी 'अयोध्या में परिंदा भी पर नहीं मार सकता' जैसी दंभोक्ति को चुनौती देते हुए लाखों कारसवेक वहां पहुंच गए थे। यही नहीं, उस दिन तय कार्यक्रम के अनुसार ठीक 12 बजे बाबरी ढांचे पर चढ़कर कारसेवा की थी। मुलायम सिंह की पुलिस और प्रशासन उस हिंदू ज्वार के आगे कुछ न कर सका था। आगबबूला मुलायम सिंह ने प्रतिक्रिया में 2 नवंबर को राम–राम कहते रामलला की ओर बढ़ रहे रामभक्तों पर गोली चलवा दी थी, फैजाबाद के तत्कालीन एसएसपी सुभाष जोशी के नेतृत्व में पुलिस ने उन निर्दोष रामभक्तों पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं। उस गोलीबारी में कोलकाता के कोठारी बंधु-(रामकोठारी व शरद कोठारी), अयोध्या के वासुदेव गुप्त, राजेंद्र धरकार, रमेश चंद्र पांडेय समेत कई रामभक्त शहीद हो गए थे। उसी के बाद विधानसभा चुनाव हुए तो प्रदेश की जनता ने मुलायम का सूपड़ा साफ कर दिया। 425 सदस्यों की विधानसभा में सपा को मात्र 30 सीटों से संतोष करना पड़ा था। भाजपा पूरे बहुमत से सत्तारूढ़ हुई थी।
अब 22 साल बाद उत्तर प्रदेश में फिर समाजवादी पार्टी की सरकार है। इस बार मुख्यमंत्री हैं मुलायम सिंह यादव के पुत्र अखिलेश यादव। सरकार उनके नेतृत्व में भले ही काम कर रही है लेकिन उसकी असली डोर मुलायम सिंह के हाथ में है। भारत माता को 'डायन' कहने वाले आजम खां जैसे कट्टरवादी मंत्रिमंडल में नंबर दो की हैसियत में हैं। दिल्ली की जामा मस्जिद के इमाम अहमद बुखारी जैसे अन्य कट्टर मुसलमानों की इस सरकार को सरपरस्ती हासिल है। इस साल जब से सरकार बनी है, प्रदेश में आठ स्थानों पर सांप्रदायिक दंगे हो चुके हैं। एक दर्जन से अधिक लोग इन दंगों की भेंट चढ़ चुके हैं। इंटर पास केवल मुसलमान लड़कियों को 30 हजार रु. की आर्थिक मदद दी जा रही है। ऐसी ही हिंदू लड़कियां उपेक्षित हैं। मंत्रिमंडल में आठ मुसलमानों को स्थान दिया गया है। साथ ही प्रदेश के मुख्य सचिव जैसी सबसे महत्वपूर्ण कुर्सी जावेद उस्मानी को सौंपना सरकार के इरादे को जाहिर करता है। मुलायम सिंह की यह तुष्टीकरण की नीति 2014 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर अभी और बढ़ेगी। स्वाभाविक रूप से रामलला के प्रति सरकार की आक्रामकता बढ़ेगी। मंदिर के लिए प्रतिबद्ध रामभक्त 1990 की तरह इसे अपने लिए चुनौती मानें तो आश्चर्य नहीं होगा।
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