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पाठकीय:अंक–सन्दर्भ 9 सितम्बर,2012
कितने 'कश्मीर' पैदा करोगे?
अपना देश अपनी माटी, दिल्ली हो या गुवाहाटी
भारत के उत्तर-पूर्व के सात राज्यों को सात बहनें भी कहते हैं। अरुणाचल, असम, मेघालय, नागालैण्ड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा। स्वतंत्रता के समय ये राज्य असम के ही भाग थे। आज पूर्वोत्तर राज्यों में अलगाव की भावना बह रही है। इसका मुख्य कारण है कि उत्तर-पूर्व राज्यों के साथ कभी गंभीरता से संवाद नहीं हुआ। हमने उनकी उपेक्षा की है। हम अपना अतीत भी भूल गये हैं। पुराणों में और महाभारत में पूर्वोत्तर का वर्णन मिलता है। भगवान कृष्ण की पत्नी रुक्मणी अरुणाचल से थीं। अर्जुन की पत्नी चित्रगंदा मणिपुर की राजकुमारी थीं। भीम की पत्नी हिडम्बा कचारी की राजकुमारी थीं। तेजपुर के राजा बाना की पुत्री ऊषा का विवाह भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध से हुआ। पूर्वोत्तर के अनेक पात्रों का वर्णन महाभारत में मिलता है। आज सारा पूर्वोत्तर सरकार की अदूरदर्शी नीतियों और हमारी उदासीनता के कारण विदेशी शक्तियों के षड्यंत्र का शिकार हो रहा है। असम के 11 जिलों में बंगलादेशी मुसलमानों की घुसपैठ से वहां का सामाजिक और आर्थिक ढांचा टूट रहा है। बोडो समुदाय त्रस्त है। सरकारी और खेती की भूमि अब बंगलादेशी मुसलमानों के कब्जे में है। इतनी अधिक घुसपैठ के कई कारण थे। इनमें प्रमुख यह था कि असम की सीमा बंगलादेश से अनेक दशकों तक खुली रही। सीमा सील होने के बावजूद भ्रष्ट तरीकों से घुसपैठ जारी है। इस घुसपैठ को बढ़ाने में देश के सत्तालोलुप नेताओं का भी हाथ रहा है। घुसपैठ से निपटने के कानून इतने कमजोर हैं कि वहां से किसी भी सरकार के लिए बंगलादेशी मुसलमानों को निकालना असंभव लगता है। भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति के रंग में रंगा मणिपुर आज हिंसा की चपेट में है। विदेशी शक्तियों का यहां बोल-बाला है। मिजोरम और नागालैण्ड में चर्च का आधिपत्य है। इनकी समानान्तर सरकारें चलती हैं। लोगों से जबरदस्ती कर वसूला जाता है। दोनों ही राज्यों को भारत से अलग करने के हिंसात्मक प्रयास किये गये। अरुणाचल पर चीन अपनी नजरें गड़ाये बैठा है और समय-समय पर अपनी धौंस भारत को दिखाता है। सिक्किम पर भी उसकी आंखें गढ़ी हैं। हम सब भारत मां के पुत्र हैं। अत: मां के पुत्र आपस में भाई-भाई ही होते हैं, यह अनुभूति नहीं है। देश में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें पूर्वोत्तर के लोग चीनी या विदेशी नजर आते हैं। यह अज्ञानवश हो सकता है, लेकिन उनकी यह सोच देश के लिए घातक है। इस प्रकार की सोच हमारे शत्रु देश चीन की तो हो सकती है लेकिन भारत के किसी एक देशभक्त नागरिक की नहीं। चीन भी यही चाहता है कि भारत के लोग पूर्वोत्तर के लोगों को चीनी समझें और वे चीन के निकट आयें। सूर्यभगवान अपनी किरणें सर्वप्रथम अरुणाचल प्रदेश में बिखेरते हैं। ब्रह्मपुत्र नदी यहीं से भारत में प्रवेश करती है। यह हमारे हाथ में है कि हम पूर्वोत्तर से अपने संबंध प्रगाढ़ करें और दुश्मनों के मंसूबों को असफल करें। अन्यथा भारत के दुश्मनों की भारत में कोई कमी नहीं है। पूर्वोत्तर के छात्रों को न केवल अपना भाई-बहिन मानें अपितु उन्हें स्नेहवत् सहयोग भी दें।
–ओम प्रकाश त्रेहन
एन-10, मुखर्जी नगर, दिल्ली-110009
बंगलादेशी घुसपैठियों की बढ़ती संख्या पर आधारित श्री अरुण कुमार सिंह की रपट 'असम की राह पर दिल्ली' एक चेतावनी है। यदि बंगलादेशी मुस्लिम घुसपैठियों को नहीं रोका गया तो पूरे भारत में ये लोग बस जाएंगे। बंगलादेश से लगी सीमा पर कंटीले तार लगाए जाएं और उनमें बिजली दौड़ाई जाए। बंगलादेशी नागरिक भारतीय नागरिकों के अधिकारों और सुविधाओं का अवैध रूप से लाभ उठा रहे हैं। भारत के मतदाता बन रहे हैं। यह भारत के भविष्य के लिए बहुत ही खराब स्थिति है।
–बी.एल.सचदेवा
263, आई.एन.ए. मार्केट, नई दिल्ली-110023
सेकुलर नेता स्वार्थ के लिए बंगलादेशी घुसपैठियों को भारत में बसा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर यही नेता उस कश्मीर में भारतीयों को बसने नहीं देते हैं, जिसकी रक्षा भारतीय सपूत अपनी जान गंवा कर कर रहे हैं। कश्मीर में प्राय: रोजाना ही भारतीय सपूत शहीद हो रहे हें। पर विडम्बना है कि उस सपूत का एक स्मारक भी कश्मीर में नहीं बन सकता है। वहीं बंगलादेशी कश्मीर सहित सम्पूर्ण भारत में मौज कर रहे हैं।
–सुहासिनी प्रमोद वालसंगकर
द्वारकापुरम, दिलसुखनगर, हैदराबाद (आं.प्र.)
बंगलादेशी मुस्लिम घुसपैठियों को भारत आने से नहीं रोका गया तो देश में कई 'कश्मीर' पैदा हो जाएंगे। एक कश्मीर की रक्षा के लिए लखों सैनिक तैनात हैं। कल्पना करें जब अनेक 'कश्मीर' पैदा होंगे तब भारत की स्थिति क्या होगी? किन्तु बदकिस्मती से इस समस्या को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है।
–लक्ष्मी चन्द
गांव–बांध, डाक–भावगड़ी, जिला–सोलन–173233 (हि.प्र.)
बंगलादेशी मुस्लिमों के कारण असम मुस्लिम-बहुल होता जा रहा है और जल रहा है। पर वहां के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई कह रहे हैं असम में मुस्लिमों की जनसंख्या उनकी निरक्षरता के कारण बढ़ी है। उनका यह बयान देश के साथ धोखा है। तरुण गोगोई यह बात गांठ बांध लें कि यदि स्थिति यही रही तो कुछ साल बाद असम में न वे रहेंगे और न ही उनकी पार्टी कांग्रेस रहेगी।
–राममोहन चंद्रवंशी
अभिलाषा निवास, विट्ठल नगर, स्टेशन रोड टिमरनी, हरदा (म.प्र.)
राष्ट्रीय सम्पत्ति
कांग्रेस की सम्पत्ति
सम्पादकीय 'सरकार के निशाने पर संवैधानिक संस्थाएं' में बड़ी बेबाकी से ये पंक्तियां लिखी गई हैं कि देश कांग्रेस की जागीर नहीं है कि मनमाने तरीके से देश का खजाना लूट लिया जाए और जनता चुप रहे। कांग्रेसियों में राष्ट्रीयता हो या न हो, पर उनमें यह विचार हावी है कि राष्ट्र की सम्पत्ति अपनी है उसे अपने खातों में डाल लो। अपने पापों पर पर्दा डालने के लिए ये लोग सीबीआई का इस्तेमाल करते हैं। अब कैग पर अंगुली उठाकर प्रधानमंत्री शायद यह कहना चाहते हैं कि 'कैग' भी सीबीआई की तरह सरकार के सामने दुम हिलाए।
–सूर्यप्रताप सिंह सोनगरा
कांडरवासा, रतलाम-457222 (म.प्र.)
'सत्यमेव जयते' की सार्थकता
श्री मुजफ्फर हुसैन ने अपने लेख 'दंगों और राजनीति का सच' में 1984 से अब तक हुए हिन्दू-मुस्लिम दंगों का विवरण दिया है। दंगे अंग्रेजी राज में भी होते थे। बाबा साहब अम्बेडकर ने अपनी पुस्तक 'पाकिस्तान आर पार्टीशन ऑफ इण्डिया' में दंगों का विस्तृत विवरण दिया है। दंगों से भारत कभी मुक्त नहीं होगा, चाहे किसी भी दल की सरकार हो। दंगों के मूल कारण मजहबी उसूलों से संबद्ध हैं। पर इस तथ्य पर चर्चा करने से सभी को परहेज है। मत-पंथों की अच्छी बातों और खतरनाक बातों का संग्रह कर उनका प्रचार-प्रसार करना चाहिए। तभी 'सत्यमेव जयते' की सार्थकता है।
–क्षत्रिय देवलाल
उज्जैन कुटीर, अड्डी बंगला, झुमरी तलैया कोडरमा-825409 (झारखण्ड)
वोट की चिन्ता
श्री जितेन्द्र तिवारी की रपट 'लटकेगी कसाब की फांसी' में सन्देह किया गया है कि कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बावजूद निकट भविष्य में शायद ही कसाब को फांसी हो। यह देश के लिए दुर्भाग्यजनक स्थिति है कि वोट के लिए आतंकवादियों को जेल में रखकर उन पर प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए खर्च कर रहे हैं। सरकार द्वारा ऐसा देशघाती काम केवल भारत में ही होता है। सरकार को देश की सुरक्षा की चिन्ता कतई नहीं है। उसे सिर्फ अपने वोट बैंक की चिन्ता है।
–प्रदीप सिंह राठौर
एमाअईजी 36, बी–ब्लॉक, पनकी
कानपुर (उ.प्र.)
अश्लील विज्ञापन बन्द हों
डा. अनीता मोदी का लेख 'बाजार का स्त्री पर हमला' अच्छा लगा। भारत में प्राचीनकाल से स्त्री का सम्मान होता आया है। पर भौतिकवादी लोग स्त्री को केवल भोग्या के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। विभिन्न विज्ञापनों में स्त्री को जिस रूप में दिखाया जा रहा है वह पूरी स्त्री जाति को कलंकित कर रहा है। स्त्री के प्रति बढ़ते अपराधों के लिए ये विज्ञापन भी बहुत हद तक जिम्मेदार हैं। अश्लीलता फैलाने वाले विज्ञापनों को तुरन्त बन्द करना चाहिए।
–हरिहर सिंह चौहान
जंवरीबाग नसिया, इन्दौर-452001 (म.प्र.)
आजकल टी.वी. चैनलों पर बहुत ही घटिया और घर-बिगाड़ू विज्ञापन और धारावाहिक आ रहे हैं। पूरे परिवार के साथ टी.वी. देखने लायक नहीं रह गया है। किसी कार्यक्रम के बीच में ही एक ऐसा दृश्य आता है कि खुद ही लज्जा आती है। इससे उबरने के लिए कोई दूसरा चैनल लगाएं तो वहां और भी वाहियात दृश्य दिखता है।
–गणेश कुमार
पटना (बिहार)
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