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पूर्वोत्तर भारत से बंगलादेशी घुसपैठियों को देश के बाहर निकालने के लिए गत 6 सितम्बर को पूर्वोत्तर भारत के सभी सातों राज्यों में एक साथ बंद का आह्वान किया गया। बंद का यह आह्वान नार्थ ईस्ट स्टूडेंट्स आर्गेनाइजेशन (नेसो) ने किया था। उसी दिन गुवाहाटी में सभी छात्र संगठनों द्वारा एक बड़ी रैली निकाली गयी। इसमें आल मुस्लिम स्टूडेंट्स यूनियन शामिल नहीं हुई। लाटासिल से उनान बाजार तक यह रैली हुई। लाटासिल खेल मैदान में रैली प्रारंभ करने से पूर्व आयोजित सभा में नारा लगाया जा रहा था- 'बंगलादेशियो वापस जाओ', 'असम समझौता लागू करो।' नेसो के प्रमुख समुअल भट्टाचार्य ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 'असम समझौते' पर हस्ताक्षर किये थे। किन्तु सत्ता में होने के बावजूद उनकी पत्नी सोनिया गांधी अब तक उसे क्रियान्वित कराने में नाकाम रही हैं। उन्होंने मांग की कि- 0 घुसपैठ रोकने के लिए भारत-बंगलादेश सीमा को 'सील' कर दिया जाए। 0 राष्ट्रीय नागरिक सूची को ठीक किया जाए। 0 असम के मूल निवासियों के जमीन पर अधिकार को सरकार सुरक्षित रखे ताकि बाहर से आये घुसपैठिए उस पर कब्जा न कर सकें। 0 केन्द्र सरकार 'असम समझौते' को तत्काल लागू कर राजीव गांधी का वायदा पूरा करे। नेसो के महासचिव गुमजम हायदर ने कहा- 'हम मुसलमानों के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन विदेशी घुसपैठियों के खिलाफ जरूर हैं।' असम गण परिषद् की सांसद वीरेन्द्र वैश्य ने कहा- 'विदेशी घुसपैठियों की समस्या केवल असम की नहीं बल्कि सारे उत्तर पूर्वांचल के लिए सिरदर्द बन गयी है। एक समय असम छात्रसंघ ने बंगलादेशी घुसपैठियों के विरुद्ध अकेले जनांदोलन किया था, अब तो सारे छात्र संगठनों का यह एक साझा मुद्दा बन गया है।'
नेसो से जुड़े अन्य छात्र संगठनों के नाम हैं- मणिपुर स्टूडेंट्स यूनियन, नागा स्टूडेंट्स यूनियन, मिजो स्टूडेंट्स यूनियन, आल त्रिपुरा स्टूडेंट्स यूनियन, मेघालय के खासी और गारो स्टूडेंट्स यूनियन। इन सभी छात्र संगठनों के प्रमुखों ने अपने वक्तव्यों में कहा कि उत्तर पूर्व के सभी मूल निवासियों को एकजुट होकर बाढ़ की तरह आए बंगलादेशी घुसैठियों के खिलाफ खड़ा होना होगा। 'नेसो' द्वारा आयोजित 12 घंटे बंद से असम सहित मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, नागालैण्ड, मिजोरम, मणिपुर और त्रिपुरा में जनजीवन ठप्प रहा।
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