शबाब का पलट जवाब
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ओबामा के बदले 10 ऊंट, हिलेरी के बदले 10 मुर्गे–मुर्गी
अमरीका ने 7 जून को अल कायदा से जुड़े सोमालियाई इस्लामी आतंकी गुट शबाब अल मुजाहिदीन के सरगनाओं के सिर पर लाखों डालर का इनाम घोषित किया। उसके अगले ही दिन यानी 8 जून को उसी गुट के आका मोहम्मद खलफ ने एक फरमान जारी करके अमरीकी प्रशासन की खिल्ली उड़ाते हुए 'राष्ट्रपति बराक ओबामा की जानकारी देने वाले को 10 ऊंट' और 'विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन का पता बताने वाले को 10 मुर्गियां और 10 मुर्गे' देने का ऐलान किया है। यह जानकारी आतंकी संगठनों पर नजर रखने वाले खुफिया तंत्र एस.आई.टी.ई. ने दी है। इसके अनुसार, सोमालिया में पिछली जुमे की नमाज के बाद मोहम्मद का ऐलान था कि 'जो कोई भी बद्दिमाग ओबामा के अड्डे की जानकारी देगा उसे इनाम में 10 ऊंट दिए जाएंगे, और जो कोई भी बूढ़ी महिला हिलेरी क्लिंटन की खोज-खबर देगा उसे 10 मुर्गियां और 10 मुर्गे इनाम में मिलेंगे'। मोहम्मद ने आगे ऐलान किया- 'हमें उनके खिलाफ जिहाद जारी रखने के रास्ते से भटकाया नहीं जा सकता।'
उल्लेखनीय है कि अमरीकी विदेश विभाग ने खलफ और उसके तीन साथियों का पता बताने वाले को 50 लाख डालर और अल शबाब की बुनियाद डालने वाले उसके कमांडर अहमद आब्दी औ-मोहम्मद की जानकारी देने वाले को 70 लाख डालर का इनाम घोषित किया था। अभी फरवरी 2012 में ही अल कायदा ने कहा था कि यह गुट उसके साथ शामिल हो चुका है। शबाब का सोमालिया के एक बड़े हिस्से पर आतंकी साया है।
पुतिन–विरोध में पटीं सड़कें
मई, 2012 में ही तो व्लादिमीर पुतिन ने रूस के राष्ट्रपति की कुर्सी सम्भाली थी, पर अभी महीना भर ही बीता है कि मास्को की सड़कें पुतिन विरोधी प्रदर्शनकारियों से पट गईं। 12 जून को तो हजारों की तादाद में लोग पुतिन की खिलाफत का झंडा उठाए राजधानी के मुख्य चौराहों पर आ डटे। एक दिन पहले ही आंदोलन की हवा निकालने की गरज से पुलिस ने विरोधी पक्ष के नेताओं के घरों पर छापे मारकर, कइयों को धर लिया था, पर लोगों का हौसला नहीं टूटा। सड़कों पर जत्थे के जत्थे मंडराने लगे। गिरफ्तारी का खौफ भूलकर लोग निकले। पुलिस बताती है, करीब 20 हजार लोग थे, विपक्षी नेता कहते हैं, करीब सवा लाख थे।
तीसरी बार राष्ट्रपति की कुर्सी संभालने के तुरंत बाद पुतिन ने रुख कड़ा कर दिया था। उन्होंने ऐसा कानून भी बनाया जिसके तहत अनधिकृत रैलियों में शामिल होने पर कड़े जुर्माने का प्रावधान है। पुतिन ने मास्को में विरोधी भावनाएं भड़काने के पीछे अमरीका का हाथ बताया है और कहा है कि 'हम अपने देश को कमजोर करने वाली और समाज को बांटने वाली किसी भी चीज को बर्दाश्त नहीं करेंगे।'
श्रीकांत बने अमरीकी फेडरल जज
भारत में जन्मे अमरीका के बड़े वाले कानूनविद् श्रीकांत 'श्री' श्रीनिवासन 'अमरीका की दूसरी सबसे बड़ी अदालत' में फेडरल जज नियुक्त किए गए हैं। चण्डीगढ़ (भारत) में पैदा हुए 45 साल के श्रीनिवासन को अभी पिछली अगस्त में ही अमरीका का प्रमुख उप महाधिवक्ता बनाया गया था। अब अमरीका के कोलम्बिया परिक्षेत्र में 'कोर्ट ऑफ अपील्स' में दक्षिण एशिया से पहले जज बनकर उन्होंने एक तरह से इतिहास रचा है। उनका नाम सीधे राष्ट्रपति ओबामा ने तय किया है। ओबामा ने कहा कि श्रीनिवासन एक समर्पित लोकसेवक हैं जो अमरीका की 'कोर्ट ऑफ अपील्स' में अपने गजब के तजुर्बे, समझ और निष्ठा का योगदान देंगे।
कौन बना रहा है बिनायक को नायक?
अभी 14 जून के अखबारों में अंदर के पेज पर कोने में छपी एक खबर बरबस चौंका गई। भारत में छत्तीसगढ़ के वनवासी इलाकों में बाल रोगों के डाक्टर के बाने में नक्सली-माओवादी विचारों के प्रचार-प्रसार के आरोप में जेल की सजा काटकर जमानत पर बाहर आए बिनायक सेन को नायक बनाने के लिए कुछ देशी-विदेशी ताकतें किस कदर हाथ-पैर मार रही हैं, उसकी एक झलक मिली। खबर में लिखा था कि बिनायक सेन को बुलु इमाम के साथ लंदन के 'हाउस ऑफ लार्ड्स' में गांधी फाउंडेशन अंतरराष्ट्रीय शांति पुरस्कार देने जा रहा है। बिनायक ने कौन सी और कैसी 'शांति' का संचार किया है, उसकी बाबत पिछले दो सालों में खूब छपा था, नक्सली तत्वों के साथ उनका उठना-बैठना, थैले में नक्सली किताबें रखकर घूमना, तथाकथित मानवाधिकारियों का उनकी बड़ाई करते दिखना, जगह-जगह उनके भाषण कराकर नक्सली हिंसा पर काबू पाने की छत्तीसगढ़ सरकार की कोशिशों की आलोचना कराना… सब छपा था। उन्हें 'शांति पुरस्कार'? किसलिए? फाउंडेशन की मानें तो उन्होंने 'गांधीवादी अहिंसा की वकालत की है और उसे अपने व्यवहार में उतारा' है! बात कुछ हजम नहीं हो रही।
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