सरकार से करेंगे दो-दो हाथ
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दिल्ली/अरुण कुमार सिंह
पहली बार किसी अनशन पर बाबा रामदेव के साथ बैठे अण्णा हजारे ने कहा कि बाबा रामदेव के साथ आने से हमारी ताकत कई गुना बढ़ गई है।
देश में भ्रष्टाचार के विरुद्ध कैसा मानस है, लोगों में किस तरह का गुस्सा है, इसका एक उदाहरण गत 3 जून को नई दिल्ली में संसद मार्ग पर दिखा। चिलचिलाती धूप के बावजूद लोग अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ संसद मार्ग पहुंचे। वहां लोगों ने एक दिवसीय अनशन पर बैठे योग गुरु बाबा रामदेव और समाजसेवी अण्णा हजारे का समर्थन कर यह सन्देश दिया कि जनता अब जाग चुकी है। भ्रष्टाचार पर लगाम लगाओ नहीं तो देशव्यापी आन्दोलन होगा। भारी संख्या में आम लोगों को अपने साथ खड़ा देखकर बाबा रामदेव और अण्णा हजारे भी खूब गरजे।
बाबा रामदेव ने संप्रग सरकार को खरी-खरी सुनाते हुए कहा कि आज यदि किसी व्यक्ति के पास 20 लाख रुपए आ जाते हैं तो सरकार उससे उसका स्रोत पूछती है। मैं सरकार से पूछना चाहता हूं कि इस समय देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ.डी.आई.) के रूप में आए 20 लाख करोड़ रुपए का स्रोत क्या है? यह एफ. डी.आई. ही कालेधन की चाभी है। इसके मूल स्रोत और मालिकों के नाम उजागर किए जाएं। यदि इनके मालिकों के नाम उजागर हो जाएं तो पता चलेगा कि यह काला धन किन-किन लोगों का है। सरकार के पास ऐसे 3000 लोगों के नाम हैं, पर वह उन नामों को बताना नहीं चाहती है। बाबा रामदेव ने सरकार से यह भी पूछा कि अगर वह ईमानदार है तो सशक्त लोकपाल लाने से क्यों डरती है?
इससे पूर्व बाबा रामदेव ने बताया कि काले धन को वापस लाने के लिए 4 जून से 8 अगस्त तक ग्राम सभा से लेकर लोकसभा तक अभिमान चलाया जाएगा। देशभर से लगभग 8 लाख लोगों का समर्थन पत्र प्राप्त कर 9 अगस्त को प्रधानमंत्री को सौंपा जाएगा। यदि तब भी सरकार काले धन को वापस लाने और मजबूत लोकपाल बनाने के लिए आगे नहीं बढ़ेगी तो 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन की तरह संप्रग सरकार के विरुद्ध संघर्ष का नाद किया जाएगा।
पहली बार किसी अनशन पर बाबा रामदेव के साथ बैठे अण्णा हजारे ने कहा कि बाबा रामदेव के साथ आने से हमारी ताकत कई गुना बढ़ गई है। हम मजबूत लोकपाल के लिए अंतिम सांस तक लड़ते रहेंगे। उन्होंने भ्रष्टाचार के लिए दोषी नेताओं को खरी-खोटी सुनाते हुए कहा कि यदि देश में मजबूत लोकपाल का गठन हो जाए तो बहुत हद तक भ्रष्टाचार रुक जाएगा।
इस अनशन की मुख्य रूप से सात मांगे थीं। पहली-विदेशों में जमा काले धन को वापस लाने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं। दूसरी-काले धन को राष्ट्रीय सम्पत्ति घोषित कर उसे जनकल्याण में खर्च किया जाए। तीसरी-सशक्त लोकपाल बनाने के लिए संसद में लम्बित विधेयक को शीघ्र पारित किया जाए। चौथी-प्रधानमंत्री व्यक्तिगत ईमानदारी के साथ-साथ राजनीतिक और संवैधानिक क्षेत्र में भी ईमानदारी दिखाएं। पांचवीं-त्वरित न्यायालय बनाकर भ्रष्टाचार में आरोपी बनाए गए मंत्रियों की निष्पक्ष जांच की जाए। छठी-सी.बी.आई. को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर स्वतंत्र जांच एजेंसी बनाया जाए। और सातवीं- काले धन को बढ़ावा देने वाले 500 रु. और 1000 रु. के नोटों का प्रचलन बन्द किया जाए।
इस अनशन के अगले दिन से बाबा रामदेव विभिन्न राजनीतिक दलों के अध्यक्षों से भेंट करके उनसे अपने आन्दोलन के लिए सहयोग मांग रहे हैं। 4 जून को बाबा रामदेव ने भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी से दिल्ली स्थित उनके निवास पर भेंट की। श्री गडकरी ने बाबा रामदेव का भावपूर्ण स्वागत किया। भाजपा ने लिखित रूप में बाबा रामदेव को आश्वासन दिया है कि भाजपा काले धन के मुद्दे पर उनके साथ है। इस अवसर पर नितिन गडकरी ने बाबा रामदेव के अभियान को गैरराजनीतिक बताते हुए अन्य राजनीतिक दलों से भी उनके साथ आने का आह्वान किया। 5 जून को बाबा रामदेव ने केन्द्रीय कृषि मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस के अध्यक्ष शरद पवार से मुलाकात की। पवार ने भी बाबा रामदेव की मांग का समर्थन किया। 7 जून को केन्द्रीय उड्डयन मंत्री और रालोद के अध्यक्ष अजीत सिंह और जनता दल यू के अध्यक्ष शरद यादव से भी बाबा की भेंट हुई। इन दोनों ने भी बाबा को समर्थन देने की बात कही है। अब यह देखने वाली बात होगी कि बाबा रामदेव को सोनिया गांधी, मुलायम सिंह यादव, प्रकाश करात, लालू प्रसाद यादव जैसे नेता कितना समर्थन देते हैं।
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