अमरीका ने की तारीफभारत है वैश्विक ताकत
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अमरीकी रक्षामंत्री लियोन पेनेटा भारत की पहली सरकारी यात्रा पर क्या आए, अमरीका ने भारत की कुव्वत और काबिलियत की तारीफों के पुल बांधने शुरू कर दिए। पेनेटा 5 जून को नई दिल्ली पहुंचे थे, पर उनके आने से कुछेक रोज पहले वाशिंगटन में उप विदेश मंत्री राबर्ट ब्लेक ने भारत की तारीफें करते हुए कहा कि भारत में वैश्विक ताकत बनने का माद्दा है। दक्षिण और मध्य एशिया मामलों के प्रभारी ब्लेक ने यह टिप्पणी अमरीका में एशिया सोसायटी, ईस्ट-वेस्ट सेंटर और इंडिया-यू.एस. वर्ल्ड अफेयर इंस्टीट्यूट द्वारा मिलकर आयोजित किए एक कार्यक्रम में की थी। ब्लेक ने कहा कि बीते 10 सालों में भारत और अमरीकी रिश्तों में जो तेज कदम उठे हैं वे बताते हैं कि दोनों देशों के बीच संबंधों में असीम संभावनाएं हैं। राष्ट्रपति ओबामा का भी कहना था कि यह संबंध 21वीं सदी का एक महत्वपूर्ण सहयोग होगा। दोनों देशों के बीच रणनीतिक सहयोग बढ़ रहा है। दोनों बड़े लोकतंत्र हैं, दोनों बड़ी बाजार अर्थव्यवस्थाएं हैं।
इसके साथ ही, पेनेटा के नई दिल्ली में कदम धरते ही वाशिंगटन से पेंटागन का बयान भी आ गया कि भारत वैश्विक ताकत है और इस नाते अपनी जिम्मेदारियां निभा रहा है। पेंटागन प्रवक्ता जान किर्बी के अनुसार, अफगानिस्तान में भारत ने जो कुछ किया उसके लिए पेनेटा ने भारत की तारीफ की है और उम्मीद जताई है कि भारत उस क्षेत्र में अपनी भूमिका निभाता रहेगा। इधर नई दिल्ली में पेनेटा की प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और रक्षामंत्री एंटोनी के साथ बातचीत में एशिया-प्रशांत क्षेत्र उभरा। पेनेटा के वक्तव्यों में अमरीका-चीन की आपसी रणनीतिक तनातनी का असर दिखा। पेनेटा ने कहा कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमरीकी फौजों को फिर से जमाने की भावी अमरीकी रक्षा रणनीति में भारत अहम 'धुरी' होगा। दिलचस्प बात यह है कि बीजिंग गए भारत के विदेश मंत्री एस.एम. कृष्णा से उसी दिन यानी 6 जून को चीन के उपप्रधानमंत्री ली कीक्यांग ने कहा कि भारत-चीन रिश्ते 21वीं सदी के सबसे अहम दोतरफा संबंध होंगे।
भारत के विदेश मामलों के कुछ जानकारों ने अमरीका की इस तारीफ पर कहा है कि इसमें दो राय नहीं है कि भारत ने वैश्विक बिरादरी में अपनी साख बढ़ाई है, पर अमरीकी तारीफ पर आंख-कान खुले रखने चाहिए। अमरीकी नेता यूं ही किसी देश के लिए कसीदे नहीं पढ़ते। विदेश मंत्री हिलेरी भी भारत में कुछ बयान देती हैं और फौरन बाद इस्लामाबाद बोलों में नरमाई ले आती हैं। लेकिन यह सच है कि भारत को अफगानिस्तान पर गौर करते रहना चाहिए और वहां अपनी भूमिका पूरी जिम्मेदारी से निभानी चाहिए।
सकते में अल कायदा
उत्तरी वजीरिस्तान में हेसोखेल गांव में बने एक संदिग्ध आतंकी अड्डे पर ड्रोन की बमबारी में अल कायदा का दूसरा सबसे बड़ा वाला सरगना ढेर हो गया। अमरीकी अधिकारियों ने बताया कि 4 जून की भोर में पाकिस्तान के अफगानिस्तान से सटे कबीलाई इलाके में ड्रोन ने मिसाइल बरसाकर मोहम्मद हसन कैद उर्फ अबु याहिया अल-लीबी का काम तमाम कर दिया। लीबी के नाम से मशहूर लीबिया में जन्मा यह आतंकी अल कायदा के कितने ही दहशत फैलाते वीडियो में दिखता रहा था। लीबी अफगानिस्तान में मौजूद अमरीकी देखरेख की एक जेल से भाग निकला था। यह शख्स ओसामा के अल कायदा के सबसे अहम सरगनाओं में से एक था और अल कायदा के मौजूदा अगुआ इजिप्ट में जन्मे अयमन अल जवाहिरी का खास सलाहकार और दायां हाथ था। ओसामा- वध के बाद, बताते हैं, जवाहिरी ही अल कायदा की कमान थामे है।
शौर्य का अद्भुत शौर्य
16 साल का है शौर्य, पर उसने न्यूटन की 350 साल पहले उलझाई उस पहेली को सुलझाया है जिसे बड़े-बड़े भौतिक विज्ञानी नहीं सुलझा पाए थे। भारतीय मूल के इस जर्मन छात्र ने सर इसाक न्यूटन के 'फंडामेंटल पार्टिकल' के उन दो सिद्धान्तों को सुलझाया है जिसे दिग्गज भौतिक विज्ञानी ताकतवर कम्प्यूटरों की मदद से ही सुलझाने की कोशिश करते रहे थे। उसने न्यूटन की गुत्थी का जो समाधान सुझाया है उसकी मदद से अब वैज्ञानिक एक उछाली गई गेंद के हवा से गुजरने के रास्ते की गणना करके बता सकेंगे कि ये दीवार पर कहां टकराकर कहां को जाएगी। महज चार साल पहले ही कोलकाता से जर्मनी के ड्रेसडेन शहर गए शौर्य रे के सामने यह पहेली तब आई थी जब वह स्कूल की तरफ से ड्रेसडेन विश्वविद्यालय देखने गया था, जहां प्रोफेसरों ने ये पहेलियां दिखाकर कहा था कि इन्हें सुलझाना नामुमकिन है। शौर्य ने चुनौती स्वीकार कर ली। घर लौटकर वह उनका हल खोजने में जुट गया और आखिरकार समाधान करके ही माना। वह छह साल की उम्र से ही जटिल समीकरण सुलझाता आ रहा है, पर खुद को विलक्षण नहीं मानता। स्कूल ने उसकी गजब की काबिलियत देखते हुए उसे दो दर्जे आगे पहुंचा दिया है।
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