सर्वे सुखिन: संतु
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आदि जाति विकास विभाग एवं वन बंधु कल्याण योजना का संदेश
(मुख्यमंत्री का 10 सूत्री कार्यक्रम–वर्ष 2007-12)
वन बंधु कल्याण योजना, जिसे गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का 10 सूत्री कार्यक्रम भी कहा जाता है, सन् 2007 में प्रारंभ की गई थी। 15000 करोड़ रु. की इस महत्वाकांक्षी योजना के द्वारा पांचों सालों में जो गरीब स्थायी तौर पर सामाजिक तथा आधारिक संरचना में है, जो इंटीग्रेटेड ट्राइबल डेवेलपमेंट प्रोग्राम (आईटीडीपी) क्षेत्रों में आते हैं, को लाभ पहुंचाया गया है। यह 10 सूत्री कार्यक्रम एकीकृत तथा सम्पूर्ण जनजातीय विकास की योजनाओं को समेटता है, उनके जीवन को स्पर्श करता है और उनके जीवनयापन, शिक्षा, मकान, पीने का पानी, सिंचाई तथा मूलभूत सुविधाओं को भी ध्यान में रखकर बनाया गया है।
इस दस सूत्री कार्यक्रम की नीति भीतर से बाहर की ओर है। यह कार्यक्रम आईटीडीपी को मजबूत करता है, जिसकी समय-समय पर समीक्षा मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी स्वयं करते हैं। जानकार तथा पेशेवर लोग, जिनमें ‘|ÉÉ<´Éä]õ ºÉäC]õ®ú’ भी हैं, इस कार्यक्रम में बहुत निकट से जुड़े हुए हैं। वे निर्माण क्षेत्र में, योजना की उन्नति में और उन्हें लागू करने में, सेवावृत्ति तथा दूसरे पहलू का अनुमोदन करते हैं। यह कार्यक्रम ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत लागू किया गया। इसके निम्नलिखित 10 विशेष कार्यक्षेत्र हैं-
मूल लक्षण
जनजातीय प्रगति, जो वी.के.वाई में है, के मूल लक्षण हैं-
क -अभिविकास की भागीदारी
ख-प्रबोधन करते रहना।
ग-योजना में स्थानीय लोगों की भागीदारी
घ-विशेष कारण अभिज्ञान
जीविका कार्यक्रम
प्रकल्प जिला तालुका लाभप्राप्ति अनाज सहायक
सन साइन-1 5 26 5,25,700 बीज, खाद
सन साइन-2 6 16 52,186 बीमा, छोटे से छोटा
आर्थिक लाभ
जीविका 6 13 28,801 करेला, कपास, अम्बावारी
1-2 और 3 ओकरा,टमाटर,बैंगन हल्दी,अरहर आदि
योग 17 55 6,06,687
कृषि वैविधीकरण कार्यक्रम के अंतर्गत कुल 5,96,687 लोग लाभान्वित हुए है।
1,08,588 मैट्रिक टन खाद 6,06,687 जनजातीय कृषकों के बीच बांटी गई।
एकीकृत दुग्धशाला उन्नति कार्यक्रम के अंतर्गत कुल 44,149 लोग लाभान्वित हुए और 130.22 करोड़ रु. खर्च हुआ।
चार भंडारणों (कोल्ड स्टोरेज) और एक उगाही एवं श्रेणीकरण केन्द्र का निर्माण हुआ।
जीविका उपार्जन कार्य
कार्यक्रम लाभान्वित लोग
दस्तकारी प्रशिक्षण 2,37,789
कृषि 3,02,699
दुग्धशाला 80,669
संकर बछड़े 32,000
स्वनियोजित 86,289
कुल 7,39,446
एकीकृत दुग्धशाला उन्नति योजना
117 करोड़ रु. खर्च, 42000 परिवार संरक्षित, 12 जिलों के 44 तालुका, 2422 बीटीजी परिवार
चालू वर्ष का लक्ष्य 22,000 से 40,000 बढ़ाना।
शिक्षा की गुणवत्ता
तकनीकी शिक्षा (वनबंधु कल्याण योजना के अंतर्गत)
स्वास्थ्य (वार्षिक जांच, जनजातीय परिवारों तक)
मकानों की अनुसूचित जातियों के लिए अगले पांच सालों तक की व्यवस्था
गरीबी की रेखा नीचे के अनुसूचित जाति परिवार,
जिनको चार वर्षों से संरक्षण प्राप्त हुआ है-
घर 4,46,858
पानी का वितरण 5,61,168
बिजली 4,84,773
सुरक्षित पेय जल योजना
क्षेत्रीय नलों द्वारा जल वितरण योजना 3113 निवास स्थान
व्यक्तिगत योजनाएं 5677 निवास स्थान
हैंड पम्प 7370 निवास स्थान
आधारिक संरचना ब्योरा
कुल हैंड पम्प 1,28,851
(52 व्यक्ति पर एक पम्प)
कुछ छोटी नल योजनाएं 4894
पारिवारिक संयोजन
जनजातीय परिवार, जो जल घर तक पाते हैं (ग्रामीण)
48698 (3.9प्रतिशत) जो 2001 में था और 5,82,047 (37.45 प्रतिशत) 2011 में है।
व्यक्तिगत संग्रहीत वर्षा के जल को कृषि के लिए उपयोग में लाया जाता है।
7995 शौर्य शक्ति से चलने वाले पम्प
सड़कें ʤÉVɱÉÒ
गुजरात सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग को अनुसूचित जातियों, अन्य पिछड़े वर्ग, सामाजिक तथा शिक्षा क्षेत्र में पिछड़े वर्ग, अल्पसंख्यक वर्ग, वृद्ध, गरीब के चहुंमुखी विकास का कार्य सौंपा गया है। यह सभी वर्ग कुल मिलाकर राज्य की कुल जनसंख्या का 70 प्रतिशत हैं। मानव विकास तथा क्षमता निर्माण में कई तरीकों से यह निश्चित किया गया है कि ये वर्ग राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे सामाजिक तथा आर्थिक विकास के कार्यक्रमों में समग्रता से हिस्सा लें।
गुजरात राज्य में अनुसूचित जातियों तथा अन्य पिछड़ी जातियों के विद्यार्थियों के लिए 20 लाख रु. तक का कर्ज मात्र 4 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से ‘Eò¨ÉÌ¶ÉªÉ±É पाइलट ट्रेनिंग ºEòҨɒ के अन्तर्गत दिया जाता है। विदेश में जाकर पढ़ने के लिए अनुसूचित जातियों तथा अन्य पिछड़े वर्गों के छात्रों को दस लाख रु. तक का कर्ज भी चार प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से स्नातक तथा स्नातकोत्तर शिक्षा के लिए भी दिया गया।
संत रविदास एक महान समाज सुधारक और पन्द्रहवीं शताब्दी के कवि थे। उनकी स्मृति में नौकरी के लिए बुद्धि- विकास की योजना बनाई गई, जिससे अनुसूचित जातियों के युवकों को तैयार किया जा सके। सन् 2010-11 में 4500 से ज्यादा बेरोजगार युवक चिन्हित किये गये और दस करोड़ रुपये लगाकर उनको प्रशिक्षण दिलाया गया।
भारत के समाज सुधारकों जैसे डा.बी.आर.अम्बेडकर और अन्य संविधान निर्माताओं का जातिविहीन एकीकृत समाज का स्वप्न रहा है। इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए गुजरात सरकार ने डा.सविता अम्बेडकर और डा.बी.आर.अम्बेडकर की स्मृति में अनुसूचित जातीय विवाह सहायक योजना बनाई। इस योजना के अंतर्गत अनुसूचित जातीय विवाह के जोड़ों को आर्थिक सहायता के रूप में 50 हजार रुपये दिये गए, ताकि वे विवाह के बाद अच्छी तरह बस सकें। यह योजना दूसरे राज्यों में भी एक उदाहरण के तौर पर अपनाई गई।
गुजरात सरकार समाज के पिछड़े वर्गों की शिक्षा, सामाजिक उन्नित और आर्थिक पुनर्वास के लिए सदैव संलग्न रही है। भारत में गुजरात ही एकमात्र ऐसा प्रांत है जिसने राज्य के सफाई कर्मचारियों के प्रति रुझान दिखाया और वह भी बहुत पहले, अक्तूबर-2001 में। इसके अलावा कारपोरेशन ने राज्य के सुधार-विकास कार्यक्रमों तथा गरीबों के लिए घरों की योजनाओं को एक अच्छा खासा धन उपलब्ध कराया। यह योजना में गरीब वर्ग के लोगों के लिए शहरों में आवास की व्यवस्था, सफाई प्रबंधों के साथ चलाई गई। गुजरात प्रांत स्वनियोजित योजनाओं को लागू करने के लिए बहुत सक्रिय रहा, जिनमें सफाई कर्मचारियों तथा उन पर निर्भर व्यक्तियों तक को लाभ हो सके, जो टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंस (मुम्बई) के साथ कार्यान्वित हो रही थी। परिणाम यह रहा कि गुजरात बहुत पहले ही हाथ से सफाई करने वालों या हाथ से गंदगी ढोने वाली व्यवस्था से मुक्ति पा गया।
गुजरात में 144 जातियां तथा समुदाय हैं जिनमें से 31 अल्पसंख्या वाले समुदाय हैं, जो राज्य की जनसंख्या का लगभग 52 प्रतिशत हैं। इस पिछड़े तथा असुरक्षित वर्ग ने प्राकृतिक तथा आर्थिक लक्ष्य को, जो सम्पूर्ण विकास के लिए जरूरी थे, एक दशक में पा लिया। इन पिछड़ी जातियों की शैक्षिक सुविधाओं के लिए आधुनिक संसाधनों से युक्त विद्यालय बनाये गये। इन स्कूलों के विद्यार्थियों को यह सुविधाएं बिना किसी शुल्क के प्राप्त हैं। इनका शैक्षिक स्तर हाईस्कूल की परीक्षाओं से परखा जा सकता है, जिसमें हर विद्यार्थी बिना किसी अपवाद के पास हुआ।
गरीबों के लिए मकान एक बड़ी समस्या है। घुमक्कड़ और अनुसूचित जातियां सदियों से बेघर हैं। दुनिया का एक बड़ा हिस्सा भारत को सांप नचाने वाला और नंगे-फकीरों का देश मानता है। ऐसे में गुजरात ही एकमात्र ऐसा प्रांत है जहां सांप नचाने वालों और दूसरे हजारों खानाबदोश और अनुसूचित जनजातीय परिवारों का बसाया गया, हजारों बस्तियों तथा हजारों घर वंचित वर्गों के लिए बनाये गये। भारत सरकार के अनेक आयोगों ने इसे सराहा और दूसरे प्रांतों के लिए यह उदाहरण भी बना। राज्य की विधानसभा की समीतियां, जो विरोधी दलों के प्रतिनिधित्व में थीं, ने भी राज्य सरकार की प्रगति पर प्रसन्नता प्रकट की है।
गुजरात एक ऐसा प्रांत है जहां कमजोर वर्गों तथा अल्पसंख्यक समुदायों के स्कूलों के विद्यार्थियों को वेश तथा शिक्षावृत्ति के लिए बजट में प्रावधान किया है, ताकि वे सुविधाओं का नि:शुल्क लाभ उठा सकें। गुजरात प्रांत सरकार सिविल सोसाइटी की भागीदारी को प्रोत्साहन देकर सरकार और सिविल सोसाइटी संगठन, जैसे-अपाहिज जन एसोसिएशन, गैरसरकारी संस्थान और विकास संगठन को मदद देता है, जिसमें निगमों के संगठन को सोशल का संरक्षण है।
पिछड़े व्यक्तियों को मुख्यधारा में लाने के लिए गुजरात में कई उपाय किये गये। गुजरात सरकार ने व्यक्तियों के शारीरिक रूप से विकलांग के कानून में संशोधन कर विकलांग प्रमाणपत्र का विकेन्द्रीकरण कर दिया। राज्य सरकार विधवाओं और अभावग्रस्त वृद्धजनों को आर्थिक तथा सामाजिक मदद भी देती है, ताकि वे अच्छा जीवन बिता सकें। इसके अलावा विशेष योजना में भी उनकी रक्षा, विकास और बच्चों के विकास के लिए भी प्रावधान है, ताकि वे अपनी पूरी ताकत से उन्नति कर सकें और समाज को प्रभावी ढंग से मदद कर सकें।
आर्थिक और सामाजिक विकास का लक्ष्य, जिसे गुजरात सरकार ने अपना आधार बनाया है, वह सामाजिक सहमति तथा प्रभावपूर्ण समाज की प्रगति के लिए सब श्रेणियों की हिस्सेदारी पर आधारित है। इस दृष्टि से विशेष योजनाएं लागू की गईं है जो समाज के अभावग्रस्त वर्ग को आश्वस्त करती हैं कि जब राज्य का आर्थिक विकास होगा तब सब सामाजिक वर्गों को लाभ होगा। अनुसूचित जातियां, अन्य पिछड़े वर्ग, सामाजिक और शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े वर्ग, अल्पसंख्यक समूह, विधवाएं, अभावग्रस्त वृद्धजन, बच्चे और शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्ति, सब विकास की मुख्यधारा से जुड़े हैं। यह अनुपम सामाजिक विकास का गुजरात का स्वरूप निश्चित करता है।प्रतिनिधि
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