राजस्व की पारदर्शी वसूली और महिलाओं-बच्चों का समग्र विकास
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आनंदीबेन पटेल
मंत्री– राजस्व, महिला बाल विकास और लोकनिर्माण विभाग, गुजरात
समग्र बाल विकास सेवा योजना (आईसीडीएस) के अन्तर्गत गुजरात में सन् 2001 में पहली बार समस्त योजनाओं को एक ही छत्र के नीचे लाया गया। परिणाम यह है कि वर्तमान में गुजरात में आईसीडीएस के अन्तर्गत 336 योजनाएं, विभाग व कार्यक्रम संचालित हो रहे हैं। आईसीडीएस के अन्तर्गत संचालित कार्यक्रमों की एक झलक यहां प्रस्तुत है-
राज्य में कुल 50,123 आंगनबाड़ी केन्द्र कार्यरत हैं।
28,767 आंगनबाड़ी केन्द्र सरकारी भवन में हैं।
93,290 महिलाएं व युवतियां आंगनबाड़ी में सेवारत हैं।
16,21,929 गर्भवती महिलाओं और युवतियों को मार्गदर्शन और पोषणक्षम आहार।
28,57,296 लाभार्थी बच्चे।
दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों तक समग्र बाल विकास सेवा योजना का लाभ पहुंचाने हेतु राज्य सरकार ने आंगनबाड़ी वैन शुरू की है।
कुल 46 आंगनबाड़ी मोबाइल वैन के लिए लगभग 2 करोड़ रु.का खर्च।
राज्य के दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशु की माताओं को हलवा, सुखडी, उपमा, बालभोग, न्यूट्रीकेन्डी और आरोग्य आदि सेवाएं मोबाइल वैन से उपलब्ध कराई जाती हैं।
यह योजना केवल गुजरात में ही है। देश के अन्य किसी राज्य में इस तरह की योजना नहीं है।
देश में पहली बार गुजरात सरकार ने आंगनबाड़ी केन्द्रों को दो गैस सिलेंडर, गैस कनेक्शन, गैस का चूल्हा और इडली बनाने के लिए कुकर की सुविधा प्रदान की।
इससे ईंधन और समय की बचत हुई। बच्चों को ताजा व शुद्ध आहार मिला।
प्रतिवर्ष लगभग 36 लाख बच्चों का आरोग्य परीक्षण किया जाता है।
5200 गरीब बच्चों को किडनी, कैंसर और हृदय संबंधी रोगों से मुक्त करने के लिए नि:शुल्क शल्य-चिकित्सा कराई गई।
आंगनबाड़ी के बच्चों के लिए आरोग्य परीक्षण और शल्य चिकित्सा कराने की यह योजना सिर्फ गुजरात में ही है।
गरीब बच्चों के पोषणक्षम आहार की जिम्मेदारी ग्राम समाज भी समझे, इस हेतु परिवार में जन्मतिथि, वर्षगांठ आदि प्रसंगों के अवसर पर आंगनबाड़ी के बच्चों को ‘ÊiÉÊlÉ ¦ÉÉäVÉxÉ’ कराने की प्रेरणा मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने समाज को दी।
समाज शक्ति के सहयोग से ‘ÊiÉÊlÉ ¦ÉÉäVÉxÉ’ में आंगनबाड़ी के बच्चों को अनेक दाताओं की ओर से सुखडी, दूध और खिलौने आदि दिये जाते हैं।
गुजरात में औद्योगिक विकास तीव्र गति से जारी है। राज्य में विकास के कार्यों के लिए उचित व आवश्यकतानुसार जमीन इसीलिए उपलब्ध हो सकी क्योंकि उसका पूरा रिकार्ड उपलब्ध था।
आधुनिक तकनीकी से का कार्य तीव्र गति से करने वाला गुजरात देश का प्रथम राज्य।
गुजरात की अन्य राज्यों के लिए एक उदाहरण। अनेक राज्यों के द्वारा गुजरात आकर प्रशिक्षण प्राप्त करना।
महानगर पालिकाओं में सम्पत्ति की चलन
राज्य के सभी गांवों का डिजीटल सर्वेक्षण कराकर उसका विवरण भू राजस्व विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध कराया गया।
भू उपयोग परिवर्तन के लिए अधिकतम 45 दिन की समय सीमा।
आवास के नक्शों हेतु 30 दिन की समय सीमा निर्धारित।
गुजरात के राजस्व विभाग ने राजस्व वसूली में कीर्तिमान स्थापित करने के साथ-साथ पारदर्शिता और व्यवस्थागत दोषों को दूर करने की अनुकरणीय पहल की है। इसके लिए राजस्व विभाग ने सभी 225 तहसीलों में ई जमीन सेवा क्रियान्वित की। इसका सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह हुआ कहीं भी जमीन खरीदने व बेचने वाले का छायाचित्र(फोटोग्राफ) अंगूठे के निशान (फिंगर प्रिंट) आदि एक ही स्थान पर एकत्र हो गए। अब गुजरात में जमीन की खरीद-फरोख्त के समय संबंधित जमीन का पूरा ब्योरा और दस्तावेज इंटरनेट पर आनलाइन देखा जा सकता है। इस योजना से भू संबंधी अनेक कार्य सुगमतापूर्वक करने की सुविधा लोगों को मिली। इसके साथ ही राजस्व विभाग ने जो उपलब्धियां हासिल कीं, उनकी एक झांकी यहां प्रस्तुत है-
शहरी गरीब आवास योजना अंतर्गत दी गई जमीन से राजस्व वसूली में मुक्ति
बाल मंदिरों के लिए 200 वर्गमीटर तक की जमीन मुफ्त में दी गई।
महिलाओं के नाम स्थानांतरित होने वाली स्थायी सम्पत्ति को दस्तावेज शुल्क से मुक्ति।
पिछले सात सालों में दस लाख से ज्यादा महिलाएं सम्पत्ति की मालकिन बनीं। (वार्ताधारित)
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