राज्य में विकसित होते बंदरगाह
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प्रकृति ने गुजरात को भारत की सबसे लम्बी तट रेखा, लगभग देश की संपूर्ण तट रेखा की एक-चौथाई प्रदान करके वरदान दिया है। अरब सागर के जल से प्रक्षालित गुजरात के बंदरगाह, केन्द्रीय और उत्तरी भारत के स्थलबद्ध राज्यों और समुद्री विश्व के लिए मुख्य द्वार हैं। यह विशाल उपजाऊ प्रदेश के विस्तार को लाभ प्रदान करते हैं, जोकि राष्ट्र के संपूर्ण व्यापार का 40 प्रतिशत है। इसके अतिरिक्त, गुजरात का समुद्रतट, मध्यपूर्व अफ्रीका और यूरोप के देशों के लिए निकटतम समुद्री मार्ग उपलब्ध कराता है। यह प्राचीन काल से गुजराती समुदाय की व्यापारिक गतिविधि का मुख्य आधार रहा है। वास्तव में अमदाबाद के निकट स्थित लोथल का प्राचीन हड़प्पा नगर, विश्व का प्राचीनतम गोदी-बाड़ा संग्रहण है।
गुजरात सरकार ने अपनी नीतियों और उपायों द्वारा यह सुनिश्चित किया है कि ये प्राकृतिक लाभ व्यर्थ नहीं जाएं, इन्होंने गुजरात को देश में प्रथम समुद्रवर्ती राज्य बनवाने में सहायता की है। भावी निवेशकों को प्रतिबंचित शुल्क विनियमों से छूट देकर, दीर्घकालीन वाणिज्यिक करार स्वीकृत करने के प्रावधान किए गए हैं। इसमें अन्य उत्प्रेरणाएं भी हैं। यथा- बैंक योग्य परियोजना दस्तावेज, तर्क संगत उचित बंदरगाह प्रभार और अत्यधिक स्पर्धात्मक दरों पर सेवाएं।
मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में गुजरात का समुद्रवर्ती क्षेत्र आज भारत में सर्वाधिक पथप्रदर्शक और विकसित है। श्री मोदी ने कहा है, 'हमारी प्रगति और विकास केवल बंदरगाहों तक सीमित नहीं है। बंदरगाह के लिए हमारी कल्पना, बंदरगाह आधारित विशेष आर्थिक अंचलों, माल गोदामों, शीत संग्रहगार नेटवकर्ों, रेल रोड संबद्धताओं और संबंधित आधारभूत सुविधाएं जो स्थापित की जा रही हैं, के साथ विकास के लिए केवल प्रेरित है।' वास्तव में यह सार्वभौमिक रूप से मान्यता है कि गुजरात के लोगों की उद्यमी भावना ने राज्य की उन्नति को आगे बढ़ाया है।
बंदरगाह परिवहन/यातायात के प्रमुख मार्ग
जी.एम.बी. बंदरगाहों पर नियंत्रित जहाजी माल (कार्गो) जो 1982-83 में केवल 3.18 मिलियन टन था, 2010-11 में 231 मिलियन टन तक बढ़ गया है। अब जी.एम.बी. बंदरगाह संपूर्ण राष्ट्रीय कार्गो का लगभग 26 प्रतिशत नियंत्रित करते हैं और यह भारत की राज्य सरकारों के अधीन बंदरगाहों द्वारा नियंत्रित कार्गो का 92 प्रतिशत है। यदि कंडला बंदरगाह को शामिल करें, तो गुजरात राष्ट्रीय कार्गो का 35 प्रतिशत नियंत्रित करता है।
2010-11 में राज्य सरकार के नियंत्रणाधीन बंदरगाहों के यातायात ने 12.34 प्रतिशत की एक प्रभावी दर प्रदर्शित की, उस अवधि के दौरान बड़े बंदरगाहों द्वारा प्राप्त 1.6 प्रतिशत की बढ़ी हुई दर से तुलना की जाए। यह मुख्य रूप से जी.एम.बी. बंदरगाहों द्वारा प्रगति के कारण है, देश के संपूर्ण समुद्रवर्ती कार्गो में अन्य राज्य सरकारों के नियंत्रण के अधीन बंदरगाहों का हिस्सा 1995 में 10 प्रतिशत से 2011 में 36 प्रतिशत तक बढ़ गया है।
बढ़ते हुए यातायात के साथ कदम रखने के लिए सावधानीपूर्वक योजना और निष्पादन में गुजरात ने बंदरगाहों की कार्य क्षमता में तद्नुरूप वृद्धि सुनिश्चित की है। केवल पिछले दशक में जी.एम.बी. बंदरगाहों की कार्यक्षमता 135 मिलियन टन से 2010-11 के अंत तक 284 मिलियन टन तक बढ़ गई है। यह कल्पना की जाती है कि 2015-16 तक गुजरात के बंदरगाहों की क्षमता 500 मिलियन टन से अधिक और 2020 तक 1000 मिलियन टन से अधिक यातायात नियंत्रित करने की होगी।
उपलब्धियों का युग
इस क्षेत्र में 1995 की अवधि से गुजरात ने अनेक उपलब्धियां प्राप्त की हैं, जोकि निम्न हैं-
1996 में पीपावाव में भारत का प्रथम निजी बंदरगाह
1998 में मुंद्रा में भारत के गहनतम बंदरगाह की रूपरेखा
1999 में सिक्का में पी.ओ.एल. निर्यात हेतु विशालतम लंगर स्थल (एस.पी.एस.)
2001 में देहज में देश का प्रथम समर्पित केमिकल टर्मिनल
2003 में मुन्द्रा में देश में प्रथम प्राइवेट रेल लिंक
2004 में देहज में देश का प्रथम एल.एन.जी. टर्मिनल, उसके बाद हजीरा में अन्य एल.एन.जी. टर्मिनल।
2006 में पीपावाव में भारत की प्रथम डबल स्टेक कंटेनर ट्रेन
मुन्द्रा में 2010 में अल्ट्रा मेगा पावर प्लांट (यू.एम.पी.पी.) हेतु भारत का विशालतम कोयला टर्मिनल स्थापित।
2010 में देश का सर्वाधिक उन्नत वेसिल ट्रेफिक मेनेजमेंट सिस्टम (डी.टी.एम.एस.)
2010 में देश की प्रथम नीति का प्रस्ताव
गुजरात बंदरगाह क्षेत्र के बहुमुखी विकास हेतु नई पहल
संकल्पना के अनुसरण में राज्य सरकार ने अनेक पहल की हैं, जोकि बंदरगाहों और बंदरगाहों से संबंधित उद्योगों का एकीकृत विकास सुनिश्चित करेंगे।
घोघा और देहज के मध्य फेरी
दक्षिण गुजरात और सौराष्ट्र के मध्य यात्रा दूरी कम करने के लिए सरकार घोघा और देहज के मध्य रो-रो फेरी सेवा विकसित कर रही है। यह नौघाट (फेरी) जलयानों में यात्रियों के लिए पर्याप्त व्यवस्था होगी और चालकों तथा यात्रियों के साथ उनके वाहनों को भी गंतव्य तक पहुंचाएंगी, जिससे उनकी यात्रा दूरी कम हो सके। फलस्वरूप समय और ईंधन में बचत तथा प्रदूषणकारी गैसों का उत्सर्जन कम होगा। इस प्रकार यह पर्यावरणीय चेतना के प्रति जी.एम.बी. का एक अन्य कदम भी कहा जा सकता है।
बंदरगाह सुरक्षा
बी.टी.एम.एस. के परिचालन में आने के पश्चात खंभात की खाड़ी में गुजरात सरकार इसी को कच्छ की खाड़ी में लागू कर रही है। इससे सरकार अपने सभी बंदरगाहों पर सुरक्षा एवं आरक्षित करने के लिए आई.एस.पी.एस. लागू करने के लिए कार्य कर रही है।
बंदरगाह नगरों की एकीकृत योजना एवं विकास
सरकार ने निर्णय किया है कि मुन्द्रा और पीपावाव को आदर्श नगरों के रूप में विकसित किया जाए। मुन्द्रा बंदरगाह नगर (एम.पी.सी.) के विकास के लिए एक विस्तृत संकल्पनात्मक योजना जी.एम.बी. द्वारा की जा रही है। परियोजना का मुख्य उद्देश्य बंदरगाह क्षेत्र के आसपास प्रस्तावित विकास के लिए महत्वपूर्ण आधारभूत संरचना की सेवा तैयार करना है। मुन्द्रा बंदरगाह नगर इस दृष्टि से बनाया गया है कि बंदरगाह आधारित उद्योगों को सुविधा प्रदान की जाए, जो औद्योगिक विकास तक ही सीमित न रहे, बल्कि बंदरगाह और बंदरगाह आधारित उद्योगों के लोगों की सुविधा पर ध्यान केन्द्रित करे। उनके लिए आवासीय वाणिज्यिक और मनोरंजन संबंधी अंचलों का सृजन करे एवं क्षेत्र के रहन-सहन का स्तर सुधारे।
सौभाग्य में सफलता
गुजरात मैरीटाइम बोर्ड को देश के मैरीटाइम क्षेत्र में उसके आश्चर्यजनक प्रयासों के लिए देखा जा रहा है और मान्यता दी जा रही है। राज्य के मैरीटाइम क्षेत्र को विकसित करने में गुजरात मैरीटाइम बोर्ड की महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता प्रदान की गई है और उसे इसके समृद्ध इतिहास में अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। जैसे कि-
उत्कृष्टता अक्तूबर 2007 में आयोजित अंतरराष्ट्रीय मैरीटाइम एक्सपो-आई.एन.एम.ई. एक्स 2007 में।
मैरीटाइम गेट वे ऑफ इंडिया द्वारा ‘मैरीटाइम न्यूज मेकर ऑफ द ईयर 2008-09’
– मुम्बई में 12 नवम्बर, 2010 को मैरीटाइम गेट वे ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित कार्यक्रम में।
मार्च 2010 में मैराइन एवं पोर्ट्स वर्ल्ड एक्सपो 2010’ में उद्योग में एक राज्य द्वारा ग्रहण की गई सर्वश्रेष्ठ
मैरीटाइम एवं लॉजिस्टिक्स अवार्डस (एम.एल.ए.) 2011 में अथॉरिटी मैरीटाइम बोर्ड ऑफ द
उद्गामी क्षेत्र: गुजरात के आदर्श उदाहरण
गुजरात बंदरगाह क्षेत्र निवेशकों के लिए अपार अवसर पैदा करने वाला एक आशावादी क्षेत्र है। जी.एम.बी. ने निवेश हेतु अवसरों का अधिक्य पैदा करने के लिए प्राथमिकता के आधार पर विविध बंदरगाह उप-क्षेत्र विकसित करने के समर्पित प्रयास किये हैं। जैसे कि- नए विशिष्ट हरे क्षेत्र बंदरगाहों का विकास, बंदरगाह मशीनीकरण, बंदरगाह सेवाएं, शिप निर्माण और मरम्मत, समुद्रतटीय शिपिंग रेल रोड सम्बद्धता, बंदरगाह आधारित विशेष आर्थिक अंचल, सुप्रचालनिक पार्क और औद्योगिक पार्क, फेरी सेवाएं, बंकरिंग (तलघर) मैरीटाइम संस्थान इत्यादि।
आगामी दृष्टि
गुजरात सरकार और गुजरात मैरीटाइम बोर्ड का लक्ष्य है पर्यावरण के अनुकूल प्रयासों की पहल जारी रखना, सुरक्षा और आरक्षित कार्गो नियंत्रण परिचालनों की अपने बंदरगाहों पर व्यवस्था करना। आगे बढ़ने के लिए जी.एम.डी. का केन्द्रीकरण होगा। तटीय शिपिंग और एकीकृत सुप्रचालनिक प्रणाली, जिसके परिणाम की आशा है बड़ी कार्य कुशलता से सुधार और देश के लिए लागत में बचत, जिससे भारत के विकास के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में सेवा की जा सके। प्रतिनिधि
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