गुजरातभारत का विकास इंजन
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भारत का विकास इंजन
उपकरण, यंत्र तथा अनुप्रयोग की सुदृढ़ संरचना के फलस्वरूप गुजरात देश में सबसे उत्तम राज्य बन गया है। नागरिकों को गुणात्मक सेवाएं देने पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है।
विकास के मामले में देश की सम्पूर्ण वृद्धि से ज्यादा तेज वृद्धि दिखाने के कारण ही गुजरात को भारत का विकास इंजन कहा जाता है। भारत के औद्योगिक उत्पादन का 16 प्रतिशत और निर्यात का 22 प्रतिशत गुजरात से प्राप्त होता है। गुजरात राज्य रिफाइनरीज और बंदरगाह का केन्द्र बनता जा रहा है और आशा की जा रही है कि जल्द ही निर्माता चीन से भारत के लिए काम करने लगेंगे जिससे गुजरात के कपड़ा उद्योग को बहुत बढ़ावा मिलेगा। आधारभूत संरचना से कृषि तक गुजरात की कहानी प्रेरणादायक सफलता की कहानी है। गुजरात अच्छा शासन दे रहा है। प्रशासनिक सुविधाओं को लागू करना, किसी बात पर समयोचित फैसला लेना, साधनों की उपलब्धता, बिजली की आसानी से उपलब्धता गुजरात को एक आदर्श राज्य की संज्ञा तक पहुंचा देती है।
श्रेष्ठ अनुशासन प्रगति की कुंजी है। राज्य निरंतर एक उत्कृष्ट अनुशासन का लक्ष्य प्राप्त करने की ओर अग्रसर है। तकनालॉजी के प्रति आकर्षण बहुत प्रभावशाली है और नितांत आवश्यक सेवा की उपलब्धता राज्य को अग्रिम पंक्ति में ले जाने में तथा अपने नागरिकों को सक्षम बनाने में समर्थ है।
सरकार यह जानती है कि अनुशासन को प्रभावी बनाने के लिए उसे तालुका तक पहुंचना होगा, बल्कि उससे भी आगे आना होगा । यही कारण है कि ग्राम ज्ञान केन्द्र को प्रोत्साहन दिया गया।
गुजरात मॉडल
जब अनुशासन की बात होती है तो इसमें कोई शक नहीं कि गुजरात देश के विकसित राज्यों में स्थान रखता है। सशक्त संरचना, उपकरण, यंत्र तथा अनुप्रयोग तथा अपनी नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करने के कारण गुजरात राष्ट्र में एक सक्षम राज्य की हैसियत से उभरा है।
प्रत्येक ग्राम पंचायत इंटरनेट से जुड़ी हुई है और गुजरात का सारा प्रबंध 'गुजरात स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क' के द्वारा हुआ है। सारे गुजरात में बिजली 24 घंटे उपलब्ध रहती है। इसी कारण गुजरात की प्रसिद्धि है। अगर बिजली न होती तो आईसीटी आधारित सेवा उपलब्ध कराना कठिन होता।
नागरिकों को बहुत सारी सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। इनके कारण जनता अच्छे नतीजों तक भी पहुंची है। सरकार ने जाना कि शासन का प्रभावी होना तथा तालुका तक और उससे भी आगे पहुंचने का माध्यम भी यही है। इसी के कारण ही ग्राम ज्ञान केन्द्र का आधार भी बना। सबकी सब 13,693 पंचायतें इसी कारण प्रभावी बन सकी हैं। वे जन्म प्रमाणपत्र, मृत्यु प्रमाणपत्र, आय प्रमाणपत्र देने तथा नियमों को लागू करने में सक्षम हैं। इन सबके लिए अब किसी को शहर के चक्कर नहीं काटने पड़ते। सब कुछ पंचायतों से ही मिल जाता है।
राज्य ने 'अपना तालुका, वाइब्रंट तालुका' (ए.टी.वी.टी.) की नीति लागू की है ताकि लोग उपलब्धि तथा प्रगति को नीचे के धरातल तक समझ सकें। सरकारी सुविधाएं हर किनारे तथा हर कोने तक उपलब्ध हैं। अनुशासन तालुका के भी नीचे तक प्रभावी, तीव्रगामी तथा पारदर्शी बन गया है। इससे तालुका की प्रगति तेज होगी और प्रगति को नई दिशा मिलेगी।
50,000 किमी. में आप्टिकल फाइबर सारे गुजरात में 24 घंटे का धरातल देता है जो हर ग्राम पंचायत की पहुंच में है। जो नागरिक सुविधा केन्द्र हैं वे बड़े शहरों से सारे गुजरात को तालुका से लेकर हर जिले तक तथा सभी ग्राम पंचायतों को जोड़कर उन्हें प्रभावी तथा पारदर्शी ढंग से विभिन्न प्रकार की सुविधाएं प्रदान करते हैं।
'गुजरात स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क' एशिया में सबसे बड़ा है और 2001 से चालू है। यह 26 जिलों को तथा 226 तालुकों को उनके समस्त कार्यालयों के द्वारा जोड़ता है। इनके अलावा 14000 ग्राम पंचायतें भी इसी के द्वारा आपस में जुड़ती हैं। सरकार ने मोबाइल सेवा व्यवहार को भी मान्यता दी है कि जिससे स्वास्थ्य, शिक्षा, प्रदूषण, चुनाव, दुर्घटना का प्रबंध तथा जनता की सेवाओं पर अच्छा प्रभाव पड़ रहा है।
हर ग्राम पंचायत गुजरात स्टेट वाइट एरिया नेटवर्क से जुड़ी हुई है, और 24 घंटे बिजली उपलब्ध है जो विकास की सफलता के लिए जरूरी है।
सूचना की तकनालॉजी आज उन्नति के दौर में बहुत महत्वपूर्ण कार्य करती है। सवाल यह है कि कैसे इसे उन लोगों तक पहुंचाया जाए जो साधनहीन हैं? क्या बुद्धिमत्ता की संपत्ति कोई टैक्स, धन इकट्ठा करने में सहायक हो सकती है? हम कीमतों तथा आर्थिक धरातल को कैसे जोड़ें तथा कैसे फायदा उठाएं? गुजरात ने बहुत सफलतापूर्वक इन समस्याओं को हल किया है और नागरिक सेवा को प्रमुख उद्देश्य बनाया है।
राज्य सरकार ने 2002-03 में सूचना के क्षेत्र का विस्तार किया और अपनी वेबसाइट बनाई। यह डाटा-बेस सूचना प्रदान करती है। एक उदाहरण, परीक्षाफल है जो रोल नं.तथा जन्मतिथि पर आधारित है।
2006 में सरकार उत्तरवर्ती फेज की ओर बढ़ी। लोग नागरिक केन्द्रों पर जाकर पैसे जमा कर सकते थे और जमीन का रिकार्ड भी ले सकते थे। आज सरकार 24 घंटे सेवा दे रही है और इस अवस्था में 130-140 सेवाएं जनता को उपलब्ध हैं।
सूचना का ज्ञान प्रगति में बहुत महत्वपूर्ण है। प्रश्न है कि यह ज्ञान उन लोगों तक कैसे पहुंचे जो अभी इस ज्ञान से दूर हैं?
गुजरात ने अभी तक उस प्रोजेक्ट को हाथ नहीं लगाया है लेकिन उसकी पूर्ण दृष्टि केवल सरकार के अनुशासन की नीतियों पर केन्द्रित है।
ग्रामीण अनुशासन
गुजरात को आरंभिक प्रोजेक्ट जैसे ई धारा, ई ममता, स्वागत (स्टेट वाइड अटेंनशन आन ग्रीवेंसिस विद एप्लीकेशन आफ तकनालॉजी) ग्रामीण जनता को सशक्त बनाते हैं और सरकार को जनता की आवाज को सम्मान करने की प्रेरणा देते हैं। यह स्वागत प्रोजेक्ट 2003 से चल रहा है और 92.45 प्रतिशत लोगों की समस्याओं का निराकरण कर चुका है।
यह स्वागत प्रोजेक्ट हर महीने के हर चौथे वृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री द्वारा संचालित होता है। उनकी उपस्थिति में तथा सरकार के सब विभागों के मुख्यजनों के सामने आम आदमी की समस्याओं की बात होती है। वीडियो कांफ्रेंसिंग के द्वारा बात होती है और लाइन पर ही निवारण भी होता है।
गुणात्मक फल इस स्वागत के द्वारा 225 उप जिला कार्यालयोंें तक सन् 2008 से वर्तमान में भौगोलिक यंत्र 60 मिलियन जनता और राज्य के 225 उप जिला कार्यालयों तक फैला है। इसका राष्ट्रव्यापी महत्व है। इसे यूनाइटेड नेशनल पब्लिक सर्विस एवार्ड 2010 में दिया गया जिसमें पारदर्शिता तथा जिम्मेदारी, जनता की सेवा श्रेणी प्रमुख थी। इन सबके अलावा कामन वेल्थ टेलीकॉम आर्गेनाइजेशन और मेनचेस्टर की यूनिवर्सिटी ने अपनी ई ट्रांसपरेंसी के कारण श्रेष्ठतम माना।
किसी भी सरकारी प्रस्तावना के लिए इस प्रोजेक्ट पर बात की जा सकती है। कार्य का दोहरापन खत्म किया जा सकता है। पूरे प्रोजेक्ट को सीधे-सादे तरीके से अपनाया जा सकता है। इस तरह के किसी भी प्रबंध में इस तरह के प्रोजेक्ट को करना एक जटिल काम है। जबकि गुजरात ने इसे छोटे से आकार से शुरू किया, सफलता पाई और फिर विस्तृत क्षेत्रों में अपनाया। वास्तव में किसी भी प्रोजेक्ट को अचानक नहीं लिया गया, बल्कि इसको चारों तरफ से देख-परख कर लिया गया। ज्यादातर ई गवर्नन्स ने एक सीमित क्षेत्र में प्रभाव डाला क्योंकि ये प्रोजेक्ट एक सीमित क्षेत्र में थे।
अगर आम धारणा में देखा जाए तो भारत को नई दिल्ली अनुशासित करती है। वास्तव में हर राज्य की राजधानियां भी विशेष हैं। आर्थिक सुधारों का आगमन, लाइसेंस परमिट राज्य जो 1991 में शुरू था और जिस पर काफी ज्यादा धन खर्च किया गया था। इसने अनुशासन, स्वास्थ्य, शिक्षा और कृषि की पारदर्शिता पर जोर दिया इस सब किस्सों पर सब राज्य प्रतिभामान हैं। केन्द्र कुछ प्रतिबंध लगा सकता है परंतु हर राज्य की अपनी धारणा है। औद्योगिक क्षेत्र में भी गुजरात काफी हद तक आगे है।
भूकंप से संस्थानिक और निर्माण कार्य जो गुजरात सरकार ने 2001 के बाद आरंभ किये थे, आज अपना प्रभाव दर्शा चुके हैं। कई ऐसे विचार जो व्यक्तिगत रूप में उपस्थित थे और जिससे सारा समाज प्रभावित था, उन्हें दूर किया गया। यही नहीं, बल्कि निर्माण पद्धति, समाज की भागीदारी तथा पारदर्शित नीतियां जिनको गुजरात सरकार के प्रति 'डिजास्टर मेनेजमेंट अथोरिटी' के अन्तर्गत अपनाया गया है, वे भी अपनी कार्यक्षमता दिखा रही हैं। प्रतिनिधि
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